पागल - भाग 10 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 10

भाग–१०

दोस्तों मैने आपको बताया कि कैसे राजीव ने मुझे साड़ी गिफ्ट खरीद कर दी और कैसे मैने उसे उसका प्यार समझ लिया । राजीव ने मुझे कुछ कहने के लिए धर दबोचा लेकिन कह ना पाया ।मैं उसे ढूंढ रही थी। मैं वापिस नीचे आई। पर वो नहीं मिला ।

"आखिर कहां चला गया है वो? कहना क्या चाह रहा था ? क्या वो मुझसे अपने प्यार का इजहार करने वाला था?" अनेक विचारों ने मुझे घेर लिया था ।

उसे ढूंढते ढूंढते मैं थक चुकी थी और वो पता नही कहां चला गया था । दोपहर के 2 बजे सगाई थी। अभी 12 बज रहे थे । मुझे तैयार होने घर जाना था । इसलिए मैं घर चली गई ।

घर जाकर मैंने सोचा थोड़ा आराम कर लूं। मैं सिर धोकर नहाना चाहती थी लेकिन बहुत थकान लग रही थी । मैं थोड़ी देर बिस्तर पर लेटी तो मुझे ना जाने कब नींद लग गई जब नींद खुली तो 1 बज चुका था । मैने जल्दी से हाथ मुंह धोए और वो लहंगा निकाला जो राजीव ने मेरे लिए पसंद किया था।

पिंक और ब्लू लहंगा , पिंक जूतियां , पिंक और ब्लू ही सारी ज्वैलरी पहनी थी मैंने , सिर ना धो पाने की वजह से बालों का क्या करूं कुछ समझ नही आ रहा था। कुछ तीन चार स्टाइल किए मगर एक भी सूट नही कर रहा था । मुझे अब गुस्सा आने लगा था । लेकिन उसके लिए भी वक्त नहीं था ।
हारकर फिर से सिंपल सा बन बना लिया और आगे दो लटे निकाल कर उन्हें कर्ल कर लिया । आंखों में गहरा काजल और आईलाइनर लगाया । और जल्दी से वापिस मैरिज हॉल पहुंची। जहां बारातियों को रूकवाया था वो होटल हॉल के पास थी । मैं लेट हो चुकी थी, इसलिए सीधा हॉल पहुंची।

राजीव वहां था । मैने सोचा कि वो मुझे लहंगे में देखकर खुश होगा तारीफ करेगा लेकिन ये क्या ?

उसका तो ध्यान ही नही गया मुझ पर,,

"राजीव" मैने उसे आवाज दी।
"हां, "वो मेरे करीब आया ,
"कैसी लग रही हूं?"
"बहुत सुंदर , उसने मेरी और देखे बिना ही कहा , उसका ध्यान कहीं और था , मुझसे बातें करते करते भी वो कही और देख रहा था ।
मुझे उसका ऐसा करना बुरा लगा ।
"मैने उसकी नजरों का पीछा किया तो उसकी नजर की सीध में एक लड़की खड़ी थी।

"किसे देख रहा है तू?" मैने कन्फर्म करने के लिए पूछा ।
"सुन ना, किसी से कहेगी तो नही ?"
"क्या , सुबह से बकवास कर रहा है , बोल ना अब?"
"यार तू सुबह उस लड़की से बात कर रही थी ना?" उसने उस लड़की की और इशारा करते हुए पूछा ।
"हां, "
"उसका नाम क्या है?"
जब वो उस लड़की के बारे में पूछ रहा था , मेरे दिल में टीस उठ रही थी । बहुत दर्द होने लगा था । मेरी आंखों में आंसू आने को तैयार थे । लेकिन मैने खुद पर काबू किया ।
"वैशाली" मैने भरे गले से उसे कहा , सीने में गले के नीचे दर्द होने लगा था। मुझे पता नही चल रहा था वो दर्द क्यों हो रहा है । पहले कभी ऐसा दर्द मुझे नही हुआ था । मुझे अचानक से सांस लेने में दिक्कत होने लगी। दिल किया चीख कर रो दु।लेकिन फिर अपने इमोशंस पर कंट्रोल किया ।
"क्या काम है तुझे उससे ," भारी आवाज में मैने पूछा ।

"यार वो , मुझे वो पसंद आ गई है । यार मेरी बात करवा ना उससे , मेरी प्यारी दोस्त है ना तू" उसने मेरे कंधों के आसपास हाथ रखते हुए कहा ।

"पसंद मतलब कैसे?" मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा था ।
"अरे दोस्ती करना चाहता हूं बस "
"बस?"
"हां पक्का , और कोई बात नही है " जब उसने ऐसा कहा तो थोड़ी जान में जान आई । मैने खुद को समझाया कि दोस्ती तो वो कर ही सकता है उसमे कोई बुराई नही ।
हालाकि मेरा दिल जानता था कि वो कभी किसी लड़की से दोस्ती नही करना चाहता था । और चाहे तो भी खुद बात कर सकता था उसे मेरे सहारे की क्या जरूरत?, अगर उसने मुझसे कहा तो बात कुछ और है । लेकिन पता नही क्यों मैं अपने दिल को झूठी तसल्ली दे रही थी । कि राजीव को बस उससे दोस्ती करनी है ।

दिल में दर्द बहुत था , और दिमाग में विचारों का तूफान ।

ना जाने अब क्या होगा । मैं उस लड़की के पास गई उससे राजीव के बारे में बात की उसने राजीव की और देखा और फिर मैं वापिस राजीव के पास आ गई ।

क्या कहा होगा उसने यही सोच रहे है ना आप । अगले भाग में वो भी क्लियर हो जायेगा ।