पागल - भाग 56 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 56

अभिषेक ने मुझे कहा था कि मुझे राजीव से मिलकर सारी बातें साफ साफ कर लेनी चाहिए । उन्होंने इंडिरेक्टली ये तक कह दिया था कि यदि मैं चाहूं तो राजीव के साथ जा सकती हूं । मुझे उनकी ये बात बुरी लगी थी दिल में दर्द उठ रहा था । हंसता खेलता परिवार था मेरा फिर ये कैसा तूफान आया और क्यों? मुझे अब राजीव पर गुस्सा आ रहा था । क्या हर बार उसके मुताबिक चलेगी जिंदगी ?

अगले दिन मैं राजीव से मिलने के लिए मंदिर गई । पहले मैने महादेव के दर्शन किए । और उनसे प्रार्थना कि
"हे भोलेनाथ ,, मुझसे वही करवाना जिसमे सबका भला हो"
दर्शन करके में बाहर आई मैने गंगा मैया के दर्शन किए और फिर पलट कर लाइन से बैठे साधुओं की और देखने लगी ।

तभी सभी साधुओं के बीच राजीव अलग ही दिख रहा था। उसकी आंखें बंद थी। मेरे दिल की धड़कने तेज हो गई। मैं उसके पास जाने लगी । एक पल को कदम रुक गए। मगर फिर कुछ सोचकर मैंने अपने कदम तेज़ी से उसकी और बढ़ाए।

"राजीव "मेरी आवाज से राजीव ने अपनी आंखे खोली।
मुझे सामने देखकर वो बहुत खुश हुआ। वो खड़ा हो गया और मेरे साथ एक साइड में आ गया।
हम गंगा नदी के किनारे सीढ़ियों पर बैठ गए।

"कैसी हो कीर्ति?" राजीव ने पूछा।
"राजीव ये सब क्या है? ये क्या रूप धारण किए बैठे हो?"

"बस अब यही अच्छा लगता है , इससे कम से कम उस शहर तो रहूंगा जहां तुम्हारी महक हो। "
"पागलपने बंद करो , और घर लौट जाओ, वहां सम्राट अंकल और आंटी को तुम्हारी जरूरत है ।अपना बिजनेस संभालो और अपनी लाइफ में आगे बड़ो ।"

"तुम चलोगी मेरे साथ?" राजीव ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।

"राजीव तुम जानते हो कि मैं शादीशुदा हूं" मैने उसे झूठ कहा।

"अब तो सच कहो कीर्ति, मैं जानता था तुम झूठ बोलोगी इसलिए मैं भी यहां पर आ गया" ये अभिषेक की आवाज थी।

मैने उठकर अभिषेक का हाथ पकड़ कर उसे कुछ भी कहने से रोका "अभी प्लीज"

अभिषेक ने कहा "आज नही तो फिर कभी नहीं , और मैं मेरी जिंदगी किसी झूठ के सहारे नही जीना चाहता बहुत हुआ अब ।"

फिर वो राजीव की और बड़ा और कहा "राजीव ,, मैं कीर्ति से बहुत प्यार करता हूं । मगर ये आज भी सिर्फ तुम्हे चाहती है । लेकिन बस मेरे एहसानो का बदला चुकाने या यूं कहे कि मुझपे एहसान करने के लिए तुम्हे झूठ बोल रही है। ये सोचती है कि इतने साल जो मैने इसे और इसके बेटे को आसरा दिया उसका बदला ये मेरे साथ रह कर चुकाएगी ।" अभिषेक जानबूझ कर कीर्ति को उकसा रहा था ताकि वो अपने दिल की बात समझ कर फैसला ले सके।

कीर्ति रोते हुए अभिषेक को देखकर ना में अपनी गर्दन हिला रही थी।

"जानते हो राजीव , जिस बच्चे की तुमने जान बचाई उसका नाम भी इसने राजीव रखा ताकि यह हर पल तुम्हारा नाम ले सके। और एक सच ये भी है कि वो बच्चा तुम्हारा है।"

अब कीर्ति की सब्र का बांध टूट गया था वह वही एक सीढ़ी पर गिरकर बैठ गई और फुट फुट कर रोने लगी ।
अभिषेक की बातें सुनकर राजीव अवाक रह गया ।

"राजीव मेरा बेटा है?" उसने दोबारा कन्फर्म किया ।
"हां, जब मैं इसे मिला ये उस वक्त मां बनने वाली थी।" अभिषेक ने उसे बस इतना कहा।
वह कीर्ति के पास गया उसके पास बैठा उसके कंधे को छुआ और कहा "सच बोलकर ही आगे बढ़ो कीर्ति।।मैने तुम्हारा काम आसान कर दिया अब फैसला तुम्हारा है "

इतना कहकर अभिषेक वहां से चला गया।
कीर्ति अब राजीव से कुछ भी कहने की हालत में नही थी । वह उठी और घर जाने लगी। राजीव ने उसे आवाज लगाई मगर वह तो बेसुध सी चले जा रही थी। वह जैसे तैसे अपने घर पहुंची अपने कमरे में गई और रोने लगी।

अभिषेक ने आकर अपनी मां की गोद में सर रखकर कहा
"मां मैं एक परिवार के बिखरने का कारण नही बन सकता, कीर्ति आज भी राजीव से प्यार करती है और हमारा राजीव असल में उस इंसान का बेटा है। मैं इतना सेलफिश नही हो सकता मां" कहते हुए वह रोने लगा । अभिषेक की मां की आंखों में आंसू थे। वो अपने बेटे की तकलीफ भी समझ रही थी और उसे प्यार से सहला भी रही थी।

अब क्या फैसला लेगी कीर्ति? क्या वो राजीव को अपनाएगी या अभिषेक को ?