गगन के दोनों बड़े भाइयों ने अपने गांव से थोड़ा दूर अपनी हवेली को नदी के आसपास बनवा रखा था।
गगन के दोनों भाई और दोनों भाभियां और खुद गगन जब अपने परिवार के साथ बैठकर रात का खाना खाता था, तो नदी से ठंडी ठंडी हवा उनकी हवेली की खिड़की से हवेली के अंदर आती थी। और चांदनी रात में नदी का नजारा और खूबसूरत हो जाता था।
प्रकृति का यह सुंदर नजारा देखकर गगन के दोनों भाई भाभियों और गगन को खुद बहुत सुकून मिलता था।
गगन के दोनों भाई कम पढ़ेेेे लिखेे थे, इसलिए गगन ही उनके कारोबार का पूरा हिसाब किताब देखता था।
गांव के गांव में किसी भी परिवार पर कोई दुख संकट आता थाा, तो गगन का परिवार उस परिवार कि मदद करने से पीछे नहीं हटता था।
गगन स्वयं भी सीधाा-साधा धार्मिक विचारोंं वाला दानपुण्य करने वाला सच्चा इंसान था। गगन को घूमनेे फिरने का बहुत शौक था।
एक दिन गगन अपने भाई भाभियों को बता कर गोवा घूमने चला जाता हैै।
गोवा पहुंचनेे के बाद गगन गोवा की मशहूर और सुंदर-सुंदर जगह पर घूमता है।
एक दिन ऐसेे ही घूमते घूमते गगन समुंदर के पास मछुआरों की बस्ती में पहुंच जाता है।
समुंदर के पास घूमते हुए गगन को एक बहुत सुंदर लड़की मिलती है, जिसकी नीली आंखें थी और रेशमी बाल थे रंग दूध जैसा गोरा था।
उस लड़की का रंग रूप देखकर वह लड़की गगन को परी जैसी लगती है। उस लड़की को देखते ही गगन को उससे पहली नजर में ही प्यार हो जाता है।
इसलिए गगन हिम्मत करके उस लड़की से उसका नाम पता पूछता है। तो वह सुंदर लड़की उसको अपना नाम जल परी बताती है।
जल परी नाम सुनकर गगन मुस्कुराने के बाद तेज तेज हंसनेेेे लगता है।
और उस दिन के बाद गगन समुद्र के किनारे उस लड़की से रोज मिलने लगता है।
रोज गगन से मिलने की वजह से वह सुंदर परी जैसी दिखने वाली लड़की भी गगन से प्रेम करने लगती है।
एक दिन गगन उस लड़की से उसके परिवार के बारे में पूछता है तो वह लड़की बहुत दुखी होकर गगन को बताती है कि "मेरेे माता पिता का स्वर्गवास हो गया है मैं इस दुनिया मैं बिल्कुल अकेली हूं।"
गगन उस लड़की से मंदिर मेंं शादी करके उसे अपने भाई भाभी के पास ले आता है।
गगन कि दोनों भाभियां गगन कि नई नवेली दुल्हन को सारे रीति-रवाजों से अपनी हवेेली में प्रवेश करवाती है। और गगन की शादी की खुशी में गगन के दोनों भाई पूरे गांव को बड़ी दावत देतेे हैं। और उस दिन से ही गगन के भाई भाभियां गगन कि पत्नी को छोटी बहू कहना शुरू कर देते हैं।
गांव की कुछ महिलाएं गगन की पत्नी की मुंह दिखाई की रसम पूरी करने आती है, तो गगन की दुल्हन उन्हें घुंघट उठा कर अपना चेहरा नहींं दिखाती है। गांव की महिलाएं उसे शर्मीली लड़की समझ कर उसके हाथ पर शगुन के पैसे रखकर अपने अपने घर चली जाती है।
कुछ ही दिनों में गगन की पत्नी यानी कि छोटी बहू अपनी सेवा से गगन के भाई भाभियों का दिल जीत लेती है।
छोटी बहू घर के कामों में नौकरो की भी मदद कर दिया करती थी, इसलिए हवेली के नौकर चाकर भी छोटी बहू को बहुत पसंद करने लगे थे।
गांव का कोई भी व्यक्ति हवेली में मदद मांगने आता था, तो छोटी बहू सबसे पहले मदद करने के लिए तैयार रहती थी। इसलिए गांव वाले भी छोटी बहू को बहुत मान सम्मान देने लगे थे।
छोटी बहू में बहुत खुबियां थी, लेकिन सब छोटी बहू की एक बात से परेशान रहते थे कि उसने आज तक घुंघट उठाकर अपना चेहरा किसी को नहीं दिखाया था।
रोज छोटी बहू रात का खाना खाने के बाद अपने पति गगन के साथ नदी के किनारे टहलने जाती थी।
नदी के किनारे टहलते हुए गगन हमेशा छोटी बहू से कहता था कि तुम्हारी नीली नीली आंखें हैं, खूबसूरत रेशमी बाल है दूध जैसा गोरा रंग है, फिर तुम घुंघट उठा कर गांव की महिलाओं और मेरी भाभियों को अपना चेहरा क्यों नहीं दिखाती हो।
