Devils Passionate Love - 3 Moonlight Shadow द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • उजाले की ओर –संस्मरण

    मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है ल...

  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

श्रेणी
शेयर करे

Devils Passionate Love - 3

मनाली,

ताहिरी के घर में,

ताहिरी कि नज़रे एक ही चीज में जाकर टिक गई।

वो चीज एक पेंडेंट था जिस में एक चैन भी बंधी हुई थी।

वो पेंडेंट देख ने में काफी ज्यादा खूबसूरत था। इस पेंडेंट में बीचो-बीच एक blue color का diamond लगा हुआ था और दिल के आकार में था। इस पूरे pendant को देख कर ओर उसके बीच में जो diamond laga हुआ था उस को देख कर यह साफ पता चल रहा था कि वो एक काफी महंगा डायमंड है।.. इस डायमंड को सभी हार्ट ऑफ़ द ओसियन के नाम से भी जानते हैं। यह सच में दिखने में काफी खूबसूरत था और उसकी एक अलग ही चमक थी।

इस diamond Ko dekhkar हर्षित ने बोला, "ताहिरी दीदी यह तो वही पेंडेंट है ना जिस को आपने तब पहन रखा था जब आप मंदिर में सीडीओ के पास पापा को मिले थे। यह पेंडेंट यह साबित करता है कि आप किसी बड़े घर की बेटी है जिन को unhone एक pendant ke sath chhod Diya.. लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आई की आप को अगर उन लोगों ने उस पेंडेंट को पहनाया हुआ था जिसे यह पता चले कि आप किसी बड़े घर की बेटी है lekin फिर भी  unhone aapko chhod Diya मंदिर के बिच में इस का vajah kya ho sakta hai?"

ताहिरी ने अपने चेहरे पर एक अजीब सा एक्सप्रेशन लाते हुए कहा, "अरे यह तो सच में मुझे नहीं पता कि जब वो लोग मुझे छोड़ ही रहे थे तो फिर मेरे गले में इतना महंगा पेंडेंट क्यों उन लोगों ने छोड़ा यह क्या किसी भी तरीके का साज़िश है या नहीं यह तो मुझे पता नहीं चल रहा। लेकिन मैंने इस को कभी भी कुछ किया नहीं यह सोच कर कि अगर कभी किसी को मेरी कभी जरूरत हो और वो मुझे ढूंढते हुए किसी वजह से आए तो यह पेंडेंट दिखा कर वो मुझे ढूंढ सके इसीलिए मैंने उस को कभी भी बेचा भी नहीं।"

वो लोग इस टॉपिक पर बातें कर ही रहे थे कि तभी उनके कमरे में नताशा जी आई।

नताशा जी ने हर्षित से बोला, " तू अब ताहिरी से ज्यादा बातें मत कर क्योंकि उसे अभी अपने सारी चीज अच्छी तरह से पैक कर लेने दे। अगर गलती से भी किसी चीज छूट गया तो उसे दिक्कत हो जाएगी और वो उसे लेने वापस भी यहां नहीं आ पाएगी। इसके अलावा उसकी कल सुबह की फ्लाइट है इसीलिए उसको अभी अच्छी तरह से आराम कर लेने दे सब कुछ पैक कर लेने के बाद समझी?"

हर्षित ने नताशा जी को जवाब देते हुए बोला, " लेकिन मम्मी दीदी तो काली चली जाएगी तो उन से फिर कब और कितने दिन बाद फिर से बात हो पाएगी यह तो पता नहीं इसीलिए मुझे दिल खोल कर उन से बात कर लेने दिजिए।"

नताशा जी ने हर्षित को डाट ते बोला कि, " नहीं बिल्कुल नहीं तुम अभी उसको छोड़ो और अपनी पढ़ाई के लिए जाओ। उसे अपना काम करने दो अच्छी तरह से जिससे उसे कुछ या कोई भी सामान छूट ना जाए। और आज उससे अच्छी तरह से आराम कर लेने दो क्योंकि कल उसको यहां से जाना है और वहां पर जाकर भी बहुत सारे काम करने हैं उसे इसीलिए वह काफी थक जाएगी और उसे आराम की जरूरत भी होगी।

और तुम जो बार-बार बोल रहे हो की बात नहीं होगी बात नहीं होगी कैसे नहीं होगी? आज कल मोबाइल का जमाना है। उस के पास मोबाइल फोन है तो फिर किस बात की टेंशन?"

