ऑफ्टर लव - 22 Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऑफ्टर लव - 22

अभय और त्रिशा कार से जा रहे होते है, तभी त्रिशा अजीब सा फेस करती हुई अभय के तरफ़ देखती है।अभय त्रिशा को ऐसे खुदके तरफ देखते हुए उससे पुछता है"क्या हुआ कोई प्रोब्लम है ?"..

त्रिशा न में सिर हिलाते हुए कहती है"नहीं!!"पर त्रिशा का चेहरा अभी भी फीका फीका लग रहा होता है। त्रिशा अपने पेट पर हाथ फेरते हुए अजीब सा सकल बनाती है।

अभय हल्के से आँख घुमा कर त्रिशा को ऐसे करते हुए देख लेता है,और उससे पूछता है"लगता है तुम्हारे पेट में दर्द है!"त्रिशा न में सिर हिलाते हुए फिर से कहती है"नहीं ऐसी कोई बात नही है।"...
अभय को कुछ समझ नही आ रहा होता हैं,और त्रिशा खुल कर उसे बता भी नही रही होती है।

तभी अभय उससे पूछता है"देखो जब तक तुम बताओगी नहीं मुझे पाता कैसे चलेगा की आखिर प्रोब्लम क्या है? जो है खुल कर साफ साफ बताओ यार अब हम दोनो फ्रेंड्स है और इतना तो मुझे भी जानने का हक है ना?"....

त्रिशा हिचकिचाते हुए कहती है"ओ,,, ओ मुझे बहुत जोर की भूख लगी है,और भूख से मेरा पेट भी दर्द कर रहा है।"...अभय त्रिशा की बात सुनते ही मुस्कुराते हुए कहता है"क्या?और यहीं बोलने के लिए तुम इतना सोच रही थी,,ओके चलो आगे कोई रेस्टुरेंट होगा तो वहीं खा रुकेंगे।"..

कुछ दूर तक जाने के बाद एक सुनसान जगह पर एक ठेला वाला रुका हुआ होता है।अभय उसी ठेले के पास अपनी कार रोकते हुए त्रिशा से कहता है"हमें फिलहाल यही रुक कर खा लेना चाहिए क्योंकि आगे रेस्टुरेंट खुला भी होगा या नही कुछ कह नहीं सकते।"...

त्रिशा बिना कुछ बोले ही कार से बाहर उतर कर आती है,अभय उस ठेले वाले से कहता है"दो जगह खाने के"...अभय जैसे ही ये कहता है, ठेले वाला अभय को घूरने लगता है, उसे ऐसे घूरते देख अभय उससे पूछता है"क्या हुआ?"..

तभी त्रिशा वहा आती है, तो ठेले वाला कहता है"रात भी बहुत हो चुकी है,और मेरे पास अब कुछ भी नही बच्चा है।इतना सुनते ही अभय त्रिशा के तरफ देखने लगता हैं।त्रिशा का चेहरा भूख से बिलकुल बेरंग हो चुका होता है।

अभय ठेले वाला से कहता है"देखिए ना थोड़ा सा भी अगर कुछ हो तो।ठेले वाला खाना चेक करता है,तो पाव भाजी बची हुई थी।वो एक प्लेट में निकाल कर अभय को देते हुए कहता है"ये लो बेटा बस यहीं आखिरी बची हुई थी।"...

अभय वो प्लेट उनके हाथ से लेते हुए उन्हें थैंक्स कहता है,और त्रिशा के ले जाकर देते हुए कहता है"उफ्फ,येबस आखिरी प्लेट बची हुई थी,शायद इसे भी तुम्हारा ही इंतजार था अब लो और जल्दी से अपने पेट में दौड़ रहे चूहों को खिला दो वरना तुम्हारी हालत और भी बुरा कर देंगे।"...

