जिंदगी के पन्ने - 6 R. B. Chavda द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी के पन्ने - 6

रागिनी का जन्म अक्टूबर में हुआ था, और इसी वजह से उसके शुरुआती स्कूल के दिन थोड़े अलग रहे। तीन साल तक उसने यूकेजी (Upper Kindergarten) और एलकेजी (Lower Kindergarten) में बिताए, क्योंकि उसका उम्र अन्य बच्चों से थोड़ी अलग रही। जब उसकी उम्र के अन्य बच्चे पहली कक्षा में जा चुके थे, रागिनी अभी भी शुरुआती कक्षाओं में थी। इस छोटे से अंतर ने उसे एक विशेष अनुभव से गुज़ारा, लेकिन वह कभी पीछे नहीं रही। आखिरकार, तीसरे साल के बाद, उसे पहली कक्षा में प्रवेश मिला।

पहली कक्षा में जाने से पहले, रागिनी का स्कूल भी बदल दिया गया था। नया स्कूल बहुत बड़ा और सुविधाओं से भरपूर था। यह स्कूल किसी महल से कम नहीं था, जिसमें खेल-कूद के लिए अलग-अलग साधन थे और बड़े-बड़े झूले भी लगे थे। खेल का मैदान इतना विशाल था कि बच्चे घंटों वहां खेल सकते थे। रागिनी के लिए यह स्कूल किसी जादुई दुनिया जैसा था, जहां उसे हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता था और खेलने के लिए खुला मैदान था।

रागिनी का स्कूल का पहला दिन उसकी मासूम जिंदगी का एक नया अध्याय था। वह सुबह तैयार होकर स्कूल की चमकदार इमारत में कदम रखती, मानो किसी नए सफर की शुरुआत हो। नई किताबें, नए दोस्त और नई अध्यापिकाएं—सबकुछ उसके लिए एक ताज़गी भरा अनुभव था। हालाँकि, रागिनी स्वाभाव से थोड़ी शांत और शरारती कम थी, लेकिन नए स्कूल में वह हर रोज़ कुछ नया सीखने के उत्साह में रहती।

वह सबसे ज्यादा अपने स्कूल के बड़े खेल मैदान को पसंद करती थी। हर रोज़ लंच ब्रेक में वह अपने दोस्तों के साथ वहां खेलने जाती थी। उसके मन में अपने दोस्तों के साथ खेलना और झूलों का आनंद लेना सबसे बड़ी खुशी थी। उस खुले मैदान में दौड़ते हुए उसे ऐसा लगता था जैसे वह आज़ाद है, जैसे कोई परिंदा खुले आकाश में उड़ रहा हो।

समय बीतता गया और देखते ही देखते पहली कक्षा का रिजल्ट आने का दिन आ गया। इस दिन का रागिनी ने बहुत बेसब्री से इंतजार किया था, लेकिन उसे यह अंदाज़ा नहीं था कि उसकी मेहनत का फल इतना मीठा होगा। जैसे ही रिजल्ट आया, रागिनी के माता-पिता को यह खबर मिली कि उनकी प्यारी बेटी ने पूरे स्कूल में पहला स्थान प्राप्त किया है। यह सुनते ही उनके चेहरे पर गर्व की चमक आ गई।

स्कूल की ओर से रागिनी को उसकी सफलता के लिए एक पुरस्कार दिया गया। वह मंच पर गई, जहाँ उसे सबके सामने सम्मानित किया गया। उस छोटे से पल ने न सिर्फ रागिनी के जीवन को बल्कि उसके माता-पिता के जीवन को भी खुशनुमा बना दिया।