ताहिरी इतनी देर से बस उनकी बात को सुने जा रही थी। अब उसने नताशा जी की बात को सुन के हर्षित से बोली, " अरे तुझे किस बात की टेंशन मम्मी ने बिल्कुल सही कहा मोबाइल हे तो फिर हमारी रोज बात होगी। अरे तू अभी जा कुछ पढ़ाई कर ले मैं पैकिंग कर के सीधा डाइनिंग टेबल पर अति हु वहां पर हम लोग बातें करेंगे बाकी का ।"

Tahiri की बात सुन कर वह कुछ भी नहीं बोल पाई और हर्षित वोह से जाकर अपने पढ़ाई के लिए चला गया।

ताहिरी भी फिर से अपनी पैकिंग में जुड़ गई। नताशा जी भी माया की मदद करने लगी पैकिंग में।

कुछ देर बाद,

डाइनिंग हॉल में,

सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर अपना-अपना खाना खा रहे थे। वहां पर सभी लोग बैठे हुए थे नताशा जी, अभिजीत जी, उन के चाचा के बेटी इसिता, ताहिरी ओर Harshit भी बैठे हुए थे।

वो लोग सभी अपना-अपना खाना खा रहे थे और इशिता और हर्षित में तो एक दूसरे में नोकझोंक और लड़ाई हो रही थी हमेशा की तरह जैसे वह लोग करते थे।

ताहिरी शांति से अपना खाना खा रही थी। नताशा जी और अभिजीत जी से कभी-कभी ताहिरी बातें भी कर रही थी aur Ishita aur Harshit ko chup hone ke liye bhi bol rahi thi कभी-कभी।

हर्षित ने इशिता से लड़ते हुए बोला, "तू फिर से मेरे हिस्से का खा रही है मैंने तुझ से माना किया था ना की mere plate se kabhi bhi mat uthaya kar mujhe pasand nahin aata yah.."

इशिता ने भी हर्षित से झगड़ते हुए बोला, "हां मुझे पता है तुझे यह पसंद नहीं है। लेकिन मुझे भी तेरे प्लेट से खाना लेकर खाने में ही मजा आता है।"

ऐसे ही उन लोगों की नोकझोंक चली रही थी की तभी नताशा जी ने उन दोनों को ही डाट ते हुए बोला, " तुम दोनों चुप होते हो या फिर मैं तुम दोनों को ही आज घर से बाहर निकाल दूं फिर दोनों ही bahar thand mein sari Raat bitana...

ताहिरी से कुछ सीखो तुम लोग कैसे चुप चाप शांति से अपना खाना खा रही है और हम से बातें भी कर रही है।"

नताशा जी जब उन दोनों को डांट रही थी वह दोनों बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे और चुपचाप उनकी डांट सुन रहे थे।

यह तो इन दोनों के लिए हमेशा का ही था। हमेशा यह लोग लड़ते झगड़ते रहते हे। और जैसे ही नताशा जी इनको डांटने लगते और यह दोनों चुप हो जाते।

नताशा जी की डांट सुनते-सुनते वह दोनों भी अब शांति से अपना अपना खाना खाने लगे।

कुछ देर बाद,

सभी लोगों ने अपना-अपना खाना खा लिया था। ताहिरी भी अपने कमरे में चली गई और बाकी सब भी अपने अपने कमरे में सोने चले गए।

