चरण सिंह का पूरा गांव बहुत मान सम्मान करता था चरण सिंह समझदार पढ़ा लिखा पुरुष था गांव की किसी समस्या पर जब गांव के लोग पंचायत करते थे तो चरण सिंह को पंचायत में बहुत मान सम्मान के साथ बुलाते थे, पंचायत में कैसी भी कठिन से कठिन समस्या हो चरण सिंह उस समस्या का आसानी से हल निकाल कर फैसला गांव कि पंचायत को सुना देता था चरण सिंह का फैसला सुनकर गांव के सब लोग खुश हो जाते थे।
चरण सिंह गांव के विद्यालय का चौकीदार था और चरण सिंह के अंदर एक बहुत बड़ी कमी थी कि जब गांव का कोई भी स्त्री पुरुष बच्चा बुढ़ा यहां तक की पशु पक्षी छोटी से छोटी गलती कर देता था तो चरण सिंह उस गलती को सुधारने और उस गलती के नुकसान की उस इंसान पशु पक्षी को घंटों शिक्षा देता था जब चरण सिंह उस गलती के बारे में घंटों शिक्षा देना बंद नहीं करता था तो वह इंसान परेशान होकर चरण सिंह के हाथ पैर जोड़कर माफी मांग कर वहां से चरण सिंह से पीछा छुड़ाकर भाग जाता था।
चरण सिंह को कोई बड़ा बुड़ा अपने घर के आंगन में पेड़ के नीचे चारपाई बिछा कर लेट या बैठा मिल जाता था तो चरण सिंह उस बुढे के पास बैठकर इधर-उधर की बातें करके अपना समय बिताने लगता था अगर बुजुर्ग के मुंह से कोई गलत बात निकल जाती थी तो चरण सिंह उस बुढ़े को समझाने के लिए उपदेश देना शुरू कर देता था और कभी-कभी तो ऐसे बुढ़े चरण सिंह के उपदेश सुनते-सुनते चक्कर खाकर अपनी चारपाई पर बेहोश हो जाते थे और उस बुढ़े के बेहोश होने के बाद चरण सिंह वहां से मौका देखकर अपने घर की तरफ भाग जाता था।
चरण सिंह अपने बीवी बच्चों से हमेशा एक बात कहता था कि लोग मेरी अच्छी शिक्षा की बातें सुनकर मुझसे दूरी क्यों बना लेते हैं और कुछ बड़े बुड्ढे तो मुझे देखकर अपनी चारपाई लेकर घर के अंदर भाग जाते हैं।
और चरण सिंह की पत्नी हमेशा चरण सिंह से कहती थी कि किसी दिन अपनी शिक्षा देने की इस बुरी आदत की वजह से आप किसी बड़े झमेले में फंस जाओगे।
चरण सिंह अपनी पत्नी की यह बात सुनकर उसकी इस बात को हंस कर टाल देता था और घर से बाहर चला जाता था।
एक दिन चरण सिंह अपनी साइकिल से पड़ोस के गांव में दावत खाने जाता है और उसे पड़ोस के गांव पहुंचने से पहले रस्ते में कुछ किसान अपने खेत में काम करते हुए दिखाई देते है और वह नीम के पेड़ के नीचे अपनी साइकिल खड़ी करके किसानों के काम में गलती निकाल कर उन्हें गलती सुधारने की शिक्षा देने लगता है और उनकी गलतियां निकालते निकालते किसानों को बेवकूफ मूर्ख कहने लगता है।
चरण सिंह के उपदेश दो-तीन घंटे सुनने के बाद किसानों को बहुत गुस्सा आने लगता है और सारे किसान लाठी डंडा फावड़ा लेकर चरण सिंह को पीटने दौड़ते हैं।
और चरण सिंह उन्हें अपनी तरफ अपने को पीटने आता देख वहां से अपनी साइकिल लेकर बहुत तेजी से अपने गांव की तरफ बिना दावत खाएं भाग आता है
चरण सिंह डरा हुआ घबराया हुआ अपने घर बीवी बच्चों के पास आकर अपने बीवी बच्चों के सामने कान पकड़कर कहता है कि “मैं आज के बाद किसी को फिजूल के उपदेश नहीं दूंगा।” और उस दिन के बाद चरण सिंह दूसरों को मूर्ख अपने को ज्यादा बुद्धिमान समझना छोड़ देता है।