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अकेलापन

सिद्धार्थ देहरादून का रहने वाला था। वह अपने माता पिता का इकलौता बेटा था। माता पिता के निधन के बाद उसके जीवन में बहुत अकेलापन आ गया था।

सिद्धार्थ देहरादून की एक अच्छी कंपनी में उच्च पद पर नियुक्त था। सिद्धार्थ का एक नियम था कि रोज ऑफिस की छुट्टी होनेे के बाद ऑफिस के पास वाली मार्केट में जा कर रोज जूस पीने का।

सिद्धार्थ अपनी बाइक पर बैठ कर जब जूस पीता था, तो मार्केट में अपने परिवार केेे साथ लोगों को बाजार में घूमता हुआ देेख कर उसको बहुत सुकून मिलता था।

और अपने मन में सोचता था कि काश मेरा भी हरा भरा परिवार होता तो मेरे जीवन में इतना अकेलापन नहींं होता। और जूस पीने के बाद सिद्धार्थ अपने घर आ जाता था।

अपनेे घर का सूनापन देख कर सिद्धार्थ का बहुत दिल घबराता था। इसलिए सिद्धार्थ रात का खाना खाने के बाद तब तक अपनी छत पर टहलता रहता था, जब तक कि उसे थक कर नींद नहीं आ जाती थी।

परिवार के बिना सिद्धार्थ को इतना अकेलापन लगता था कि वह कभी-कभी सोचता था कि मैं संसार को त्याग कर सन्यासी बन जाऊं।

एक दिन उसका पड़ोसी अपने परिवार के साथ अपना मकान बेेेेच कर चला जाता है, तो उस पड़ोस के मकान का अंधेरा और सन्नाटा रोज देख देख कर सिद्धार्थ के जीवन का अकेलापन और बढ़ जाता हैै।

जीवन में ज्यादा अकेलापन छाने की वजह सेे सिद्धार्थ अपना अकेलापन कम करने के लिए देहरादून से मंसूरी घूमने चला जाता है।

कुछ दिनों के बाद सिद्धार्थ मंसूरी से घूम कर अपने घर आता है, तो पड़ोस में नए रहनेे आए परिवार का छोटा सा कुत्ते पिल्ला तेज तेज भौक कर सिद्धार्थ को अपने घर का ताला नहीं खोलने दे रहा था।

कुत्ते के पिल्लेे की तेज तेज भौंकने की आवाज सुन कर उस पड़ोस के मकान सेे एक खूबसूरत मधु नाम की लड़की कुत्तेेे के पिल्ले के पास दौड़ कर आती हैंं।

और उस कुत्ते के पिल्ले को मोती कह कर प्यार सेे गोदी में उठा लेती हैै, और उस पिल्ले के चेहरेेे पर प्यार से थप्पड़ मार कर अपने घर में लेे जाती है।

सिद्धार्थ को पहली मुलाकात में ही मधु और उस पिल्ले सेेे मिल कर बहुत अच्छा लगता है।

मधु के परिवार के आने के बाद पड़ोस का सन्नाटा खत्म हो जाता हैै।

सिद्धार्थ जब रसोई घर में रात का खाना पकाता थाा, तो मोती सिद्धार्थ और अपने घर के आंगन में भाग भाग कर खेलता रहता था। मोती को आंगन में खेलते हुए देेेख कर सिद्धार्थ को बहुत अच्छा लगता था।

और जब सिद्धार्थ अपने ऑफिस से घर आता था, तो मोती सिद्धार्थ की बाइक की आवाज सुन कर सिद्धार्थ के पास दौड़ कर आ जाता था। और मोती अपनी पूूंछ हिला हिला कर सिद्धार्थ को बहुत प्यार करता था।

सिद्धार्थ अपने ऑफिस से मोती केेे लिए कुछ ना कुछ खानेे की चीज जरूर लाता था।

मधु अपने घर के दरवाजे से झांक कर देखती थी, कि मोती सिद्धार्थ के पास ही खड़ा है या वहां से कहीं भाग गया है।

शाम को मोती और मधु से मिलने के बाद सिद्धार्थ की दिन भर की थकान दूर हो जाती थी।

मोती पिल्ले की वजह से मधु और सिद्धार्थ बहुत करीब आ गए थे।

मधु मोती और मधु के परिवार की वजह से सिद्धार्थ का अकेलापन बहुत दूर हो गया था। सिद्धार्थ अब पहले से जायदा खुश रहने लगा था।

एक दिन सिद्धार्थ अपने ऑफिस जा रहा था, तो मोती उसकी बाइक के पीछे भागने लगता है, सिद्धार्थ अपनी बाइक तेज करके ऑफिस चला जाता है। और सिद्धार्थ यह सोचता है कि मोती तो वापस घर चला गया होगा लेकिन उस दिन मोती उसकी बाइक के पीछे भागते भागते ना जाने कहां चला जाता है।

और सिद्धार्थ जब शाम को ऑफिस से घर आता है, तो उसे समझ नहीं आता कि आज मोती मेरी बाइक की आवाज सुन कर अपने घर से बाहर क्यों नहीं आया है।

उस समय मोती के अपने घर के अंदर से ना आने की वजह सेे सिद्धार्थ को बहुत बेचैनी होने लगती है। इसलिए सिद्धार्थ मधु के घर का दरवाजा खटखटाता हैैै।

मधु की मांं आंखों में आंसू भरकर घर का दरवाजा खोलती हैै। और सिद्धार्थ को बताती है कि "मोती तुम्हारी बाइक के पीछे भागते हुए ना जाने कहां चला गया है। इसलिए मधु और उसके पिताजी सुबह से मोती को ढूंढने के लिए घर से निकले हुए हैं।"

मधु की मां कि यह बात सुनने के बाद सिद्धार्थ का मोती के लिए दिल घबराने लगता है। और सिद्धार्थ उसी समय अपनी बाइक से मोती को ढूंढने निकल जाता है।

मोती के ना मिलने के बाद मधु और उसके पिताजी निराश उदास अपने घर वापस आ जाते हैं।

सिद्धार्थ भी मोती को ढूंढते ढूंढते रात भर अपने घर नहीं आता है। और सुबह जब सिद्धार्थ घर आकर अपनी बाइक का होरन तेज तेज बजाता है, तो सिद्धार्थ की बाइक का होरन सुनकर मधु जल्दी से अपने घर से बाहर आती है। मधु यह देख कर बहुत खुश हो जाती है की सिद्धार्थ की बाइक के आगे मोती बैठा हुआ है।

मधु के मां पिता जी सिद्धार्थ की इंसानियत देख कर मधु कि शादी सिद्धार्थ के साथ करने का फैसला ले लेते हैं। और इस तरह मोती की वजह से सिद्धार्थ को परिवार मिल जाता है।

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