त्रिशा हल्की सी स्माइल करते हुए अभय के हाथ से वो प्लेट ले लेती है,और खाना शुरू करती है।अभय उसे खाते हुए देख रहा होता है,पर त्रिशा खाने में इतना खो जाती है की उसे ये पता ही नही चलता कौन उसे देख रहा है।जब सब खाकर खतम कर देती है फिर उसकी नजर अभय पर पड़ती है जो उसे कहते हुए बस घूरे जा रहा होता हैं।"

त्रिशा अभय को देखने के बाद अपने प्लेट में देखती है और फिर मासूम सा मुंह बनाते हुए अभय से कहती है"ओह सॉरी मुझे इतनी ज़ोर की भूख लगी थी की मैं सब अकेली ही खा गई , सॉरी,,"....

अभय हंसते हुए कहता है,"अरे,कोई बात नही और खाने का मन है क्या ?"त्रिशा झट से कहती है"अरे नहीं नहीं बस हो गया।"अभय उस ठेले वाले के पास जाता है और उसे दो हजार का नोट देते हुए कहता है"ये लीजिए वो आदमी दो हजार का नोट देख कर कहता है"अरे साहब हमारे पास इतने बड़े नोट का छुट्टा नहीं हैं, आपके बस 50 रूपए हुए ।"अभय उस आदमी को दो हज़ार का नोट देते हुए कहता हैं "कोई बात नही आप ये पूरे रूपए रख लीजिए।"...

वो आदमी चौकते हुए कहता है"क्या साहब क्यों मजाक कर रहे हो,आप मुझे बस मेरे 50रूपए ही दे दीजिए।"उस आदमी के इतना कहते ही अभय अपने पॉकेट से पर्स निकल कर इस आदमी को दिखाते हुए कहता है"ये देखिए मेरे पास चेंज नहीं हैं, आप बस ये रूपए रखिए और मुझे छुट्टा देने की भी कोई जरूरत नही है।आप ये पूरे अपने पास रखिए आखिर कार आपने इतनी रात को हमें खाना जो खिलाया है तो बस इसी लिए मेरे तरफ से ये रख लीजिए।"....

अभय दो हजार का नोट उस आदमी को दे कर वहा से चला जाता है।त्रिशा कार के पास खड़ी हो कर ये सब देख रही होती है।अभय कार का डोर ओपन करता है और त्रिशा को बैठने के लिए कहता है।त्रिशा अभय को बड़े ही गौर से देखती है ।अभय उसे यू खुदके तरफ देखते हुए देख कर उससे पुछता है"क्या हुआ मेरे फेस पर कुछ लगा है क्या??"...

त्रिशा अभय की बातों का जवाब देती है"नहीं,, नहीं बस ऐसे ही देख रहि थी क्योंकि सुना है बड़े बड़े जो सेलिब्रिटी होते है उनके अंदर इगो और एटीट्यूड कुछ ज्यादा ही होता है।"पर तुमसे मिलने के बाद मुझे ऐसा कुछ होता होगा लगता नहीं हैं!"....

अभय त्रिशा से पुछता है"वैसे अब तो तुम भी एक सेलिब्रिटी बनने वाली हो फिर तो तुम्हारे अंदर भी ये सब आ जायेगा?"..अभय के इतना कहते ही त्रिशा न में सिर हिलाते हुए कहता से कहती है"नही, नहीं मैं जैसी ही बिल्कुल वैसी ही रहूंगी बस थोड़ा डर सा लगा रहता है, लड़की जो हू । पर एक दिन मैं अपने मन की करूंगी और अपने हमसफर के साथ बेफिक्र हो कर आसमा में उडूंगी।"...

अभय हल्की सी मुस्कुराहट के साथ बोलता है"अगर तुम चाहो तो वो हमसफर मैं बनने के लिए तैयार हूं।"..अभय जैसे ही ये बोलता है त्रिशा चौक कर अभय को देखने लगती है।अभय त्रिशा को ऐसे देख कर कुछ देर तक चुप रहता है और फिर जब त्रिशा कुछ नहीं बोलती हैं,अभय हंसते हुए कहता है"अरे, मैं मजाक कर रहा हू।"

त्रिशा अभय से कहती है"इट्स ओके,,,"..तभी अभय कार का डोर खोलते हुए कहता है"तो अब चले??"त्रिशा आकार कार में बैठ जाती है।अभय कार स्टार्ट करके जाने लगता है।

To be continued,,