धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 16 RashmiTrivedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 16

खाने के टेबल पर अशोक और क्रिस की इधर उधर की बातें चलती रही। अशोक ने जब क्रिस को निहारा तो पाया, सुबह से परेशान सा लग रहा वो अब बिल्कुल शांत और ख़ुश लग रहा था। तभी उसने कहा,"शाम को मेरी मैडम जी से बात हुई थी। उन्होंने कहा हैं उन्हें कुछ दिन और लग जायेंगे लौटने में! वह आपके बारे में और यहाँ के बारे में पूछ रही थी।"

तभी क्रिस ने पूछा,"कहीं आपने मेरे बर्थडे वाली रात की बातों का ज़िक्र तो नहीं किया ग्रैनी से?"

"सच कहूँ तो मेरा इरादा तो वही था लेकिन उनसे कहकर भी कोई फ़ायदा नहीं था। वो इन सब बातों में विश्वास नहीं करती। वैसे भी आज सुबह से तो सब कुछ बहुत शांत नज़र आ रहा है जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो! इसीलिए मैंने उन्हें अभी परेशान न करने का सोचा और कुछ नहीं बताया। खामख्वाह वो भी आपके लिए परेशान हो जायेंगी।", अशोकने कहा।

"ग्रेट! और हमें उन्हें इस बारे में कुछ बताना भी नहीं हैं। मैं जानता हूँ, अब इस विला में कोई दुर्घटना नहीं होगी!", क्रिस ने मुस्कुराते हुए कहा।

अशोक ने हैरानी से उसे देखा और पूछा,"क्या मतलब है आपका? आप इतने यक़ीन से कैसे कह सकते हैं? जबकि हमें तो वह डायरी भी मिली है जिसमें क्रिस्टीना का नाम लिखा है। इससे तो यही साबित होता है कि वह कभी यहाँ रहती थी और कई लोगों ने उसको इस विला में भटकते देखा है!"

"सही कहा आपने! फिर भी मुझे पता है,वह हमें कोई नुकसान नहीं पहुँचायेगी!"

क्रिस की बातें सुन अशोक को कुछ संदेह तो हो रहा था। उसने आगे पूछा,"क्रिस बाबा,क्या ऐसी कोई बात है जो आपको पता चली हैं और आप मुझे बताना चाहते हो?"

क्रिस खाने से टेबल से उठा और अपना मुँह साफ़ करते हुए कहने लगा,"नहीं अशोक अंकल, ऐसा कुछ नहीं है। आप टेंशन मत लीजिये! अगर मुझे कोई भी प्रॉब्लम हुई तो मैं आपके पास ही आऊँगा। ओके आज मैं जल्दी सोना चाहता हूँ। अपने कमरे में जा रहा हूँ,गुड नाईट!"

इतना कहकर क्रिस तेज़ी से सीढियाँ चढ़ते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ गया। अशोक उसे तब तक देखते रहा जब तक वह अपने कमरे में चला नहीं गया। वह सोच रहा था,"कोई बात तो ज़रूर है। क्रिस का बर्ताव कुछ अजीब तो लग रहा है!"

अपने कमरे में पहुँचते ही क्रिस ने बड़ी बैचेनी से इधर उधर देखा जैसे किसीको ढूँढ रहा हो। तभी उसे अपने ठीक पीछे से एक आवाज़ आई,"क्या मुझे ढूँढ रहे हो?"...

उसने मुड़कर देखा, क्रिस्टीना वही दरवाज़े के पास खड़ी थी।

क्रिस ने शरमाते हुए अपने बालों में हाथ घुमाया और कहने लगा,"न..नहीं.. मैं तो बस यूँ ही इधर उधर देख रहा था!"

"अगर ऐसी बात है तो मैं चली जाती हूँ। फिर नहीं आऊँगी तुम्हें तकलीफ़ देने!",क्रिस्टीना ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हे..हे ..क्रिस्टीना रुक जाओ! सच कहा तुमने, मैं तुम्हें ही ढूँढ रहा था। क्या कुछ देर हम बात कर सकते हैं?"

