जरूरी नहीं प्यार का अंजाम शादी हो
Jaroori Nahi Pyar ka Anzam Shadi Ho
मोहन और मीरा दोनों बिहार के आरा शहर के हाई स्कूल में पढ़ते थे . हालांकि दोनों अलग जाति के थे पर दोनों में गहरी दोस्ती थी . दोनों के माता पिता उनकी दोस्ती से अनभिज्ञ थे . इतना ही नहीं दोनों के पिता उसी शहर में एक ही प्रकार के बिजनेस में थे और एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी थे . दोनों में कोई रिश्ता था तो वह कटुता की थी .
मोहन और मीरा दोनों साइंस के विद्यार्थी थे और सेंट्रल बोर्ड की बारहवीं की परीक्षा दे रहे थे . स्कूलिंग के बाद दोनों ने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया था . दोनों ने आई आई टी के लिए टेस्ट दिया पर दुर्भाग्यवश किसी को भी सफलता नहीं मिली . अपने शहर में अच्छे कोचिंग सेंटर नहीं होने के कारण उन्होंने पटना जा कर कोचिंग लेने की सोची .
दोनों ने पटना के साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया और साथ ही शाम को कोचिंग करने जाते . मोहन और मीरा अलग अलग हॉस्टल में रहते थे . वे कॉलेज और कोचिंग के लिए साइकिल से जाते . दोनों कोचिंग से निकल कर अक्सर शाम को एक साइबर कैफ़े में जाते और एक खास केबिन में कुछ वक़्त गुजारते थे . वहां अक्सर जाते रहने के चलते कैफ़े मालिक से उनकी अच्छी जान पहचान भी हो गयी थी . वह उनके आने के समय पर वह केबिन उनके लिए रिज़र्व रखता था . यह केबिन कैफ़े के अन्य केबिन की तुलना में बड़ा और आरामदायक था . उस कैफ़े में करीब एक दर्जन केबिन थे . दो केबिन्स के मध्य छः फ़ीट ऊंची प्लाईवुड की पार्टीशन वॉल होती थी , और दरवाजे की जगह एक मोटा पर्दा होता था .वे दोनों कुछ ऑनलाइन पढ़ाई करते और बीच बीच में कुछ मस्ती भी . धीरे धीरे उनकी दोस्ती प्यार में बदल रही थी . दोनों ने इंजीनियरिंग के बाद शादी करने का फैसला किया .
एक साल की कोचिंग के बाद दोनों ने फिर आई आई टी एंट्रेंस टेस्ट दिया . रैंक नीचे होने के चलते इस बार भी दोनों आई आई टी में एडमिशन लेने में असफल रहे पर दोनों का सिलेक्शन एन आई टी पटना के लिए हो गया . दोनों इस सफलता पर खुश थे .
फर्स्ट ईयर का पहला दिन था . क्लासेज के बाद शाम को मीरा जब कॉलेज के साइकिल स्टैंड से साइकिल लेने गयी तब उसकी साइकिल में एक पर्ची लगी थी . उसमें एक फोन नंबर देकर लिखा था “ इस नंबर पर कॉल करो . फिर जहाँ कहा जाए वहां अकेली आ जाना और आगे जैसा कहा जाये वैसा करना .वरना कैफ़े के अंदर के तुम दोनों प्रेमियों की रास लीला का विडिओ तुम्हारे माता पिता को भेज देंगे और इंटरनेट पर वायरल कर देंगे
. “ मोहन और मीरा ने सोचा कि कोई उन्हें ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूलना चाहता है . दोनों मिड्ल क्लास परिवार से थे और उनका बिजनेस साधारण था इसलिए कोई मोटी रकम देने की स्थिति में नहीं था .
शुरू में मीरा ने इसे हल्के में लिया और वह खामोश रही , फिर दुबारा उसकी साइकिल में उसी तरह की पर्ची मिली तब उसने मोहन को भी बताया . दोनों बहुत डर गए . कुछ दिनों बाद एक पर्ची मिली जिसमें लिखा था कि फलाने दिन तुम काले रंग का ब्रा पहनी थी , फलां दिन इस रंग का शलवार सूट पहनी थी तो फलां दिन तुम दोनों ने किस किया आदि . अब और इंतज़ार नहीं कर सकता हूँ . तुम दोनों दो लाख कैश लेकर हमारे बताये स्थान पर मिलो . और कोई अन्य व्यक्ति साथ न हो और न ही ज्यादा चालाक बनने की कोशिश करना . दोनों बहुत चिंतित थे . बात ही कुछ ऐसी थी , वे किसी को बता भी नहीं सकते थे . अब पानी सर से ऊपर आ रहा था इसलिए दोनों ने एक नजदीकी दोस्त तपन से इस बात का जिक्र किया .उसका पिता शहर के थाने में दारोगा था . तपन ने मोहन बन कर पर्ची वाले नंबर पर बात कर मीरा के साथ उस ब्लैकमेलर से मिलने का फैसला किया .
