लापता - बीस साल पहले Kishanlal Sharma द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लापता - बीस साल पहले

नही
प्रदीप हड़बड़ा कर उठ बैठा
"क्या हुआ
पति को बड़बड़ाता देखकर रमा की नींद खुल गयी थी।
"कुछ नही
"कुछ नही तो उठ क्यो गए।नींद में बड़बड़ा क्यो रहे थे
प्रदीप चुप रहा।उसे बोलता न देखकर।रमा ने लाइट जला दी।कमरे में उजाला फेल गया।उसकी नजर पति पर गयी तो वह चोंक गयी।पति पूरी तरह पसीने में नहाया हुआ था।वह काफी डरा और सहमा हुआ भी नजर आ रहा था।
"क्या बात है
"कुछ नही
"कुछ तो है तभी घबराये और डरे से लग रहे हो
"पिताजी
पति की बात सुनकर रमा बोली
कभी कभी ऐसा हो जाता है।तुंमने सपने में ई पिताजी को देखा और डर गए होंगे।डरो मत।सो जाओ
प्रदीप भी उस सपने को याद नही करना चाहता था।
उस रात बात आई गयी हो गयी।लेकिन जब बार बार पति के साथ ऐसा होने लगा तब रमा बोली
क्या बात है।मुझे बताओ न।क्या बात है जो तुम्हे रोज बेचेन करती है
सपने में पिताजी
सपने में तुम्हारे पिताजी आते हैं
हां
वह क्या कुछ कहते हैं
कहते हैं।बेटा मेरे कातिल जिंदा है
"कातिल,"रमा बोली,"तुम्हारे पिता तो लापता हुए थे।
"हां।शायद मैने तुम्हे यही बताया था
"शायद नही।तुंमने यही बताया था कि तुम्हारे पिता बीस साल पहले कहीं गए थे और फिर लौटे नही थे।तुम्हारी माँ ने पुलिस में रिपोर्ट भी कराई थी।उनकी काफी तलाश भी की गई थी।लेकिन वह नही मिले
"माँ ने जो बताया।वह जो दूसरों को बताती थी।वो ही मैने बताया था।मैं उस समय छोटा था।चार या पांच साल का लेकि न मुझे धुंधली याद है।
"याद है।तुम्हे क्या याद है
"शाम को ही माँ ने उसे कोठरी में छिपा दिया था
"किसे
"भीमा को
"यह भीमा कौन है
"गांव का छटा हुआ आदमी था।गांव के लोग उससे डरते थे।गुंडा दादा बदमाश कुछ भी कह सकते हो उसे
"तो तुम्हारी माँ।उसने उसे घर मे क्यो छिपाया था।
"माँ के उससे नाजायज ताल्लुकात थे।पिताजी खेत पर चले जाते तब भीमा माँ के पास आ जाता।औऱ माँ मुझे बाहर खेलने भेज देती औऱ घर का दरवाजा बंद कर लेती थी
पति से आपबीती सुनकर रमा बोली,"तुम क्या चाहते हो
"पिता के कातिलों को सजा
"अगर ऐसी बात है तो मैं तुम्हारे साथ हूँ।"रमा ने पति की बात का समर्थन करते हुए कहा,"बीस साल पहले का मामला है।इसे सिद्ध कैसे करोगे
"सबूत
और प्रदीप ने जिला अधिकारी को एक पत्र लिखा
मेरे पिता लापता नही हुए थे।बीस साल पहले उनकी हत्या की गई थी।
जिला अधिकारी नारंग का सिर पत्र पढ़कर चकरा गया था।उन्होंने पत्र को जिले के एस एस पी खान के पाश जांच के लिए भेज दिया था।
खान ने चिट्ठी पढ़ने के बाद प्रदीप को अपने पास बुलाया था।खान बोले,"तुंमने लिखा है तुम्हारे पिता लापता नही हुए उनकी हत्या की गई थी
जी,"प्रदीप बोला,"मेरे पिता के लापता होने की रिपोर्ट भी मेरी माँ ने लिखयी थी
खान ने पता किया।बीस साल पहले रिपोर्ट की गई थी।और रामदास नही मिला था।
"तुम्हे किस पर शक है?"
"शक नही मुझे पता है।उस समय मैं छोटा था।चार साल का था शायद।पर मुझे याद है धुंधला।हमारे मकान में कोटरी है जिसमे अनाज के बोरे रखे जाते थे।मेरी माँ के भीमा से अनैतिक रिश्ते थे।पिताजी को इस बात का पता चल गया था।पिताजी विरोध करते और इसीलिए मा ने भीमा को पिता के आने से पहले
और रात में दोनों ने मिलकर उनकी हत्या कर दी
"इस बात का सबूत क्या है
पिताजी के शव को आंगन में ही दफना दिया था।कोई शक न करे इसलिये माँ ने रिपोर्ट कराई और पिता को ढूढने का नाटक भी करती रही,"र प्रदीप बोला,"आप खुदाई करवा लो
और खुदाई कराने पर कंकाल बरामद हो गया
और बीस साल बाद कातिल पकड़े गए थे