भयानक यात्रा - 30 - शिकारी कुत्ते और चील। नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भयानक यात्रा - 30 - शिकारी कुत्ते और चील।

हमने पिछले भाग में देखा की .....
डिंपल के सिर पे कौवे का सिर गिरता है जिसके कारण वो डर जाती है , और उसके बाद हितेश को वो वहां अंधेरे में जाने के लिए मना कर देती है । रात को सबके सो जाने के बाद हितेश दुबकते कदम अंधेरे की तरफ अकेला चला जाता है , तभी उसका पैर किसी चीज पर पड़ता है वो मोबाइल की रोशनी करके देखता है तो उसको चारों तरफ जानवरों के शव दिखते है । उसके सामने एक बड़ा सा गगनचर भी मरा हुआ दिखता है वो गगनचर ध्यान से देखने के बाद उसको पता चलता है की वो चिल है । तभी उसके सामने की तरफ कोई जानवर के गुर्राने की आवाज आती है तब वो वहां से भागने लग जाता है , दूसरी तरफ सतीश हितेश को वहां ना पाकर जगपति को उठा ने हेतु आगे बढ़ता है लेकिन उसका शरीर कांपने लग जाता है । नींद न आने की वजह से जूली वहां आती है और देखती है की सतीश का बदन कांप रहा होता है वो जल्दी से वह आती है और सतीश को सम्हालती है तभी जगपति जग जाता है और जूली को पानी लाने के लिए कहता है , तभी जूली को दवाई की टिकी मिलती है जो सतीश की पुड़िया से गिर गई थी । वहां हितेश के न देखकर जगपति चिंतित हो जाता है और तभी अंधेरे की तरफ से हितेश भागता हुआ आ रहा होता है । हितेश के कहने पर सबको लेके जगपति खोली में चले जाते है तभी बाहर से कोई जानवर की आवाज आती है । जगपति बाहर की तरफ देखता है तो वो डर जाता है ।
अब आगे.....
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बाहर की तरफ आ रही जानवरों की आवाज सुनकर सबको पसीने छूट रहे थे , तभी जगपति अपना दरवाजा खोलकर बाहर की तरफ देखता है । जैसे ही उसकी नजर बहार खड़े जानवर पर गिरती है वो सकपका जाता है । वो अंदर की तरफ हितेश को देखता है और सोचता है , की हितेश बच कैसे गया ?

जगपति को ऐसे अंदर की तरफ देखते हुए देख सब उसको प्रश्नभरी नजर से देखते है । फिर वो दरवाजे से हट जाता है और हितेश दरवाजे पे आता है , उसकी नजर जैसे ही बाहर की तरफ जाती है तब उसका चेहरा पीला पड़ जाता है ।

दोनो को ऐसे असमंजस में देखकर बाकी लोगो की भी हालत ढीली हो जाती है ।
उसी समय हितेश को जगपति कहता है – ये तो जंगली शिकारी कुत्ते है भाई साहब , इनके हाथों से आप कैसे बच गए ? इनकी रफ्तार और सूंघने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है ।
हितेश को भी अभी जवाब देते नही बन रहा था , वो अभी भी इतना हाँफ रहा था की उसको बोलने के लिए शब्द नही मिल रहे थे ।

दरवाजे की तरफ बढ़कर सबने देखा की , बाहर शिकारी कुत्ते अपने जुबान बाहर लटकाए खड़े है , उनके में से लार टपक रही है । उन्होंने देखा की उनका मुंह आगे से काले रंग का है और कान थोड़े बड़े है , कुत्ते के आगे के दो बड़े दांत उनकी हैवानियत का अंदाजा दे रहे थे ।
उनके मुंह पे जैसे क्रूरता भरी हो वैसे बस किसी को मारने की भावना थी ।
ये देखकर सबके होश उड़ गए थे , रात के समय में ऐसा माहोल बन चुका था जिसके कारण सबकी नींद आंखो से उड़ चुकी थी ।

