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पागल - भाग 6

भाग–६

दोस्तों अब तक तो मैं उसका नाम नही जान पाई । देखते है कब तक वो छुपा सकेगा अपना नाम ।

अगले दिन संडे था , मैं जल्दी उठकर कॉलेज के लिए तैयार हुई तो मम्मी ने कहा , "अरे आज भी कॉलेज जायेगी क्या?"
"ओह, यार आज तो सन्डे है ,मैने मोबाइल में डेट और डे देखते हुए कहा, मैं उसे देख भी नही पाऊंगी सोचकर दिल उदास हो गया ।"

"अच्छा सुन , आज रोहिणी की थोड़ी तबीयत खराब है , मुझे ले चल ना उसके घर , तू अंदर मत आना बाहर से ही छोड़कर आजा फिर लेने आ जाना" मम्मी ने रिक्वेस्ट की । वैसे रोहिणी आंटी का घर ज्यादा दूर नहीं था । मैने मम्मी से ओके कहा । "लेकिन मम्मा पापा के साथ अकेले में नही रहूंगी । "
"खा नही जायेंगे तुझे । "
"अरे डर लगता है मम्मी बहुत उनसे ।"
मम्मी हंसने लगी ।

मम्मी ने घर के सारे काम निपटा लिए और फिर पापा से बोली, " सुनिए जी , मैं रोहिणी के घर जा रही हूं , उसकी तबीयत खराब है, आप खाना खा लीजिएगा, कीर्ति से कहना गर्म कर देगी ।"

"कीर्ति को लेकर जाओ, मैं खाना गर्म कर लूंगा ।" पापा ने कठोर आवाज में बस इतना कहा ।

मम्मी ने मेरी और देखा , वैसे भी मैं पापा के साथ अकेले रहने में डरती थी । सो मम्मी के साथ जाना ही उचित लगा ।
मैने जींस के ऊपर येलो टॉप पहना और एक हल्का सा बन बालों का बना लिया , मैं कभी ठीक से तैयार नहीं होती थी ।

रोहिणी आंटी के घर के बाहर से ऐसा लगा कि मैं अंदर ना जाऊं ।
"मम्मी में आसपास कहीं बैठती हूं आप फ्री हो जाओ तो मुझे बुला लेना । "
"कहां बैठेगी अंदर ही चल मम्मी ने कहा "
मैं कुछ कहती उससे पहले रोहिणी आंटी की बेटी मिशा आकर बोली अरे आंटी आइए न ,कीर्ति आओ ना अंदर । अब मैं उसे कैसे मना करती ।बचपन में वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी । थी वो मुझसे बड़ी लेकिन हम अक्सर साथ खेलते थे । उसने बुलाया तो मुझे अंदर जाना पड़ा ।
मम्मी रोहिणी आंटी से मिली । आंटी ने मुझसे हालचाल और पढ़ाई का पूछा , और मैं मिशा के साथ बातें करने लगी ।

"राजीव दिखाई नही दे रहा" मम्मी ने पूछा ।
"पता नही मम्मी को राजीव से इतना लगाव क्यों है , "मेरे दिल से आवाज आई.।
"राजीव" मिशा ने आवाज दी ।

वह सीढ़ियों से उतर कर आ रहा था जब मैने देखा तो उसके पैर दिखे मैं उसे अनदेखा करना चाह रही थी तो मैंने नज़रे हटा ली । वह नीचे आया उसने मम्मी के पैर छुए और कहा । "अरे आंटी आज आप यहां कैसे?"
उसकी आवाज ने दिल की धड़कने बड़ा दी ।

"हाई कीर्ति" उसने मुझसे कहा ।
"तुम मिल चुके हो?" मिशा ने पूछा ।
"हम एक ही कॉलेज में है " राजीव बोला ।
मैने हिम्मत करके फिंगर्स क्रॉस करके पलकें उठाकर उसकी और देखा । तो दिल इतना जोर से धड़का जैसे मुंह से बाहर आ जायेगा ।
"रावण" मेरे मुंह से निकला ।
सभी मेरी और देखने लगे ।
मिशा हंसते हुए बोली ,इसने तुम्हे भी यही नाम बताया ? इसी नाम से फेमस है ये ।
"हां इसने मुझे भी अपना नाम नही बताया, मैं तो शॉक्ड हूं इसे यहां देखकर ।" मैने शिकायती लहजे में उसकी और देखा ।

"सॉरी बाबा, मुझे मजा आ रहा था तुम्हे परेशान करने में"
"चलो अच्छा है , तुम कीर्ति के कॉलेज में हो अब मेरी टेंशन खतम" मम्मी ने कहा ।
"क्या टेंशन थी आपको?" मैने पूछा
"अरे लड़की हो , कोई परेशानी हो जाए तो टेंशन रहती है ।"
"अरे आंटी इससे तो कोई पंगा ना ले, सब डरते है" राजीव ने कहा और मेरे पास आकर बैठ गया । मिशा रसोई में चाय नाश्ता लेने चली गई । और मम्मी और आंटी ,आंटी के बेडरूम में ।
अब मैं राजीव के साथ अकेली थी । राजीव मेरे बहुत करीब बैठा था , इसलिए दिल धड़कने से भी डर रहा था कि कहीं वो धड़कनों को ना सुन ले ।
"तो राजीव नाम है आपका"
"आखिर जान ही लिया"
"तो कुछ दिन पहले तुम घर आए थे पार्सल देने "
"हां"
मैने सिर पीट लिया काश बाहर जाकर देख लिया होता । या पहले ही रोहिणी आंटी के घर आ जाती । पार्सल देने ।

"क्या सोच रही हो?" उसने पूछा
"यही कि तुम पार्सल पहुंचाने का काम अच्छा करते हो डिलीवरी बॉय बन जाओ"
" हे हे हे हे हे हे हे हे, वेरी फनी " उसने मुंह बिगाड़ते हुए कहा ।

आखिर आज मुझे उसका नाम पता चल चुका था । जल्द ही हम लोग घर आ गए ।
हम रोज कॉलेज मिलते ,अब उसकी मेरी दोस्ती गहरी होने लगी थी । मुझे उसका साथ पसंद आने लगा था । हम लोग बेस्ट फ्रेंड थे मैं मम्मी को सब बताती थी और मम्मी खुश थी कि आखिरकार मुझे कोई दोस्त मिल गया । क्योंकि मम्मी जानती थी कि मेरा कोई दोस्त नहीं है । कॉलेज में सब सोचते थे कि जो कीर्ति किसी से बात नही करती थी वो राजीव के साथ इतनी सहज कैसे है? अक्सर कोई एक दोस्त ही ऐसा होता जिससे हम अपने दिल की हर बात कह पाते है । जिसके साथ हम ऐसे जीते है जैसे हम खुद के साथ जी रहे हो । वो हमारा ही साया बन जाता है । मेरे लिए रावण वही दोस्त था मेरा , मैं उसे रावण ही कहती थी । और मैं उसके सामने पागलों जैसी मस्तियां करती रहती थी और कई बार रास्ते में नाचने लगती थी तो वह मुझे पागल कहने लगा था ।

उसका नाम रावण और वहीं से मेरा नाम पड़ा पागल।

क्या होगा अब कहानी में आगे देखते है । धन्यवाद 🙏


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