जिंदगी के पन्ने - 8 R B Chavda द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जिंदगी के पन्ने - 8

रागिनी का छोटा भाई अब एक साल का होने वाला था और उसका पहला जन्मदिन आने वाला था। रागिनी का परिवार इस खास दिन को धूमधाम से मनाना चाहता था। रागिनी के घर को बहुत सजाया गया था, पूरे घर में रंग-बिरंगे फूल, गुब्बारे और रंगोली से सजावट थी। रागिनी के पिता ने इस दिन को और भी खास बनाने के लिए एक बड़ा सा केक मंगवाया था और ढेर सारे नमकीन भी लाए थे। रागिनी के पिता ने छोटे भाई के लिए एक नई साइकिल भी खरीदी थी और ढेर सारे गिफ्ट्स भी लाए थे।

रागिनी के छोटे भाई का ये पहला जन्मदिन था और परिवार में सब लोग बहुत खुश थे। जन्मदिन के दिन केक काटने की तैयारी थी और रागिनी अपने छोटे भाई के साथ खड़ी थी, उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी। घर के सभी लोग, रागिनी के माता-पिता और रिश्तेदार, सब मिलकर इस खुशी में शरीक हो रहे थे। घर की हवा में मिठास थी और हर तरफ खुशी का माहौल था।

लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं रहने वाली थी। रागिनी के भाई के जन्मदिन के लगभग दो महीने बाद एक और दुखद घटना घटी। रागिनी की परदादी का देहांत हो गया। रागिनी के एग्जाम चल रहे थे और वह इन एग्जाम्स को लेकर काफी परेशान थी। उसकी परदादी रोज उसे सुबह उठाकर कहती, "बेटा, उठो, पढ़ाई करो, वक्त बर्बाद मत करो।" रागिनी को इस समय थोड़ा तनाव हो रहा था क्योंकि उसकी परदादी की रोज की बातें और सुबह जल्दी उठाने की आदतें उसे परेशान कर रही थीं।

एक दिन रागिनी ने अपनी परदादी से कहा, "माँ, कल मुझे जल्दी मत उठाना, मेरे एग्जाम्स खत्म हो गए हैं, अब मुझे थोड़ा आराम करना है।" उसकी परदादी हंसते हुए बोलीं, "बेटा, कल किसी ने नहीं देखा, कल जो होगा, वो होगा। पर तू चिंता मत कर।" रागिनी ने सोचा, ठीक है, आज वो आराम कर सकती है।

लेकिन यह रागिनी के लिए एक बड़ी अजीब और दुखद बात साबित हुई। अगले दिन रागिनी उठी और देखा कि उसकी परदादी का देहांत हो चुका था। यह खबर रागिनी के लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। उसने सोचा, "अगर मैंने अपनी परदादी से उस दिन यह बात नहीं की होती, तो क्या वो हमें छोड़कर चली जाती?" उसे इस बात का गहरा दुख था और उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अब उसकी परदादी कभी उसे सुबह उठाकर पढ़ाई के लिए नहीं कहेगी।

रागिनी को अपने परदादी के बिना जिंदगी जीने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। उसकी परदादी के साथ बिताए हर लम्हे की यादें रागिनी के दिल में गहरी बैठ गईं। परदादी के बिना उसे जीवन एकदम सुनसान सा लगने लगा। हर सुबह उसे अपनी परदादी की याद आती और उसके बिना सारा घर वीरान सा लगने लगा।

फिर रागिनी ने फैसला किया कि वह अपने दुख को अपनी ताकत बनाएगी। उसने सोचा कि अगर वह अपनी परदादी के दिए गए गहरे ज्ञान को अपने जीवन में उतार सके, तो उसकी परदादी की आत्मा को सुकून मिलेगा। उसने अपने आप से वादा किया कि वह जीवन में किसी भी मुश्किल का सामना करते हुए कभी हार नहीं मानेगी। वह अपनी परदादी की यादों को अपने दिल में संजोकर अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाएगी और उन सीखों को अपने जीवन में लागू करेगी, जो उसे परदादी ने दी थीं।

रागिनी ने अपने दुख को आत्मविश्वास में बदलने का मन बनाया। उसे समझ में आया कि जीवन के हर मोड़ पर कुछ न कुछ सीखने को मिलता है और वही उसे मजबूत बनाता है। वह अपनी परदादी की यादों को हमेशा अपने साथ रखेगी और हर मुश्किल को पार करने के लिए उनका आशीर्वाद समझेगी।

परिवार ने मिलकर रागिनी के दुख में उसका साथ दिया। सब लोग अपनी-अपनी तरह से परदादी को याद कर रहे थे, और उनके जाने के बाद घर का माहौल पहले जैसा नहीं था। लेकिन रागिनी ने अपने परिवार के साथ मिलकर परदादी की आत्मा के लिए दुआएं कीं और उनके द्वारा दिए गए सभी अच्छे पलों को याद करके अपना जीवन आगे बढ़ाया।

अब रागिनी ने अपने जीवन को नए तरीके से जीने का फैसला किया। परदादी की यादों को अपने दिल में हमेशा जिंदा रखते हुए, उसने तय किया कि वह हर दिन को एक नए अवसर के रूप में देखेगी। क्योंकि वह जानती थी कि जीवन में कभी न कभी एक नया मोड़ आता है, और हमें उसे स्वीकार कर अपने रास्ते पर आगे बढ़ना होता है।