तय समय पर तपन और मीरा ब्लैकमेलर के बताये जगह पर मिलने गए . उधर तपन के पिता ने मोहन के साथ एक सिपाही को सादे भेष में पीछे लगा दिया था . मोहन और सिपाही निकट में ही छिपे बैठे थे . ब्लैकमेलर इस बात से अनजान था .
मोहन की जगह तपन को देख कर ब्लैकमेलर ने कहा “ तुम तो मोहन नहीं हो , फिर तुम क्यों आये हो मीरा के साथ ? देखो कोई चालाकी करने की कोशिश की तो पल भर में सारे विडिओ वायरल कर दूंगा . “
“ प्लीज वैसा कुछ नहीं करना , शांति से मेरी बात सुनो . मोहन की माँ की तबीयत ठीक नहीं है और वह उन्हें ले कर हॉस्पिटल गया है और वैसे भी वह बहुत डरा हुआ है . तुम क्यों दोनों को बेवजह परेशान कर रहे हो ? क्या उनसे तुम्हारी पुरानी दुश्मनी है ? आखिर क्या चाहते हो ? “
“ मुझे तुम्हारी कहानी या इतिहास से कोई लेना देना नहीं है . सीधे मुद्दे पर आते हैं . मुझे दो लाख रुपये कैश दो , मैं विडिओ डिलीट कर इस खेल का दी एन्ड कर दूंगा वरना आगे जो होगा तुम्हें पता ही है . “
मीरा एक ब्रीफकेस ले कर आयी थी जिसके ऊपर में कुछ रूपये थे . “ हाँ भाई हम तैयार हो कर आये हैं . “ बोल कर तपन ने ब्रीफकेस खोल कर रूपये देने का नाटक किया और रिमोट द्वारा एक सिटी बजायी . सिटी सुनते ही सिपाही को पास आने का संकेत मिला . . सिपाही अपना डंडा लेकर मोहन के साथ उनके पास आया . ब्लैकमेलर ने इस स्थिति की कल्पना नहीं थी . सिपाही को देख कर उसे पसीना छूटने लगा . जब सिपाही ने उसे दो चार डंडे मारे तब उसे नानी याद आयी और दिन में तारे नजर आने लगे .
सिपाही ने ब्लैकमेलर से पूछा “ तुम्हारा नाम क्या है ? तुमने इन लोगों का जो वीडियो बनाया है उसे अभी दिखाओ और हमारे सामने डिलीट करो . तुम्हें दो लाख रूपये चाहिए थे न . चलो अब जेल में सड़ना और वहीँ चक्की पीसना . “
वह लड़का मीरा के पैर पर गिर कर रोने लगा और बोला “ मेरा नाम दीपक है . आप लोग मुझे क्षमा करें , मुझसे गलती जरूर हुई है पर मैंने कोई वीडियो नहीं बनाई है . मेरे पास तो पुराना 2G मोबाइल है जिस से सिर्फ बात कर सकता हूँ और SMS भेज सकता हूँ . मेरी वीडियो वाली कहानी बिल्कुल झूठी है . “
“ फिर तुम झूठ बोल रहे हो . अगर विडिओ नहीं है तब साइबर कैफ़े में तुम्हें इनके प्राइवेट बातों का पता कैसे चला ? “ सिपाही ने गरज कर पूछा
“ दरअसल कैफ़े की प्लाईवुड वाली पार्टीशन वॉल में कहीं कहीं छेद या दरार है , उन्हीं से इनकी बातें सुना या देखा करता था . मैं बेकार बैठा हूँ , माता पिता बहुत गरीब हैं . मुझे पैसों की जरूरत थी इसलिए मैंने यह गलत कदम उठाया . प्लीज हमें जेल नहीं भेजें , मेरे माता पिता यह सुन कर मर जायेंगे . “ दीपक ने कहा
“ इसके पहले और कितनों से पैसे वसूले हैं ? सिपाही ने पूछा
“ यह मेरी पहली और आखिरी भूल है . “ दोनों कान पकड़ कर दीपक ने कहा
मोहन और मीरा दोनों ने सिपाही से कहा “ ओह , तब सिर मुड़ाते ही ओले पड़े . इसकी पहली भूल है इसलिए इसे माफ़ कर दें हमलोग . “
“ ठीक है , इसे माफ़ कर देंगे पर कुछ सजा तो इसे मिलनी चाहिए . इसे सिर मुंडवा कर 50 बार उठक बैठक करनी होगी और एक लिखित माफीनामा देना होगा . इसके बाद हम इसे उसके माँ बाप के हवाले कर देंगे . “ सिपाही बोला
“ आपलोग मेरे माता पिता को बीच में क्यों लाना चाहते हैं ? बाकी सजा के लिए मैं तैयार हूँ . “ दीपक फिर रोते हुए बोला
