रिश्तो की कश्मकश - 10 Naaz Zehra द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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रिश्तो की कश्मकश - 10

अब आगे



शान की बात सुनकर,,, चारों मुस्कुराने लगी,, फिर नीर मुस्कुराते हुए,,,बोली हां जीजू हो गया हम लेडिस का मिलना जुलना,,,, शान हां फिर चलो यह कहकर शान नीर को लेकर कमरे से निकल गया।,,,


थोड़ी देर बाद

संदीप घर आया,, उसने मीत और आलिया को उदास बैठा हुआ देखा तो बोला ,, क्या बात है,,, आज तुम दोनों इतनी उदास क्यों हूं,, किसीने कुछ कहा है ,,किया।,, मीत संदीप की बात सुनकर बोली नहीं भाई किसने कुछ नहीं कहा है,,


वो नीर अपने घर चली गई,, इसलिए हम दोनों उदास है, यह बोलकर मीत ने अपना सर नीचे झुका लिया।,,, संदीप ने जैसे ही मीत की बात सुनी तो जल्दी से बोला ,,क्या नीर अपने घर चली गई,, लेकिन क्यूं ,,,, और तुमने उसे जाने दिया यह बोलते हुए संदीप के चेहरे पर गुस्सा था।,,



मीत ने संदीप को इतने गुस्से में देखा तो कन्फ्यूज होकर बोली मैं क्या करती जब भाई ने नीर को भेजा है,, संदीप पर कियू ,,,, चलो यह सब छोड़ो जल्दी से यह बताओ ,,, नीर कब गईं हैं,,,, आलिया संदीप की बात सुनकर खाड़ी होकर बोली बस भाई अभी गई है, आप आएं हैं और नीर गई है,,, संदीप आलिया की बात सुनकर जल्दी से वहां से चला गया,,,,,


थोड़ी देर बाद

संदीप स्टेशन पर पहुंचा।,,,और नीर को ढूंढ ने लगा संदीप नीर को ट्रेन के हर डिब्बे में देखते हुए जा रहा था,, इतने में उसकी नजर शान पर पड़ी ,, जो खड़ा नीर से बात कर रहा है,,संदीप शान को देखकर अपनी जगह रोक गए।,,,



संदीप ने नीर की तरफ देखा ,,,, अभी संदीप नीर को देख ही रहा था इतने में ट्रेन चलने लगी,,, शान ठीक है नीर मैं मैं जा रहा हूं,,तुम संभाल कर जाना,,और तुम पहुंच कर फोन करना।,,, नीर शान की बात सुनकर बोली ठीक है,, जीजू शान वहां से चला गया,,,,



संदीप नीर को जाता देख अपने मन में बोला बस एक बार मेरी तरफ देख लो।,, जनता हो तुम मुझसे नाराज़ हो लेकिन फिर भी बस एक बार देख लो,,यह बोलकर संदीप उम्मीद भरी नजरों से नीर को जाते हुए देखने लगा।,,,



वही नीर जो ट्रेन के अंदर जा रही थी,,, एकदम से नीर ने बाहर देखा तो उसकी नज़र संदीप पर जा कर रोक गई।,, संदीप जो नीर को ट्रेन के अंदर जाता देख ,उदास हो गया था ,, लेकिन जैसे ही संदीप ने नीर ख़ुद को देखते पाया तो उसने अपने दोनों हाथों से बालों को उपर किया,, और मुस्कुराते हुए बोला अब तो तुम्हें मेरा होना होगा ,,मेरी जान।




संदीप मुस्कुराते हुए, नीर को जाते हुए देखने लगा।,,, वही नील ने संदीप को देखा तो उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई,, नीर जल्दी से अंदर आई और अपनी सीट पर बैठकर संदीप के बारे में सोचने लगी।,,,




दो दिन बाद

नीर का घर,,,,,,, नीर की सारी फैमिली हाॅल में बैठी बातें कर रही थी ,,इतने में किसी ने गेट नोक किया,, पूजा दरवाजा खोलना जाती,, इतने में शालिनी की बड़ी बेटी सुमन बोली मां आप बैठिए में देख कर आती हूं ,,



यह कहकर सुमन दरवाजा खोलना चली गई ,जैसे ही सुमन ने दरवाजा खोला तो एक औरत खड़ी थी, सुमन उनको देखकर बोलो जी आप कौन आपको किसी से मिलना है, औरत सुमन की बात सुनकर मुस्कुरा कर बोली बेटा मिलना तो मुझे तुम्हारी फैमिली से है,, सुमन उसे औरत की बात सुनकर कंफ्यूज होकर उसको देखने लगी ,,,,,,