"सच कहूँ, मुझे नहीं पता कि तुम्हें एक आत्मा से बात करके कैसा लग रहा है लेकिन मैं तो तुमसे बात करके बहुत ख़ुश हूँ। तुम जानते हो, कितने वर्षों से मैंने ऐसे किसी से भी बात नहीं की है?! पूरे ग्यारह वर्ष बीत गए हैं...इंसान तो यहाँ बहुत आए लेकिन तुमसा कोई नहीं था!"

उसकी बात सुन क्रिस मन ही मन ख़ुश हो रहा था। उसके तो जैसे पेट में तितलियाँ सी उड़ रही थी। उसने अपनी भावनाओं को काबू कर कहा," ग्यारह वर्ष? यह तो एक बहुत लंबा समय होता है। वैसे तुम बुरा न मानो तो एक बात पूछूं? तभी अशोक अंकल के आने की वजह से हमारी बात अधूरी रह गई थी। तुमने बताया कि मरने से ठीक पहले वो टैटू तुम्हें दिखाई दिया था! उसके बाद क्या हुआ था? आय मीन...तुम्हें कब पता चला कि तुम एक भटकती आत्मा बन चुकी हो और तुम्हारे शरीर का क्या हुआ?"

उसके सवाल सुन क्रिस्टीना एक बार फिर खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई और उसने कहा,"काश, आज सुबह अगर नीचे बागीचे में तुम मेरी डायरी मिलने के बाद थोड़ी खुदाई और कर लेते तो तुम्हें मुझे यह सवाल करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती!?

क्रिस ने हैरानी से पूछा,"क्या? क्या मतलब है तुम्हारा?"

"उस दिन दम तोड़ देने के बाद मुझे लगा जैसे मैं गहरी नींद से फिर से जाग गई हूँ। मैंने अपने आप को ज़मीन में धंसा हुआ पाया। लेकिन मेरे शरीर ने मेरा साथ छोड़ दिया था। मैं जब उठकर खड़ी हुई तो मैं उस छोटी सी बगिया के बीचों बीच खड़ी थी!", क्रिस्टीना ने जवाब दिया।

"तो इसका मतलब है, उस बगिया के बीचोंबीच जहाँ आज मैं खुदाई कर रहा था वही तुम्हारी ला...श ..मेरा मतलब है वही तुम्हारा शरीर भी दफ़न है?"

क्रिस की बात का जवाब देते हुए उसने कहा,"हाँ, वही पर...उसी जगह जहाँ तुम्हें मेरी डायरी मिली थी!"

क्रिस ने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा,"ओह माय गॉड,आय वॉज ऑलमोस्ट देयर! मैं तो वहाँ फाउंटेन बनाने की सोच रहा था। ओह. ...तो अब समझा बस उतने ही जगह की मिट्टी सूखी और बंजर क्यूँ पड़ी थी!"

"तो क्या करती मैं? अपना सारा ग़ुस्सा उन मासूम फूलों पर निकाल दिया था मैंने! लेकिन तुम चाहो तो वहाँ फाउंटेन बना सकते हो, मैं मना नहीं करुँगी!"

"नहीं क्रिस्टीना, सबसे पहले तो तुम्हारा विधिवत अंतिम संस्कार होना चाहिए ताकि तुम्हारी आत्मा को शांति मिले! मैं..."

इससे पहले क्रिस आगे कुछ कह ही नहीं पाया। क्यूँकि अचानक एक बार फिर क्रिस्टीना अपने रौद्र रूप में क्रिस के सामने आकर खड़ी हो गई और ग़ुस्से में कहने लगी, "नहीं... अभी नहीं..अभी मेरा अंतिम संस्कार करने की सोचना भी मत! पहले मुझे अपना बदला पूरा करना है तब तक मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी, समझें तुम?"

इतना कहकर वो वहाँ से ग़ायब हो गई! एक तेज़ हवा का झोंका जैसे खिड़की से होता हुआ कमरे से बाहर निकल गया। क्रिस उसका नाम लेकर इधर उधर देखते हुए उसे पुकारने लगा। उसकी बात सुनने की दुहाई देने लगा लेकिन वहाँ उसको सुनने वाला कोई नहीं था। क्रिस्टीना की आत्मा तो रूठकर उससे दूर जा चुकी थी।

क्रमशः .....
रश्मि त्रिवेदी