ऑफ्टर लव - 4 - Rishi Sad Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऑफ्टर लव - 4 - Rishi Sad

ऋषि अपने हाथ में कोल्ड कॉफी लिया हुआ था, करण ऋषि के हाथ से कॉफी छिन कर उसके मुंह पर फेंकता है,और फिर कॉलर पकड़ कर श्रद्धा के सामने ला कर उससे माफ़ी मांगने के लिए कहता हैं,"चल sorry बोल "....तभी साहिल आकार कहता है,"भाई ऋषि की कोई गलती नही है जो भी हुआ है अनजाने में हुआ है।"...

"अब तू बताएगा मुझे?__क्या करना है क्या नहीं"... करण ये कहते हुए साहिल को धक्का देता। श्रद्धा चुप चाप सब देख रही होती है। करण ऋषि से दोबारा कहता है"मैन बोला ना sorry बोल इसे!"

ऋषि के होंठो से खून बह रहा होता है, ऋषि धीरे से सिर झुका कर कहता है"sorry"...... तभी श्रद्धा कहती है"क्या....सुनाई नही दिया जरा जोर से बोलो ।"...... ऋषि फिर से उसी तरह बोलता है,"soryy "

श्रद्धा करण से कहती है,"क्या यार ये खुद बोल रहा है और खुद ही सुन रहा है।"

करण ऋषि से कहता है,"क्यों बे मुंह में आवाज नहीं है क्या? जरा जोड़ से बोल".... ऋषि अपनी आंखें बन्द करते हुए जोर से कहता है"sorry"

तभी बिच में रिया बोल पड़ती है,"सिर्फ sorry?... पता भी हैं, ये ड्रेस जो तुमने खराब की है,कितने की है? जितना तेरा महीने का खर्च नही होगा उससे कही ज्यादा की है।...खुद तो देखो पहले ,कैसा भंगार वाला जैसा दिख रहा है।"

कैंटीन में लोग खड़े होकर ये सब देख रहे थे। ऋषि अपनी पलकें झुकाए वही खड़ा था।,,तभी करण कहता है"अगर आज के बाद इसके आस पास भी दिखा तो तेरी ओ हालत करूंगा जो तूने सपने में भी नहीं सोचा होगा।"इतना कहता है और ऋषि को धक्का देकर साइड करता है और श्रद्धा का हाथ पकड़ कर वहा से ले कर जाने लगता है।

सब लोग भी अपने अपने काम में लग जाते है,तभी करण का एक दोस्त ऋषि के पास आकर कहता है,"इतना ही में लगता है फुस्स हो गया असली मजा तो कल आएगा जब तू मैडम जी को गुलाब देगा।"..ये कह कर हस्ते हुए जाने लगता है।

इतना कुछ होने के बाद ऋषि बहुत इंसल्ट महसूस करता है,और वहा से जाने लगता है, साहिल भी ऋषि के पीछे पिछे जाने लगता है।

श्रद्धा और करण एक दूसरे के बाहों में बाहें डाल कर बाते करते हुए जा रहे थे, तभी श्रद्धा करण से कहती है"करण तुम किसी सरप्राइज के बारे में बात कर रहे थे?".... करण हस्ते हुए कहता है,"वो तो नहीं बता सकता सरप्राइज़ है.... श्रद्धा बच्चो की तरह ज़िद करते हुए कहती है"प्लीज करण बताओं ना।".... करण मुस्कुराते हुए कहता है,"तुम भी क्या बच्चो की तरह ज़िद कर रही हो?.... no..means no..aaj शाम को पता चल जाएगा।....ये कहते हुए करण श्रद्धा को उसके कार में बैठाते हुऐ कहता है।

श्रद्धा मुंह बनाते हुए कहती है"ok fine नही बताओ" इतना कहती है और कार में बैठ जाति है,...... कार स्टार्ट होती है और श्रद्धा अपने घर चली जाति है। करण भी अपनी बाइक स्टार्ट करता है और वो भी घर जाने लगता है।

