सुसाइड पार्टनर्स - 9 Nirali Patel द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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सुसाइड पार्टनर्स - 9



अथर्व - इससे पहले हम दोनों प्लान बदल ले चलो। let's do it.

नित्या : क्या?

अथर्व : सूप या नूडल्स?? जल्दी बोलो।

नित्या : पर ..... बोनबोन का क्या करेंगे???

अथर्व : अब ये बोनबोन कौन है?

नित्या : पप्पी की पीठ पर हाथ सहलाते हुए ये है हमारा बोनबोन। मैने रखा अभी इसका नाम।

अथर्व हैरान होते हुए सोचता है यार मैं इस लड़की के साथ क्या कर रहा हु? ये ही मिली थी, मुझे सुसाइड में पार्टनर बनने के लिए। अब इसे कैसे समझाऊं, इसके सामने तो मेरी बोलती ही बंद हो जाती है।

अथर्व : नित्या ......

नित्या : अथर्व प्लीज़ गुस्सा मत करो। देखो मैं अपनेआप को कभी माफ नहीं करूंगी अगर मरने से पहले हमने इसे अकेला छोड़ दिया तो। प्लीज़ देखो मैं कुछ नहीं मांग रही हु तुमसे......

नित्या को यू कंटिन्यू बोलते देख गुस्से से अथर्व जट से उसके चहेरे को पकड़ लेता है और उसकी और एक ही नज़र से देखता है, और सोचता है : "रुक क्यू गया? अथर्व ? पता नई , ये कितनी क्यूट और इनोसेंट है मेरा इसे किस करने का मन कर रहा है। ओय अथर्व तू पागल वागल तो नई हो गया ना? तू सिर्फ नेहा से प्यार करता है ओके.....? हा बट पता नहीं क्यू यार मेरा मन सच मे नित्या को किस करने कर रहा है।

नित्या का भी मन तो हो रहा था किस करने का , पर फिर भी उसने अथर्व के हाथ हटाते हुए कहा : तो क्या डिसाइड हुआ? क्या करेंगे बॉनबोन का?

अथर्व : आइडिया। बोनबोन को ना हम फिरोजा आंटी के पास लेकर चलते हैं, इससे ज्यादा हम इसके लिए कुछ भी नही कर सकते।

नित्या : अब फिर से कैफे जायेंगे??

अथर्व : हा। वो मुझे भी ना डार्क फेटेंसी केक भी खानी है और ये मेरी आखरी इच्छा है।

नित्या : ओके चलो।

अथर्व और नित्या फिर से कैफे पहुंचते हैं। और उन दोनों को देख फिरोजा आंटी बहुत खुश हो जाती है।

फिरोजा आंटी : ओ...... बच्चा लोग। फिर से वापस ...... कैसे हां......

अथर्व : बस यू ही आंटी आपके हाथ के जादू ने हमे फिर से बुला लिया, तो आ गए।

आंटी : ओ...... Very nice,very nice. आओ आओ बैठो यहा .......

अथर्व और नित्या दोनों टेबल पर बैठते है और आंटी पूछती है , चलो बताओ तुम दोनों क्या खाना पसंद करोगे?

अथर्व और नित्या : डार्क फैंटेसी।

आंटी : डार्क फैंटेसी हां........ तो तुम बच्चा लोग में दोस्ती हो ही गया। मैं बहुत खुश हु। हाहाहा.......मैं अभी लेके आती हु हां।

नित्या : सो तुम्हारी आखरी ख्वाइस भी पूरी हो गई?

अथर्व : चेयर नित्या के पास लेकर बोलता है : हा आखरी ख्वाईस तो पूरी हो गई।

नित्या : थैंक यू।

अथर्व : थैंक यू। किसके लिए?

नित्या : आज के लिए।

अथर्व : वैसे थैंक्यू कहने का तो मेरा भी फर्ज बनता है।

नित्या : किस चीज़ के लिए?

अथर्व : ( उदास हो कर) वो क्या है न की मुझे लगता है मैं बचपन से ही अकेला हु। कभी कोई मेरा साथ ही नहीं देता। जिससे प्यार करता था वो भी छोड़ के चली गईं।
( छोटी सी स्माइल के साथ) पर तुम...... पर तुम तो मेरा मरने में साथ दे रही हो, तो इससे बड़ी लक की बात ओर क्या हो सकती है। इनफेक्ट तुमने तो मुझे रियलाइज करवाया की भगवान ना किसीको अकेला नहीं छोड़ते , किसी न किसी को तो भेज ही देते है, साथ देने के वास्ते।

नित्या : (मन में सोचती है ) कितनी अच्छी बाते करता है। मेरा ना मन इसको किस करने का कर रहा है। नित्या ....... पागल हो गई है क्या तू। सही कहते हैं सब बिलकुल पागल ही है तू।

नित्या : तुम्हारे पास पेन है।

अथर्व : हे..... अब क्या आइडिया आ रहा है तुझे?