तभी जैसे कुत्तों को पता चला की दरवाजा अंदर की तरफ खुला है वो बिजली की रफ्तार से दौड़ पड़े लेकिन जगपति ने उनकी मनसा भांपते हुए हितेश को धक्का मारके जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया ।
दरवाजा बंद कर देने की वजह से कुत्ते बहुत तेजी से एक बड़ी सी आवाज के साथ दरवाजे के साथ टकराए । उनके टकराने की आवाज पूरी खोली में गूंजने लगी ।

तभी जगपति के पिता वहां पर लकड़ी के सहारे आ पहुंचे , उन्होंने बाहर की परिस्थिति को भांपते हुए जगपति से कहा – ये जंगली कुत्ते है , ये कुत्ते जिसको शिकार बनाना चाहते है उसको जल्दी से छोड़ते नही है । ये लोमड़ी के भांति चतुर और शेर के भांति आक्रमक होते है , ये जिद्दी किस्म के जानवर है जो ठान लेते है वो करके छोड़ते है । वो अगर एक बार हमले में सफल नहीं होते है तो बार बार हमला करने के लिए खुद को तैयार करते रहते है , लेकिन पीछे हठ नही करते है ।
जगपति के पिता की ये बात सुनकर उनकी दहेशत का अंदाजा सबको लग गया ।

तभी जगपति बोला – बाऊजी , तो फिर हमे कुछ तो उपाय करना पड़ेगा ना ? मैने भी सुना है की ये लोग शिकार देखके धीरे धीरे सब जंगली कुत्तों को इकट्ठा करने लग जाते है ।

हां , ये जंगली कुत्ते को किसी भी तरह से यहां से भगाने का उपाय करना पड़ेगा तब ये यहां से जायेंगे । – जगपति को पिता जी ने कहा ।
उसी समय फिर से गुर्राने की आवाज आती है , ये सुनकर सब लोग दरवाजे के सुराग में से बाहर की तरफ देखने लगे । उन्होंने देखा की चार और जंगली कुत्ते वहां पर आ पहुंचे है ।

सबको ये समझ आ गया की उनको यहां से भगाने का उपाय नहीं किया गया तो पूरा उनका समूह यहां आ जायेगा और वो लोग परेशानी में पड़ जायेंगे । रात की ठंडी में जैसे विचारों की गर्मी बढ़ गई थी , और सब अपनी अपनी तरफ से कुछ सोचने का प्रयास करने लग गए ।
तभी जगपति के पिताने बोला – अगर हम उन लोगों के थोड़े कुत्तों को जख्मी कर देते है या मार देते है तो ये जंगली कुत्ते अपने कदम पीछे हटा सकते है । लेकिन उनके सामने जाना भी खतरों से कम नहीं है ।

ये सुनकर जगपति सोचने लगा , की अगर सब उनके सामने जायेंगे तो वो किसी को जिंदा नही छोड़ेंगे , लेकिन उनके ऊपर अलग तरीके से हमला करेंगे तो शायद सबकी जान का खतरा टल सकता है ।
ये सोचने के बाद जगपति ने हितेश से कहा – हितेश भाई साहब , हमारे पास कुल मिलाकर तीन नुकीले डंडे है , लेकिन हम एक साथ सामने गए तो किसी ना किसी को वो हानि पहुंचाएंगे ही !

तो मुझे ऐसा उपाय सूझा है की शायद जिसकी वजह से हम उनके हमलों से बच सकते है । फिर जगपति सबको अपना उपाय समझाने लगा , कुछ देर समझाने के बाद सबको उसकी ये युक्ति अच्छी लगी और वो लोग जंगली कुत्तों को भगाने के लिए सज्ज़ हो जाते है ।

जगपति सबकी दो दो की टुकड़ी बनाता है और उसमे हर एक टुकड़ी के हाथ में एक डंडा देता है ।
हितेश और डिंपल , जगपति और सुशीला , विवान और जूली ऐसे वो अलग ग्रुप में बंट जाते है । जगपती के पिता और सतीश को घर के अंदर ही छोड़ने का तय करते है । सतीश अभी भी होश में नहीं होता है वो बेहोश सी स्थिति में खोली में पड़ा होता है ।
जगपति के पिता उसको देखकर एक दुखभरी आह भरते है और दरवाजे के समीप जाकर खड़े हो जाते है ।

