धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 12 RashmiTrivedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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धुंध: द फॉग - एक हॉरर लवस्टोरी - 12

अपनी घड़ी की ओर देखते हुए शिवाय ने कहा,"यार, पूरी रात तो यूँ ही बीत गई। सुबह होनेवाली है!"

शिवाय की बात सुन जेनेट ने वेनेसा से कहा,"मैं घर जाना चाहती हूँ वेनेसा!"

वेनेसा ने आगे बढ़कर क्रिस से कहा,"क्रिस,अब हम लोगों को यहाँ से जाना चाहिए। मैं तो कहूँगी तुम भी इस विला से दूर रहो तो अच्छा रहेगा। ग्रैनी भी यहाँ नहीं है,ऐसे में तुम्हारा यहाँ रहना ठीक नहीं है।"

"वेनेसा, क्या तुम यह चाहती हो कि मैं बिना कुछ जाने, बिना कुछ किए, डरपोक की तरह यहाँ से भाग जाऊँ? अगर सच में यहाँ कोई आत्मा रहती है...या यूँ कहे कि क्रिस्टीना की आत्मा रहती है तो जब तक मैं उसे अपने आँखों से देख नहीं लेता,उससे बात नहीं कर लेता तब तक यहाँ से नहीं जाऊँगा! चाहे आत्मा हो या इंसान, हर कोई यह जान ले,अब यह मेरा विला है और मैं हरगिज़ यहाँ से इस तरह नहीं जाऊँगा!"....क्रिस ने अपने आसपास देखते हुए कहा।

क्रिस की बात सुन मैनेजर अशोक के चेहरे पर चिंता साफ़ देखी जा सकती थी। लियोना गोमेज़ अपने पोते की जिम्मेदारी उसे सौंप गयी थी,अगर उसे हल्की सी खरोंच भी आ गई तो अशोक का बचना मुश्किल था। उससे भी ज्यादा वो इसीलिए भी परेशान था क्यूँ कि क्रिस से उसका बेटे की तरह का लगाव था। इस मुसीबत की घड़ी में उसे कैसे अकेला छोड़ सकता था वो!

अशोक ने उसकी पूरी बात सुन कहा,"तो ठीक है क्रिस बाबा, मैं भी आपके साथ यही रहूँगा। आपको अकेले छोड़कर जाने का सवाल ही नहीं उठता!"

उसके बाद क्रिस के सारे दोस्त अपने घर जाने के लिए निकल गए। वेनेसा, जेनेट और शिवाय तीनों अतुल के साथ उसकी कार में बैठ गए। पिछली सीट पर बैठी जेनेट अभी भी डरी हुई लग रही थी। वेनेसा भी परेशान लग रही थी। उसने धीरे से जेनेट से कहा, "मुझे क्रिस की बहुत फ़िक्र हो रही है। मैं उसे जानती हूँ अच्छी तरह से...अगर उसने ठान लिया है तो वह कभी उस विला को नहीं छोड़ेगा! लेकिन उसके साथ अगर कुछ हो गया तो मैं भी जी नहीं पाऊँगी जेनेट! मैं क्या करूँ? कैसे उसे समझाऊँ?"...

जेनेट अपने ही खयालों में कहीं खोई हुई थी। उसने वेनेसा की बात को शायद अनसुना कर दिया था। अभी वो उस सदमें से उभरी नहीं थी जो उसके साथ विला में हुआ था। उसकी हालत देख वेनेसा ने चुप रहना ही ठीक समझा।

इधर सामने की सीट पर बैठे शिवाय ने अतुल की ओर देखा, वह चुपचाप गाड़ी चला रहा था। शिवाय ने उससे पूछा,"तुम्हें क्या लगता है अतुल,क्या सच में यह किसी पारलौकिक शक्ति का काम है या हमें किसी ने बेफकूफ बनाया है?"

अतुल ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा,"कल जो कुछ भी हुआ वह मैंने अपनी आँखों से नहीं देखा इसीलिए मैं कुछ नहीं कह सकता लेकिन मैं ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करता!"