कभी-कभी गगन को गुस्सा आ जाता था, तो वह छोटी बहू से गुस्से में कहता था कि "इंसान को अपनी सुंदरता पर इतना घमंड नहीं करना चाहिए जितना तुम अपनी सुंदरता पर करती हो। तुम सोचती हो की अगर कोई तुम्हारा चेहरा देखेगा तो तुम्हें नजर लग जाएगी और तुम्हारी सुंदरता कम हो जाएगी।"
गगन की ऐसी दिल दुखा देने वाली बातें सुनकर छोटी बहू को बहुत दुख पहुंचता था और इस बात को सुनने के बाद उसका सारा समय दुख में बीतता।
दीपावली के त्यौहार पर छोटी बहू गांव के गरीब बच्चों को हवेली की छत पर इकट्ठा करके उनके साथ अनार फुलझड़ी चकरी आदि आतिशबाजी चला रही थी, तभी उस आतिशबाजी में से एक चिंगारी छोटी बहू के घुंघट में आकर लगती है और कुछ ही क्षण में छोटी बहू का घूंघट तेज आग पकड़ लेता है।
और छोटी बहू जल्दी से अपना घुंघट चेहरे से हटा कर उन गरीब बच्चों के सामने घुंघट की तेज आग बुझाने लगती है।
गांव के बच्चे छोटी बहू कि नीली नीली आंखें रेशमी बाल और दूध जैसा रंग देखकर तेज तेज उछल उछल कर चिल्लाने लगते हैं कि छोटी बहू तो परी है।
वह सारे बच्चे अपने घर जाने के बाद अपने माता-पिता भाई बहनों और यार दोस्तों को बताते हैं कि "छोटी बहू की नीली नीली आंखें हैं, रेशमी बाल और दूध जैसा गोरा रंग है। वह देखने में बिल्कुल परी लगती है।
कुछ ही दिनों में छोटी बहू के रंग रूप की सुंदरता की बात पूरे गांव में फैल जाती है।
पूरे गांव में छोटी बहू के रंग रूप की चर्चा होने के बाद गगन की भाभियों और गांव की अन्य महिलाओं की छोटी बहू का चेहरा देखने की इच्छा और बढ़ जाती है।
दो दिन बाद करवा चौथ का त्यौहार था, इसलिए गगन कि दोनों भाभियां और गांव की अन्य महिलाएं मिलकर एक योजना बनाती है कि नदी किनारे करवा चौथ की रात चंद्रमा को जल चढ़ाते हुए हम छोटी बहू का चेहरा देखेंगे।
करवा चौथ की रात जब सारी महिलाएं और गगन की दोनों भाभियां छोटी बहू चंद्रमा को जल चढ़ाकर अपने अपने पतियों का चेहरा देखती है, तो उस समय भी छोटी बहू अपना चेहरा घुंघट में छुपाकर रखती है, तो गांव की महिलाएं और गगन की दोनों भाभियां उसका चेहरा देखने के लिए जीद पर अड़ जाती है।
परंतु छोटी बहू भी अपना चेहरा ना दिखाने की जिद पर अड़ी रहती है। और जब गगन सबको घुंघट उठाकर अपना चेहरा दिखाने के लिए छोटी बहू के सामने जिद पर अड़ जाता है, तो गगन के आगे मजबूर होकर छोटी बहू अपना चेहरा घूंघट उठा कर सबको दिखा देती है।
छोटी बहू का चेहर देखकर गांव की महिलाएं और गगन की दोनों भाभियां एक जगह जैसे पहले खड़ी थी वैसे ही उस जगह पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी की खड़ी रह जाती है, क्योंकि छोटी बहु का चेहरा इंसानों की तरह नहीं था बल्कि मछली की तरह था।
और कुछ ही क्षणों में छोटी बहू का पूरा शरीर भी मछली के रूप में आ जाता है। और उसी समय छोटी बहू नदी में छलांग लगाकर ना जाने नदी की गहराई में कहां गुम हो जाती है।
यह दृश्य देखकर गगन बिना कुछ सोचे समझे तेज तेज होने लगता है। छोटी बहू के नदी में जाने के बाद वहां खड़े सभी लोगों की आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
और सब लोग नदी के किनारे बैठकर गंगा मैया से प्रार्थना करने लगते हैं कि "हमारी छोटी बहू को गंगा मैया वापस भेज दो।"
गंगा मैया इन लोगों की दिल से की गई प्रार्थना को मान लेती है।
और उसी समय छोटी बहू लड़की के रूप में नदी से बाहर आती है उसकी नीली नीली आंखें रेशमी बाल और दूध जैसा गोरा रंग देखकर वहां बैठे सब लोग बहुत खुश हो जाते हैं।
और गगन को छोटी बहू करवा चौथ की रात एक सुंदर युवती के रूप में मिल जाती है।