औरत सुमन को कंफ्यूज देखकर हंसते हुए ।,,बोली बेटा शायद तुमने मुझे पहचाना नहीं मेरा नाम लक्ष्मी है, और मैं शान की बुआ हूं ,,,सुमन ने जैसे ही यह सुना वह जल्दी से दरवाजे के पास से हटी,, और बोली सॉरी आंटी मैंने आपको पहचाना नहीं आप अंदर आइये,, लक्ष्मी सुमन की बात सुनकर अंदर आ गई और हाल की तरफ चल दी,, जैसे ही शालिनी और राजेंद्र ने लक्ष्मी को दिखा तो शालिनी खड़े होकर बोली अरे बहन जी आप यहां आई बैठिए ।,,यह कहकर उन्होंने सोफे की तरफ इशारा किया,,,





लक्ष्मी शालिनी की बात सुनकर जाकर सोफे पर बैठ गई ।,,,,और बोली आपको मेरे आने से कोई परेशानी तो नहीं हुई,, शालिनी कैसी बात कर रही है,, बहन जी आप हमारी फैमिली मेंबर है,, आपके आने से क्या ही परेशानी ,,, शालिनी सुमन की तरफ देखकर बोली ,,



सुमन जाकर आंटी के लिए खाने को लेकर आओ ।,,सुमन जी मां यह बोलकर सुमन किचन में चली गई,,, लक्ष्मी ने नीर की तरफ देखा,, और बोली तुम कैसी हो बेटा नीर मैं ठीक हूं,, आंटी आप बताएं आप कैसी हैं,,, आपकी तबीयत तो ठीक है ना,,



लक्ष्मी हां मेरी तबीयत भी ठीक है ,,,और मैं भी ठीक हूं यह कह कर लक्ष्मी मुस्कुराने लगी ,,,थोड़ी देर बाद ,,,, लक्ष्मी राजेंद्र की तरफ देखकर बोली भाई साहब आपसे मुझे कुछ जरूरी बात करनी है,,,, राजेंद्र हां बोलिए बहन जी क्या बात करनी है,,, आपको ,,लक्ष्मी ने सब बच्चों की तरफ देखा ,,,और फिर राजेंद्र की तरफ,,,


राजेंद्र लक्ष्मी बात समझकर उन्होंने सुमन की तरफ देखा,, और बोले सुमन सबको लेकर अंदर जाओ,, सुमन राजेंद्र की बात सुनकर सबको लेकर अंदर चली गई ,,,राजेंद्र लक्ष्मी की तरफ देखकर बोले अब बोलिए बहन जी आपको क्या बात करनी है,,,



लक्ष्मी राजेंद्र की तरफ देखकर बोली भाई साहब में यहां अपने भांजे संदीप के लिए आपकी बेटी नीर का हाथ मांगने आई हूं,,,राजेंद्र ने जैसे ही लक्ष्मी की बात सुनी तो वो शांत हो गए ,,लक्ष्मी ने राजेंद्र को शांत देखा तो उन्होंने परेशानी से शालिनी की तरफ देखा,, और बोली देखिए बहन जी आप लोग जो भी जवाब दे, तो सोच समझ कर देना,,क्योंकि यह मेरे भांजे की जिंदगी का सवाल है,,,



राजेंद्र लक्ष्मी की बात सुनकर बोले मुझे माफ कर देना,, लेकिन मैं अपनी बेटी की शादी संदीप से नहीं कर सकता,, राजेंद्र की बात सुनकर लक्ष्मी अपने हाथ जोड़कर बोली देखिए भाई साहब प्लीज ऐसा मत कीजिए ,,मेरा संदीप बहुत अच्छा है ,,वह आपकी बेटी को खुश रखेगा ,,आप प्लीज मना मत कीजिए ,,,,


राजेंद्र देखिए बहन जी आप गलत समझ रही है ,,मुझे पता है संदीप बहुत अच्छा लड़का है,, लेकिन मैं एक घर में अपनी दो बेटी नहीं कर सकता,, प्लीज मुझे माफ करना लेकिन मैं यह रिश्ता मंजूर नहीं कर सकता,,, यह कहकर राजेंद्र ने लक्ष्मी के आगे हाथ जोड़ लिए लक्ष्मी राजेंद्र के मना करने से लक्ष्मी की आंखे नम हो गई,,, और अपने मन में बोली मुझे माफ कर देना संदीप मैं तुम्हें तुम्हारा प्यार नहीं दे सकी,, हो सके तो मुझे माफ कर देना बेटा,,,,



To be ,,,,,,,continue