पागल - भाग 11 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 11

भाग–११

अब तक की कहानी तो आपने पढ़ी होगी । अगर ना पढ़ी हो तो पहले के भागों को पढ़ लीजिए । इससे कहानी समझने में आपको आसानी होगी।

चलिए फिर शुरू करते है आगे की कहानी

"क्या कहा तूने उसे?"
"कुछ नही बस ये कि तुझे उससे दोस्ती करनी है।"
"तो उसने क्या कहा ?" "कोई जवाब नही दिया "
"बात कर ना यार ठीक से उसी कल तो वो लोग चले जायेंगे कम से कम नंबर ही ला दे"
"मैं कोशिश करूंगी " कहते हुए मैं जल्दी से वहां से निकल गई क्योंकि अब मैं खुद पर कंट्रोल नही कर पा रही थी । मैं रोना चाहती थी । लेकिन ये आईलाइनर और काजल मुझे ठीक से रोने भी नही दे रहे थे । मैने अपना ध्यान बटायां, कुछ देर में सगाई की रस्म शुरू हो गई । मैने जब भी राजीव को देखा वो रस्म की और देख रहा था । इसलिए मुझे ऐसा लगा कि शायद मेरे समझने में गलती हो रही है । शायद वो सच में बस दोस्ती चाहता हो। लेकिन मेरे होते हुए उसे दोस्त क्यों चाहिए । मुझे बहुत बेचैनी होने लगी।

रस्म पूरी होने के बाद मैंने राजीव का हाथ कसकर पकड़ा और उसे मंडप से खींचकर सुनसान जगह पर ले गई ।
"अबे ,, ये क्या कर रही है?कोई बचाओ , ये मुझे किडनैप कर रही है "
"चुप कर वरना मार खाएगा"
"क्या हुआ? ऐसे क्यों खींच कर लाई यहां "
"मुझसे कोई भूल हो गई क्या ?" मैने आंखों में आंसू भरते हुए पूछा ।

"नही यार पर तू रो क्यों रही है ?आज से पहले तुझे मैने कभी रोते हुए नही देखा है।"
"तेरे लिए मेरी दोस्ती काफी नहीं है?"
"क्यों ?"
"तुझे वैशाली से दोस्ती जो करनी है?"
उसने अपना सिर पीट लिया ।
"अरे पागल लड़की , मेरी पगली, मेरी दोस्त तू है तू ही रहेगी , मेरी सबसे प्यारी दोस्त , तेरी जगह कोई नही लेगा झल्ली" उसने मुझे गले से लगा लिया।
"तो फिर वैशाली ?" मैने दूर होते हुए पूछा ।
"यार , ,, " वो कुछ कहता उससे पहले रोहिणी आंटी ने आकर कहा । "तुम दोनों अभी लड़ना बंद करो और कीर्ति तुम जाकर मीशा के साथ पार्लर जाओ और फिर खुद भी तैयार होकर आओ शाम के लिए । जाओ जल्दी ।"

मुझे आधी बात को वहीं छोड़ कर जाना पड़ा , मैं राजीव की और देख रही थी और वो मुस्कुराते हुए मुझे देख रहा था । उसकी हंसी सुकून देती थी। मैं मीशा को लेकर पार्लर गई।
उसे तैयार होने में तीन घंटे लग गए थे उसी दौरान में भी घर से अपनी साड़ी मंगवा चुकी थी और मैं भी पार्लर में तैयार हो गई थी । मुझे बाल धोने के लिए भी पर्याप्त समय मिल गया था ।

मैं और मीशा रेडी थे । राजीव हमें लेने कार से आया ।

मैने देखा कि अब उसका ध्यान मुझ पर गया । उसका मुंह खुला का खुला रह गया मुझे देख कर । ब्लैक हील्स , रेड साड़ी, ब्लैक ब्लाउज , मैचिंग ज्वैलरी , बिंदी और थोड़ा सा ज्यादा मेकअप, ।

"भाई मुंह बंद कर ले" मीशा ने कहा तो हम दोनों हंस पड़े। वह झेंप गया और बोला "मीशा ये कौन है?"
"तेरी अम्मा" मेने कहा ।
"पहचान में नहीं आ रही है बे, ये तो कमाल का पार्लर है , अंदर भेजा कुछ निकलता कुछ और ही है । "
"मार खाना है तुझे?" मैं हाथ उठाकर उसे मारने बड़ी।
वह झुक कर पीछे हो गया ।
मैने देखा वो पठानी में था , और कमाल की उसकी पर्सनेलिटी लग रही थी। स्मार्ट तो वो था ही पर आज हैंडसम लग रहा था , जेंटलमैन लग रहा था।
"वैसे आज तू भी कुछ अलग सा लग रहा है , हैंडसम"
"अरे कोई हमारी भी तारीफ कर दो " मीशा बोली।
"अरे तुम तो आज सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हो, तुम तारीफ के लिए शब्दों की मोहताज नहीं ।"
"चले अब"मीशा ने इठलाते हुए कहा ।
"हां हां बड़ी जल्दी है " उसने शर्मा कर मुझे कोहनी मारी ।
सभी हंसने लगते है। हम तीनो मैरिज हॉल आ गए सब हमारा इंतजार ही कर रहे थे ।

मीशा को पंडित जी ने बुलाया और शादी की रस्में भी शुरू हो गई।
राजीव मेरे पास आकर बोला ।
"बहुत सुंदर लग रही है तू इस साड़ी में"
"थैंक यू , साड़ी के लिए"
"सुन ना, वैशाली से बात करवा ना "
"तू प्यार करने लगा है ना उसे?"
अब मुझसे रहा नही जा रहा था मैं उसके दिल की बात जानना चाहती थी ।

क्या होगा अब आगे ? क्या मेरे प्यार का यहां अंत हो जाएगा ? क्या वैशाली राजीव का साथ है आगे ? यही सवालों के जवाब मिलेंगे आपको जल्दी ।