पागल - भाग 55 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • कृष्ण–अर्जुन

    ⭐ कृष्ण–अर्जुन कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त हो चुका था।घोड़ों...

  • एक मुलाकात

    एक मुलाक़ातले : विजय शर्मा एरी(लगभग 1500 शब्दों की कहानी)---...

  • The Book of the Secrets of Enoch.... - 4

    अध्याय 16, XVI1 उन पुरूषों ने मुझे दूसरा मार्ग, अर्थात चंद्र...

  • Stranger Things in India

    भारत के एक शांत से कस्बे देवपुर में ज़िंदगी हमेशा की तरह चल...

  • दर्द से जीत तक - भाग 8

    कुछ महीने बाद...वही रोशनी, वही खुशी,लेकिन इस बार मंच नहीं —...

श्रेणी
शेयर करे

पागल - भाग 55

भाग–५५
उन्होंने पर्स में रखी एक लड़की की तस्वीर दिखाई। ये वंदना ही थी। और सच में उसकी शक्ल मुझसे काफी हद तक मिलती थी। हालाकि हम हमशक्ल नही थे । कुछ अंतर जरूर था मगर कुछ ज्यादा हद तक एक से थे। अब समझ आया था ट्रेन में अभिषेक का मेरे प्रति व्यवहार।

"आपने इसे अपने पास रखा तो फिर मूव ऑन कैसे कर पाए?"
"मां को देख के ,मुझे वंदना के पापा ने समझाया । कि उन्होंने तो अपनी बेटी खो दी है पर मुझे तो मेरी मां को उनका बेटा लौटा देना चाहिए। "
अब मैं सबकुछ समझ चुकी थी । हर एक बात क्लियर थी ।

मैने अभिषेक से सोने को कहा ।
वो हमेशा की तरह नीचे अपना बिस्तर लगा कर सो गए ।

अगले ही दिन मेरी गोदभराई सिर्फ घर घर वालो की उपस्थिति में कर दी गई ।
मैं गोद भराई के बाद अपने कमरे में फेसबुक खोल कर राजीव के अकाउंट को देख रही थी। उसने मुझे याद करते हुए ना जाने कितनी पोस्ट की थी। तभी अभिषेक ने रूम में प्रवेश किया । मैने उन्हे राजीव और बाकी सभी लोगों की वो तस्वीर दिखाई जो मीशा की शादी की थी। उसने मिहिर जीजू मीशा , सम्राट अंकल , पापा मम्मी , आंटी सभी थे । इसलिए अभिषेक राजीव को दिल्ली में देख कर पहचान गया था ।

और दो महीने बाद मैने राजीव को जन्म दिया।

उसके बाद अभिषेक और उसकी मां की खुशी को देख कर घर छोड़ ही नही पाई ।आखिर मेरे बुरे समय में उन्होंने मेरा खयाल रखा और मुझे अब तक कोई तकलीफ नहीं होने दी। मैने इसी को अपना भाग्य समझ लिया ।
अभिषेक राजीव का पिता तो बन गया था । लेकिन मेरा पति नही बन पाया था । मेरे और अभिषेक के बीच पति पत्नी वाला कोई संबंध नहीं था । वो मुझे बेहद प्रेम करते थे । मगर मेरे दिल से राजीव की यादों के खत्म होने का इंतजार कर रहे थे ।

राजीव थोड़ा बड़ा हुआ तो अभिषेक ने मुझे एक होटल खोल कर दिया जिसे मैं एस ए ऑनर संभाल रही थी। अभिषेक मेरी जिंदगी में एक फरिश्ते की तरह आया था ।
मैने ईश्वर को नही देखा । मगर यदि वो होगा तो अभिषेक जैसा होगा।

यह सोचते हुए मैं अभिषेक को देख रही थी। मैं वर्तमान में आ चुकी थी।
उसने आंखों से क्या हुआ ऐसा पूछा ?
मैं ने ना में सिर हिला दिया।

अभिषेक ने मुझसे कहा
"कीर्ति,, तुम्हे राजीव से मिलना चाहिए। उसे समझाना चाहिए। उसका अभी इस तरह दुनिया से मुंह मोड़ लेना सही नही है कीर्ति। तुम इतनी कठोर नही हो। मैं आज भी इस इंतजार में हूं कि तुम राजीव को भूलकर मुझे अपनाओ। कीर्ति एक बार उससे मिलना जरूरी है। या तो तुम राजीव को छोड़कर मुझे अपना सकोगी या फिर राजीव के साथ जा पाओगी। पर इस तरह कब तक बीच में लटकी रहोगी। ये फैसले का समय है । बहुत साल बीत चुके है , तुम्हे फैसला लेना होगा ।"

इतना कहकर वो कमरे में चले गए। मैं हैरान परेशान दुविधा में थी। क्या अभिषेक ने अभी अभी मुझे अल्टीमेटम दिया था "या तो राजीव या मैं?" क्या अभिषेक अब मुझे पाना चाहते थे? दिल बैठ गया था उनकी इस बात से ।

यह सब कहते हुए अभिषेक की आंखों में एक डर और दर्द था । डर राजीव को खोने का जिसे वो अपने बेटे की तरह प्यार करता है और दर्द मुझे खोने का । क्योंकि अभिषेक मुझसे बहुत प्यार करते थे। वो फिर से अपना प्यार खो देंगे।

क्या मुझे राजीव के पास जाना चाहिए? उसे माफ कर देना चाहिए? या फिर अभिषेक के साथ रहना चाहिए? राजीव से मुझे प्यार है , और अभिषेक को मुझसे?
अलग अलग लोगों की सोच अलग अलग होती है ।

कुछ लोगों के हिसाब से राजीव के पास लौट जाना चाहिए । क्योंकि वो उसे भूल नहीं पाई। और कुछ लोगों के हिसाब से उसे अभिषेक के साथ रहना चाहिए। क्योंकि अभिषेक ने उस पर बहुत एहसान भी किए और वो उसे प्यार भी करता है। शादी तो उसी से करनी चाहिए जो हमे चाहता है । जिसे हम चाहते है उसके साथ खुश रहने के चांस कम ही होते है । मगर यहां तो राजीव और अभिषेक दोनों ही मुझसे बेहद मुहब्बत करते है।
किसे चुनना चाहिए मुझे ?