अतुल को उस बात पर यक़ीन नहीं था लेकिन जेनेट को पूरा यक़ीन था कि कुछ बात तो थी उस विला में...उसने ग़ुस्से में पूछा," तो मैं क्या झूठ कह रही हूँ? मेरा यक़ीन करो, शीशे पर अपने आप लेटर्स लिखते चले जा रहे थे और फिर उस लड़की का दिखना... मैं सच कह रही हूँ!"

अतुल ने स्टेयरिंग संभालते हुए कहा,"हो सकता है तुम सच कह रही हो लेकिन आज के ज़माने में इन बातों पर विश्वास करना मुश्किल है।"

फिर वेनेसा ने कहा,"गाइज, मैं नहीं जानती कि इस दुनिया में भूत या आत्मा जैसी कोई चीज़ होती है या नहीं लेकिन अभी सोचने वाली बात यह है कि चाहे यह किसी आत्मा का काम हो या इंसान का, दोनों ही केस में क्रिस के लिए वहाँ रहना ख़तरनाक साबित हो सकता है। हमें उसके लिए कुछ करना चाहिए।"

"बात तो ठीक है मगर तुमने देखा न, क्रिस ने क्या कहा! वह नहीं मानेगा आसानी से! चलो बाद में कुछ सोचते हैं इस बारे में...अभी तो घर चलते हैं।", शिवाय ने फिर अपनी घड़ी की ओर देखते हुए कहा।

फिर अतुल ने एक एककर सबको अपने अपने घर ड्राप किया और वह भी अपने घर चला गया।

सुबह नौ बजे जब पीटर पैराडाइस विला की तरफ़ आ रहा था तभी उसकी मुलाक़ात रात की शिफ़्ट में काम करनेवाले चौकीदार से हुई। चौकीदार अपने घर की ओर जा रहा था। पीटर को देख उसने उसे रात वाले वाक़िये के बारे में बताया। जिसे सुन दिन के उजाले भी पीटर बहुत डर महसूस कर रहा था।

चौकीदार तो अपनी बात कहकर चला गया, लेकिन जाते जाते पीटर को एक गहरी सोच में डाल गया। वह मन ही मन अपने गॉड को याद कर अपने गले का क्रॉस चेक करते हुए विला की ओर बढ़ गया।

घर के अंदर प्रवेश करते ही सब कुछ शांत लेकिन ठीक ही लग रहा था। उसने देखा, क्रिस और अशोक डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे। लियोना गोमेज़ की उपस्थिति में अशोक कभी भी डायनिंग टेबल पर अपने मालिक के साथ नाश्ता करने की सोच भी नहीं सकता था लेकिन क्रिस की बात अलग थी। वह हमेशा से ही अशोक का आदर करता था।

पीटर को देख अशोक ने तंज कसते हुए कहा,"ओह पीटर साहब,आप आ गए? आइए आइए, हमारे साथ नाश्ता कीजिए! कल रात को तो आप बिना बताए ही चले गए!"

"नहीं साहब, हम घर से ब्रेकफास्ट करके आया है। वह आपको बताया तो था कि हम नौ बजे चला जायेगा। वह...वह...अचानक से लाइट ऑफ़ हो गया तो हम..हम जल्दी से निकल गया! वह वाइफ घर पर अकेला था न!",पीटर ने अपने डर को काबू करते हुए कहा।

"झूठ! यह क्यूँ नहीं कहते कि तुम डर गये थे?",अशोक ने ऊँची आवाज़ में कहा।

पीटर ने डरते हुए कहा,"आप को भी डरने को मांगता है! वह रात की शिफ़्ट का चौकीदार बताया हमको सब कुछ! हम आपको पहले ही बोला था। एक और बात हमको बोलना था,वो..वो हम.. हम दूसरा काम ढूँढ लिया है तो इधर नहीं आ पायेगा अब। वही बताने को आया था!"

अशोक अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ। वो कुछ कहना चाहता था मगर क्रिस ने उसे रोक दिया और कहा,"रहने दीजिए अशोक अंकल,उसको कुछ पैसे दे दो और जाने दो।"

अशोक ने भी वही किया। अपनी जेब से कुछ पैसे निकालें और पीटर को दे दिए।

क्रमशः ....
रश्मि त्रिवेदी