“ नहीं , हम तुम्हारे घर जरूर ले जायेंगे ताकि तुम्हारे माँ बाप और मोहल्ले वालों को तुम्हारी करतूतों का पता चले . “
“ सर , आपलोग अब जो चाहें करें पर मेरी भी एक विनती मान लें तो मुझ पर बड़ी कृपा होगी . “
“ वो कौन सी बात है ? “
“ कम से कम ठगी वाली बात घर में न बताएं . “
आखिर दीपक ने लिखित माफीनामे पर साईंन किया . फिर उसका सर मुंडवा कर पुलिस अपनी गाड़ी में उसे घर छोड़ने आयी . मोहल्ले वालों ने भी यह तमाशा देखा . दीपक के माता पिता भी बाहर आ कर सब देख रहे थे . उन्होंने पुलिस से पूछा “आपलोगों ने मेरे बेटे की यह हालत क्यों बनाई है ? “
पुलिस कुछ बोलता इसके पहले मीरा ने कहा “ यह हमें रास्ते में फ़िल्मी गाने गा कर छेड़ा करता था , इसी बात की सजा इसे मिली है . अब इसने माफ़ी मांग ली है और कसम खायी है कि आगे ऐसा नहीं करेगा . “
मीरा ने दीपक की ठगी वाली बात छुपा ली . दीपक ने भी राहत की सांस ली .
जब इस घटना का पता मोहन के पिता को पता चली तब उन्होंने बेटे को डांटते हुए कहा “ तुम्हें शहर भेजा गया है पढ़ने के लिए या प्यार व्यार के चक्कर में अपना और हमलोगों की बदनामी करने के लिए . वैसे भी उस लड़की से तुम्हारी शादी नहीं हो सकती है . हमारी जाति अलग है और उस लड़की से तुम शादी मेरी अंतिम क्रिया के बाद ही कर सकते हो , मेरे जीते जी नहीं . यह मेरा अंतिम फैसला है . “
उधर मीरा के पिता का भी यही कहना था कि उसकी शादी मोहन से नहीं हो सकती है . मोहन और मीरा दोनों ने चार साल में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली . दोनों की शादी नहीं हो सकी पर दोनों अच्छे दोस्त बने रहे . मीरा में कहा “ हमारे रिश्ते का आगाज दोस्ती से हुई फिर प्यार हुआ पर प्यार का अंजाम शादी नहीं हुआ . हर प्यार का अंजाम शादी हो , जरूरी नहीं है . हम अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे .
कुछ दिनों बाद मोहन और मीरा की शादी उनके घर वालों की मर्जी के अनुसार अपनी अपनी जाति में हुई . कुछ वर्षों के बाद मोहन अपनी पत्नी के साथ और मीरा अपने पति के साथ एक ही ट्रेन में सफर कर रहे थे . इत्तफाक से दीपक भी अपनी पत्नी के साथ उसी ट्रेन में सामने की बर्थ पर था . दीपक ने शर्माते हुए उन्हें नमस्ते कहा . मीरा के पति ने पूछा “ तुम इसे कैसे जानती हो ? “
“ शादी के पहले यह मेरे ही शहर में रहता था . कुछ दिनों तक यह हमारे अपार्टमेंट काम्प्लेक्स में सिक्योरिटी गार्ड था . “ मीरा ने जानबूझ कर झूठ कहा
यह सुन कर दीपक ने हाथ जोड़ कर मीरा को कहा “ थैंक यू मैम . आपका बहुत शुक्रिया . मैं आपका आभारी हूँ . “
इसके अलावा मीरा ने दीपक के बारे में कुछ नहीं बताया . उधर मोहन तो सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना बैठा था और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी .
मीरा के पति ने पूछा “ अरे किस बात की थैंक्स और आभार ? मीरा ने तुम्हारे लिए ऐसा क्या किया है ? “
“ मेरे जैसे छोटा आदमी को भी इन्होंने याद रखा है , यह मेरे लिए काफी बड़ी बात है . “
मीरा ने एक बार फिर चालाकी से दीपक को शर्मिंदा होने से बचा लिया . मोहन भी मंद मंद मुस्कुरा रहा था .
समाप्त
नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है