रागिनी की परदादी, जो उसके परिवार की सबसे बुजुर्ग सदस्य थीं, ने रागिनी के पहले स्थान प्राप्त करने के लिए मन्नत रखी थी। उन्होंने भगवान से वादा किया था कि अगर रागिनी पहली कक्षा में पहले स्थान पर आएगी, तो वे भगवान के मंदिर में विशेष पूजा करेंगे। और जैसे ही यह मन्नत पूरी हुई, परदादी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके चेहरे पर संतोष और गर्व की झलक साफ नजर आ रही थी। उन्होंने अपनी पोती को आशीर्वाद दिया और परिवार ने मिलकर उस खुशी के पल का जश्न मनाया।

रागिनी के लिए यह सिर्फ एक रिजल्ट नहीं था; यह उसके जीवन की पहली बड़ी उपलब्धि थी। उसकी नन्ही आंखों में यह खुशी और गर्व ऐसा था, मानो उसने कोई बहुत बड़ा खजाना पा लिया हो। वह अपने माता-पिता की प्रशंसा सुनकर गर्व महसूस कर रही थी और खुद को एक जिम्मेदार विद्यार्थी मान रही थी।

पहली कक्षा में पहले स्थान पर आने के बाद, अब रागिनी के सामने दूसरी कक्षा की चुनौतियां थीं। वह अब नई कक्षा में प्रवेश करने जा रही थी, जहाँ उसे और ज्यादा मेहनत करनी थी। रागिनी के माता-पिता और उसके शिक्षकों को उस पर पूरा भरोसा था कि वह नई कक्षा में भी उसी तरह से अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन यह सफर अब पहले से थोड़ा कठिन होने वाला था।

दूसरी कक्षा में, पाठ्यक्रम और पढ़ाई का स्तर भी बढ़ गया था। अब उसे न सिर्फ अच्छे अंक लाने थे, बल्कि अपने अंदर की नई जिम्मेदारियों को भी समझना था। रागिनी की पढ़ाई में रुचि पहले से भी ज्यादा बढ़ गई थी। उसके पास अब नए विषय थे, जिन्हें सीखने की उत्सुकता उसके दिल में हर रोज़ बढ़ती जा रही थी।

रागिनी के स्कूल में एक और खास बात थी—उसकी दोस्ती। पहली कक्षा में उसे बहुत सारे नए दोस्त मिले थे, जिनके साथ वह हर रोज़ लंच ब्रेक में खेला करती थी। उसकी सबसे करीबी दोस्त रीमा थी, जो उसकी तरह ही मेहनती और समझदार थी। दोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी थी कि वे एक-दूसरे की हर बात समझती थीं। दूसरी कक्षा में भी रागिनी और रीमा का साथ बना रहा, और उन्होंने एक-दूसरे का सहयोग करते हुए पढ़ाई में भी एक-दूसरे की मदद की।

रागिनी और रीमा ने मिलकर स्कूल की हर गतिविधि में भाग लिया। चाहे वह खेल प्रतियोगिता हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम, दोनों ने मिलकर हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। रागिनी की यह दोस्ती उसे हर मुश्किल घड़ी में संबल देती थी और उसे और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करती थी।

रागिनी के जीवन में हर दिन एक नई खुशी लेकर आता था। स्कूल की सफलता, दोस्तों का साथ, और परिवार का प्यार उसे हर दिन कुछ नया सिखाता था। उसकी परदादी के आशीर्वाद और उसके माता-पिता के प्यार ने उसे यह सिखाया था कि जीवन में छोटी-छोटी सफलताएं भी बहुत बड़ी होती हैं।

रागिनी का जीवन एक सुंदर किताब की तरह था, जिसके हर पन्ने में एक नई कहानी थी। अब वह दूसरी कक्षा में थी, जहां उसे और भी नए अनुभव मिलने वाले थे। उसे पढ़ाई में और मेहनत करनी थी, नई दोस्ती बनानी थी, और अपने परिवार को गर्वित करने का सिलसिला जारी रखना था।

अगले एपिसोड में, रागिनी के जीवन की नई चुनौतियां और उसकी मासूम सफलता की कहानियां सामने आएंगी।

(अगली कक्षा की नई कहानियों के लिए अगले एपिसोड का इंतजार करें)