पागल - भाग 57 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 57

मैं बहुत परेशान थी ।मैं उठी और अभिषेक की मां के कमरे में चली गई । अभिषेक तब तक जा चुका था । अभिषेक की मां अकेले वहां बैठी कुछ सोच रही थी तभी मैने भी उनकी गोद में सिर रख दिया।

"मां,, मैं क्या करूं अब? " मैं ने उदासी भरे स्वर में पूछा।
"तेरा दिल क्या चाहता है बेटा?" अभिषेक की मां ने मेरे गालों को छूकर पूछा।

"राजू अभिषेक को अपना पिता मानता है। मैं अभिषेक से उसका बेटा और राजू से उसका पिता कैसे छीन सकती हूं मां? "
"इसका मतलब है तू राजीव के साथ जाना चाहती है?"
"मां मैने कभी भी अभिषेक को उस नजर से देखा ही नहीं । सारी जिंदगी भी उनके साथ रह लूंगी तो भी शायद मैं उन्हे प्यार नही कर पाऊंगी । उन्हे कोई झूठी आस नही बंधा सकती ।"

"तो फिर तुम्हे तुम्हारे राजीव के साथ चले जाना चाहिए"
"लेकिन राजू को कैसे मनाऊंगी मां?"
"उससे बात करके देखो"
"बेटा कभी कभी जिंदगी हमें दोराहे पर लाकर खड़ी कर देती है । अब कौनसे रास्ते पर जाना है ये तो हमें ही तय करना पड़ता है ।"

मैं फिर चुपचाप उठकर अपने कमरे में आ गई ।
अब सबकुछ राजीव (मेरे बेटे) पर निर्भर था।

मैं राजीव को समझाते हुए बोली की अब हमें अगर पापा से दूर जाना पड़े तो क्या वो मेरे साथ आयेगा ।

उसने फुदक कर अभी की गोद में बैठते हुए कहा कि" नई आपको जहां जाना है जाओ मैं तो पापा के साथ रहूंगा । "
अभिषेक ने मुझे समझाया कि मुझे अब राजीव के साथ जाने की तैयारी करनी चाहिए राजू को वो समझा देंगे ।

मैं बुझे मन से बैग पैक करने लगी। जब आई थी तब कुछ नही था मेरे पास मगर आज ले जाने के लिए बहुत समान है ।मैने एक तस्वीर उठाई जिसमे अभिषेक मैं,राजीव और मांजी थे उसे अपने बैग में रख लिया । मेरी आंखें नम थी। ऐसा क्यों होता है कि किसी एक रिश्ते को निभाने के लिए हमें दूसरे को खोना पड़ता है। दिल दर्द से भर गया था।

अगले दिन राजीव मुझे लेने घर आ गया था । वह अब साधारण भेस में था । साधु वाला चोगा उसने उतार दिया था। हेयरकट करवा लिए थे और शेविंग भी ।

राजू बहुत रो रहा था ,, वो अभिषेक से दूर नहीं जाना चाहता था राजीव ने उसे बहुत समझाया मगर वो नही मान रहा था । मां और अभी की आंखों से भी अश्रुधारा बह रही थी।

अभिषेक उसे बार बार चूम रहा था। मैंने मां को गले से लगा लिया। वह बहुत प्यार से बोली मुझ बूढ़ी मां से मिलने तो आयेगी न । मैं बहुत रोई । अभिषेक ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और पूछने लगे "क्या तुम्हे एक बार गले लगा सकता हूं?"
उनके इस सवाल से मैं असमंजस में थी मैने राजीव की और देखा । उसने पलके झपका कर अनुमति दी। अभिषेक ने मुझे गले से लगा लिया । बहुत टाइट पकड़ थी उनकी जैसे मुझे नही जानें देना चाहते हो । उस वक्त दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी । जैसे उनके हग से दिल टुकड़ों में टूट गया हो । मेरे अंदर कुछ टूट रहा था । पर मैं समझ नही पाई ।कुछ देर में उन्होंने मुझे छोड़ दिया।

मैने कहा "अभिषेक राजीव को यही रहने दीजिए। वो मेरे बिना तो रह लेगा मगर आपके बिना नहीं । "

"ये कैसी बातें कर रही हो कीर्ति? वो मेरा भी बेटा है" राजीव ने ऐतराज जताते हुए कहा

"राजीव तुम यहां मुझे लेने आए थे ना तुम्हे तो पता भी नही था कि तुम्हारा कोई बेटा भी है । मैं हाथ जोड़ती हूं इसे यही रहने दो " मुझे राजीव का राजू पर हक जताना अच्छा नही लग रहा था । लेकिन क्यों ? मुझे भी इस बात का जवाब नहीं पता था ।
राजीव का मन तो बिलकुल नहीं था मगर मेरी रिक्वेस्ट पर वह मान गया।

मैं और राजीव अपने घर अपने शहर की और निकल पड़े। राजीव ने रास्ते में से सम्राट अंकल को कॉल करके सबकुछ बता दिया था वो बहुत खुश था
"ताऊजी,, एक बड़ा सरप्राईज है सबके लिए बस आपको बता रहा हूं सभी को इकट्ठा कर लो मगर बताना नही कि सरप्राइस क्या है । मेरे साथ कीर्ति आ रही है "

"क्या ,, तू सच कह रहा है बेटा? " सम्राट अंकल का गला भर आया था ।

"हां"
सम्राट अंकल ने पूरे घर में तैयारिया करवा ली । और कहा राजीव आ रहा है इसलिए ये सब क्योंकि वह भी बहुत समय बाद आ रहा है ।

सभी खुश थे शाम तक सभी , मीशा ,जीजू, मिहिर , निशी , मेरे मम्मी पापा, अंकल आंटी सभी राजीव के घर आ चुके थे और सभी हमारे आने का इंतजार कर रहे थे।

क्या होगा जब हम पहुचेंगे घर ? सबका कैसा रिएक्शन होगा ? सालों बाद में उनसे मिल रही थी ।देखते है क्या होता है ।