ताहिरी अपने कमरे में जाकर अपने कमरे के बालकनी से चांद को निहार रही थी। आज चांद काफी ज्यादा सुंदर लग रहा था और ऐसी चमक थी ताहिरी में भी थी। ताहिरी का चेहरा भी बिल्कुल चांद जैसा चमक रहा था। चांद में और ताहिरी की चेहरे में सिर्फ इतना ही फर्क था कि चांद में छोटा सा दाग था और ताहिरी के चेहरे में कोई भी दाग नहीं था।

उस ने चांद को निहारते हुए ही अपने आप से बोली, " मम्मी पापा आप लोगों ने मुझे इतनी साल तक पाल पॉस्कर बड़ा किया है लेकिन अब वक्त आ चुका है कि मैं यहां से कहीं जाकर आपकी साड़ी एहसान चुका दूं और मेरे असली पहचान को ढूंढ लू। अब वक्त आ चुका हैमैं आप लोगों से जुदा होकर आपके सारे एहसान चुका के अपने असली मां बाप को ढूंढ लू। आप लोगों ने मेरे साथ बैठकर यह आखिरी खाना खाया है शायद फिर कभी आप मेरे साथ खाना ना खा पाए और मुझे देखभी ना पाए। मुझे अपना सच ढूंढना ही होगा किसी भी हल में।"

दूसरी तरफ,

नॉर्थ अटलांटिक ओसियन में उसी जहाज पर,

एक आदमी को उस जहाज की बेसमेंट में बंद कर रखा गया था। उसके हाथ पैर बंधे हुए थे और मुंह पर एक कपड़ा ठूसा हुआ था।

उसे आदमी के एकदम सामने वही 25 साल का नौजवान लड़का बैठा हुआ था।

उस 25 साल के नौजवान लड़के ने उसे बंदे हुए आदमी से बोला, " मिस्टर थॉमसन मैंने आपसे पहले भी कहा था कि आप यह डील किंग को दे दीजिए। मगर आपने तो मेरी सीधी बात मनी नहीं और किंग का गस्सा तो आप को बिल्कुल अच्छी तरह से पता है कि उनको ऐसे आदमी बिल्कुल पसंद नहीं है जो उनके काम में रुकावट लाए या फिर उनकी बात ना माने तो फिर मैं अभी भी आप से प्यार से बोल रहा हूं आप मान जाइए इस डील के लिए। इस डील से आपको भी फायदा होगा और हमें भी।"

Mr Thomson bus apna sar Naa में ही hilate rahe..

फिर से 25 साल के नौजवान लड़के ने गुस्सा होते हुए बोला, " ठीक है आपकी मर्जी अब आप नहीं मानेंगे तो मैं हम भी आपसे प्यार से बात बिल्कुल भी नहीं करेंगे। Aur aage King aap se baat karenge main aur aapse baat nahin karunga aur apna time bhi barbad nahin karunga... आप तैयार हो जाइए किंग की बेरहमी बर्दाश्त करने के लिए।"

इतना बोल कर वह नौजवान लड़का वहां से चला गया और सीधा जहाज में ही बने एक और कमरे की तरफ चला गया। वह जवान लड़का उसी सिल्वर आंखों वाले लड़के के पास जाकर बोला, " आयान सर वह नहीं मान रहे हैं प्यार से अब आप ही उनसे निपट लीजिए। वह काफी डिट किस्म के है। मैंने उनसे बहुत देर तक प्यार से बात किया और उन्हें समझाने की भी बहुत कोशिश लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।"

वह सिल्वर आंख वाले लड़के ने उस नौजवान लड़के से कहा," ठीक है अब मैं उसे अपनी भाषा में बात करूंगा लेकिन उस को तो वह डील मुझे देना ही होगा।"

इतना बोल कर वह वहां से उस बेसमेंट की तरफ बढ़ गया।

क्या होगा अब आगे?

आयान मिस्टर थॉमसन के साथ क्या करने वाला था?

ताहिरी आखिर अपने परिवार से दूर जाने की बात क्यों कर रही थी?

आखर ताहिरी अपनी किस पहचान की बात कर रही थी?

इन सभी सवालों के जवाब को जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह कहानी को।

To be continued...