ऋषि पैदल ही अपने घर जा रहा होता है, काफ़ी धुप होता है रास्ते के अगल बगल चाय की दुकानें और ठेले पर फल और सब्जियों बिक रही थी । तभी ऋषि देखता है जिस ठेले पर फल रखा हुआ था एक लड़का उसी को देखे जा रहा था, उस लड़के का कपड़ा फटा हुआ था,बाल बिखरे हुए थे, पैर में चपल भी नहीं होता थे। ऋषि को उस लडके पर दया आती है ।

ऋषि उस ठेले वाले से कुछ फल खरीद कर उस लड़के के पास जाता है। और उसे देते हुए कहता है,"भूख लगी है? "....लड़का सर हिलाते हुए कहता है,"hmmm"..... ऋषि उस लड़के के सिर को सहलाते हुए ओ फल उसे देता है। ओ लड़का ऋषि के हाथ से फल लेकर वहा से चला जाता है।......ऋषि भी अपने घर की ओर जाने लगता है।..........

ऋषि के पापा घर में खाना बना रहे थे। क्योंकि ऋषि का कॉलेज से आने का समय हो चुका था। वो जल्दी जल्दी सब काम कर रहे होते है, घर में ज्यादा तर समान इधर उधर बिखरा हुआ होता है। बॉथरूम का नल चालू होने की वजह से पानी लगातार गिर जा रहा था। ऋषि के पापा नल बंद करने के लिए जाते है,तभी किचन से कुकर की सिट्टी बजने की आवाज़ आती है। नल जल्दी से बंद करते है और किचन के तरफ भागते है।

तभी बेल बजता है,''टीन.. टीन.... टीन'.. ऋषि के पापा दरवाजा खोलने के लिए जाते है, तो देखते है ऋषि दरवाजे पर खड़ा है, ऋषि के पापा ऋषि से कहते है,"जाओ जल्दी से मुंह हाथ धोकर तैयार हो जाओ मैं खाना लगाता हूं तब तक,"ये कहते हुए ऋषि के पापा किचन में चले जाते हैं।

ऋषि भी बिना कुछ कहे अपने कमरे में चला जाता है,और बेड पर अपना बैग फेकते हुए ,बिस्तर पर जा कर सो जाता है, उसके आंखों से आंसू की बूंदे लगातार बहे जा रही थी। तभी ऋषि के पिता उसे आवाज़ लगाते है"बेटा खाना निकाल दिया है मैनें" ऋषि कही खोया हुआ था अपने पिता की आवाज़ सुनते ही अपने आंसू पोछने लगता , की कही शायद ओ उसे रोते हुए देख ना ले।और अभी भी उसी तरह बिस्तर पड़ सोया हुआ था।

"अरे बेटा क्या कर रहे हो खाना निकाल दिया है।"ये कहते हुए ऋषि के पापा ऋषि के कमरे में आते है,तो देखते हैं, ऋषि सोया हुआ है। वो उसके पास जाते है और पूछते है"बेटा क्या हुआ तबियत ठीक तो है ना"... ऋषि अपने पिता की ऐसे सवाल पूछते देख रोते हुए अपने पिता को गले लगा लेता हैं। उसके पिता उससे पूछते है"बेटा तुम रो क्यों रहे हो?".... ऋषि कुछ नही कहता है, बस रोए जा रहा था।

उसके पिता उससे चुप कराते हुए कहते है,"क्या हुआ कोई तकलीफ है?देख बेटा मुझे बता क्या हुआ है"....... ऋषि रोते हुए कहता है"पापा मां की बहुत याद आ रही है।".....ये कहते हुए और भी जोर जोर से रोने लगता है।ऋषि के मुंह से ये सुनते ही ऋषि के पिता के आंखो में भी आंसू आ जाते है।

आखिर ऋषि अपनी मां को याद करके क्यों रो रहा था?और करण श्रद्धा को क्या सरप्राइज देने वाला है?ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी FAKE BOYFRIEND सिर्फ और सिर्फ POCKET NOVEL पर