पागल - भाग 58 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • हीर... - 28

    जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचान...

  • नाम मे क्या रखा है

    मैं, सविता वर्मा, अब तक अपनी जिंदगी के साठ सावन देख चुकी थी।...

  • साथिया - 95

    "आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और स...

  • You Are My Choice - 20

    श्रेया का घरजय किचन प्लेटफार्म पे बैठ के सेब खा रहा था। "श्र...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 10

    शाम की लालिमा ख़त्म हो कर अब अंधेरा छाने लगा था। परिंदे चहचह...

श्रेणी
शेयर करे

पागल - भाग 58

हम लोग जैसे ही वहां पहुंचे । राजीव ने मुझे लंबा घूंघट निकालने को कहा । मैने वैसा ही किया। अंदर सब बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहे थे।

जब राजीव को सबने बड़े से घूंघट में आई लड़की के साथ देखा तो सब हतप्रभ रह गए ।रास्ते में राजीव ने दो फूलों की माला भी ले ली थी। और हमने उसे गले में डाल दिया था। मुझे और राजीव को इस तरह देख सभी एक दूसरे की और देखने लगे ।
"ये कौन है?" आंटी ने पूछा
" आपकी बहू" राजीव बोला
"तूने दूसरी शादी कर ली?अरे कम से कम कीर्ति से पूछ लेता , हर बार तू कुछ न कुछ नया कांड करता है । अब तू मुझे अपनी शक्ल भी मत दिखाना । अगर कीर्ति लौट आई तो मैं उसे क्या जवाब दूंगी। " आंटी ने बिना कुछ सुने गुस्से में सब कहना शुरू कर दिया।

"राजीव ये किसे उठा लाया तू?" मीशा ने कहा।

सबके चेहरे के रंग उड़े हुए थे।

राजीव के आने की खुशी तो अलग ही रह गई उल्टा मुझे देख सबके मुंह उतर गए थे ।

क्योंकि मेरे साथ राजू नही था अतः मिहिर और जीजू भी मुझे नही पहचान पाए ।

"हम कितने दिनों तक काशी में तेरे लिए दर दर भटके और तू किसे उठा के ले आया ? " कहते हुए जीजू उसे जैसे ही मारने आगे बड़े वो बोला "अरे कीर्ति घूंघट उठा लो यह तो मेरा दाव ही मेरे ऊपर उल्टा पड़ गया"
राजीव के मुंह से कीर्ति सुनकर सभी चुप पड़ गए और मेरी और देखने लगे ।मैने अपना घूंघट हटाया ।

सम्राट अंकल , आंटी , मां पापा, मीशा , सभी की आंखों में आंसू थे । मां मेरे करीब आई मुझे थप्पड़ मारा और मेरे गले से लग कर रोने लगी।
"एक बार भी तुझे हमारा खयाल नही आया जाने से पहले?" मैं भी रोने लगी ।
सबसे मिलने के बाद जब हम बैठे तो जीजू ने धीरे से आकर मुझसे पूछा "कीर्ति राजीव कहां है?"
उनके इस सवाल से मेरी आंखे फिर भीग गई । अभी घर में किसी को नही पता था कि राजीव मेरे और राजीव का ही बेटा है। जीजू और मिहिर को भी नही।

ये सवाल सुन मैने जीजू से कहा "अभिषेक के पास" उन्हे लगा उन्होंने राजीव को अपने साथ रख लिया क्योंकि वो उन्हीं का बेटा था ।

एक बार फिर मेरी और राजीव की शादी करवाने का फैसला लिया गया । शादी एक वीक बाद थी। मैने अभिषेक और मां को आने के लिए निमंत्रण दिया।

जल्द ही शादी का दिन आया। क्योंकि हमारी पहली शादी एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज थी इसलिए ये बस घर घर वालो की उपस्थिति में होने वाली थी ,,

अभिषेक राजीव और मां को लेकर आए। उन्हे देख कर सभी मेरी और देखने लगे । राजीव ने उन्हे बताया कि कैसे अभिषेक ने मेरी मदद की इतने साल में उनके साथ रही । राजीव ने राजू को बहुत प्यार किया। सबने उसके बारे में पूछा तो राजीव ने बताया कि ये कीर्ति और मेरा बेटा है । अब किसी को समझ नही आ रहा था कि ये पहेली क्या है ।
मैने सभी को बताया कि घर छोड़कर जाने के बाद मुझे पता चला कि मैं राजीव के बच्चे की मां बनने वाली हूं ।

ये सुन सब बहुत खुश हुए । और राजू को बहुत प्यार किया । राजू ने राजीव के पास आकर अपनी मासूम आवाज में कहा
"आप मेरे पापा हो?"
राजू के मुंह से अपने लिए पापा सुनकर राजीव ने उसे गले से लगाकर कहा "हां, बेटा मुझे माफ करदो इतने टाइम मेने आपको मुझसे दूर रखा पर अब हम साथ रहेंगे ।

लेकिन इस सब में मेरी मां खुश नही थी । वो कुछ सोच रही थी । और अभिषेक को घूर रही थी ।

क्या राजू राजीव के साथ रहेगा या वो अभिषेक के साथ वापिस चला जायेगा ?