नित्या : अरे दो ना।

अथर्व : ठीक है ये लो।

नित्या :( उदास होते हुए ) देखो केक खाके हम आधा आधा रेट पॉयजन तो खाने ही वाले है। तो क्या है ना मै बहुत टाइम से पापा से मिली नहीं और फोन भी नही कर सकती उन्हें। (रोते हुए ) वैसे मैं बस इतना बताना चाहती थी कि मैं उनसे बहुत प्यार करती हु मगर मैं माफ़ी चाहती हूं की मैने उनको इतना हर्ट किया।

इतना बोल कर नित्या वहा पड़े कागज़ पर लिखने जाती है, तभी अथर्व उसे रोक कर बोलता है।

अथर्व : नित्या तुम सच में सुसाइट करना चाहती हो ना ??

नित्या अथर्व की ओर देखती है और एकदम से उसे गले लग जाती है। अथर्व भी उसे कस के गले लगा लेता है। नित्या सोचती है : मेरे बारे में कितना सोचते हो तुम। काश मैं तुम्हे मरने से रोक पाती। और अथर्व भी सोचता है : कितना फनी है यार मैं तेरे लिए जीना चाहता हू पर......

फिर वो दोनों अलग होते हैं, और नित्या लिखने लगती है।

" सॉरी पापा मैं ख़ुद को खत्म कर रहि हु। मोहित ने मुझे धोखा दिया। काश मैने घर से भागने से पहले आपके बारे में या ख़ुद के बारे में कुछ सोचा होता। मुझे पता है कि मेरी वजह से आपको ना जाने क्या क्या सुनना पड़ा होगा। इसीलिए वापिस आकर मैं आपको क्या मुंह दिखाऊंगी। मैं आपको दुःखी नहीं देख सकती इसलिए मैं मां के पास जा रही हु।

आपकी नालायक और जिद्दी बेटी,
नित्या।

तभी आंटी फिरोजा वहा आती है।

आंटी : ये लो बच्चा लोग आपका डार्क फैंटेसी एंड साथ में कोल्ड कॉफी। आज की स्पेशल कोल्ड कॉफी। आंटी फिरोजा की स्पेशियल........।

आंटी फिरोजा पप्पी को देखती है और नित्या और अथर्व को बोलती है : तो तुम दोनों आज अपने इस दोस्त के साथ आए हो राइट?? कितना क्यूट है।

नित्या : आंटी इसके लिए दूध मिलेगा??

आंटी : हा क्यू नई। पर मैं इसे अपने साथ ले जाऊंगी और इसे दूध पिलाऊंगी। हां......

आंटी फिरोजा वहा से पप्पी को ले कर मैन टेबल पर जाती है। और वो कागज़ चिट्ठी जो नित्या ने अपने पापा के लिए लिखी थी वो भी उस पप्पी की टोकरी के साथ चली जाती है। आंटी वो कागज़ देखती है पर वो वेस्ट पेपर समझकर उसे डस्टबिन में फेंक देती है।

और इस तरफ,

अथर्व और नित्या आधा आधा रेट पॉयजन अपनी अपनी कोल्ड कॉफी में डालते है। और एकदुसरे का हाथ कस कर पकड़ लेते हैं।

नित्या : (रोतेरोते) हम फाइनली मरने जा रहें हैं। दो लूजर्स जिनको दुनिया में कभी प्यार नहीं मिला, वो आज कोल्ड कॉफी पी कर ये दुनिया छोड़ देंगे। अथर्व तुम मुझे मिस करोगे ना? मैं तुम्हें , पापा को और बोनबोन को बहुत मिस करूंगी।

अथर्व : अवार्ड नहीं मिल रहा हमे। सुसाइड करने जा रहें हैं। स्पीच की जरूरत नहीं है।

ये सुनकर नित्या हंसने लगती है।

अथर्व : जब तुम हसती हो नए तो बहुत अच्छा लगता है। ऐसा लगता है कि बस वक्त यहीं थम जाए। सबकुछ रुक जाए।
अथर्व मन में सोचता है : नेहा के लिए मरने जा रहा है और मरने से पहले तुम्हें किसी और से प्यार हो रहा है, शर्म कर अथर्व...।

फिर वो नित्या से कहता है: अगर तुम मुझे पहले मिल गईं होती तो मेरी जीने की वजह बन जाती ।

नित्या : अगर तुम मुझे पहले मिले होते तो मैं मोहित जैसे धोखेबाज से प्यार ही नहीं करती।

अथर्व :( मस्ती करते हुए ) अक्चुली तुम ना सही कह रही थी। तुम ना हाइट में थोडी छोटी हो। थोडी नई कुछ ज्यादा ही छोटी हो।

नित्या : अथर्व का हाथ छोड़ते हुए ' तुम ना '......

अथर्व : तुम्हें ऐसा गुस्सा बचपन से ही आता है.?

नित्य : नहीं । जब से मोम गई है तब से।

फिर दोनों कोल्ड कॉफी पीने की कोसिस करते है।

अब आगे देखना है कि सच में दोनों रेट पॉयजन वाली कोल्ड कॉफी पीते हैं या फिर अपने प्यार का इज़हार करते हैं। तो कहानी को आगे जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।



Nirali ✍🏻