जगपति सबको नुकीला डंडा देने के बाद एक मशाल तैयार करता है , जो उसके बाउजी को दे देता है । वो उन सबको अपने उपाय के बारे में फिर से एक बार और अवगत करवाता है । सब लोग खोली के पीछे के दरवाजे की तरफ जाते है , और वहां जगपति दरवाजे की बाहर की तरफ छेद से झांक के देखता है फिर हल्के से कदम से बाहर की तरफ चला जाता है ।

बाहर आगे की तरफ जगपति के पिता दरवाजे को बार बार खटखटाते है , ताकि कुत्तों का ध्यान दरवाजे की तरफ रहे । तभी जगपति , हितेश और विवान अलग अलग दिशाओं में बिखर जाते है । अंधेरे की वजह से कुत्तों को सबकी हलचल पता नही चली है , और उनकी नजर दरवाजे की तरफ होती है और वहां एक शेर की तरह दरवाजे की तरफ नजर रखकर घूम रहे होते है ।

जगपति और हितेश कुत्तों के दोनो विपरीत दिशाओं में चले जाते है , और तभी विवान के साथ जूली कुत्तों की समक्ष सामने की तरफ से आगे बढ़ ने लग जाते है । विवान और जूली को देखकर कुत्ते अपने ताव में आ जाते है , और हमला करने के लिए सज्ज़ हो जातें है । वे जैसे ही विवान की तरफ दुबकते है तभी जूली खोली के दरवाजे की तरफ भागती है और विवान भी उसके पीछे भागता है । तभी दोनो तरफ से हितेश और जगपति अपने हाथ में डंडा लेकर पीछे से कुत्तों पर प्रहार कर देते है और पीछे रहे कुत्तों के पैर के ऊपर दबाव बना ने लग जाते है । अचानक से हुए हमले से कुत्तों को समझ नही आता है और वो हड़बड़ा जाते है लेकिन जल्दी से वो लोग फिर से हमला करने तैयार हो होते है जगपति के पिता दरवाजा खोल के मशाल को जलाके जगपति की तरफ फेंक देते है । जगपति हाथ में मशाल लिए कुत्तों के सामने बढ़ जाता है । ये देखकर वहां जंगली कुत्ते अपने साथियों को थोड़ा जख्मी देखकर पीछे हट जाने लगते है , और वो लोग भागते हुए अंधेरे की तरफ चले जाते है । ये देखकर सब खोली के अंदर की तरफ जाने लगते है ।
कुछ देर तक हितेश और जगपति बाहर की तरफ अपना पहरा देकर खड़ा रहते है लेकिन फिर अंधेरे वाली झाड़ियों से कोई प्रतिक्रिया ना आते देख वो लोग खोली में जाने लगते है ।
दोनो जैसे ही दहलीज पे कदम रखते है वहां एक जंगली कुत्ता उनके ऊपर हमला करने ही वाला होता है तभी विवान दोनो को जोर से धक्का मार देता है और कुत्ते के सिर पे डंडा मारके उसको गिरा देता है ।
कुत्ते को अब जैसे चक्कर से आ जाते है , वो अब हमले करने की स्थिति में नही होता है , वो लड़खड़ाता हुआ झाड़ियों की तरफ जाने लगता है ।

सब लोग फटी आंखों से पहले वो कुत्ते को देखते है और फिर वहां पर हाथ में डंडा ऊपर उठाए विवान को देखते है , विवान का ये रूप सबने पहली बार देख था , उनको यकीन नहीं हो रहा था की विवान ने जगपति और हितेश को जख्मी होने से बचाया था । विवान का हृदय अब जोरों से धड़कने लगा था , वो अचानक से अपने हाथ से डंडा छोड़ देता है । और बुत की भांति वहीं पे खड़ा हो जाता है ।
उसको खुद को यकीन नही होता है की उसने किसी जंगली जानवर को मार कर भगाया है , और वो मुंह से एक बड़ी सी हुंकार के साथ घुटनो के बल नीचे बैठ जाता है ।

हितेश लंगड़ाते कदम के साथ उसके सामने जाकर बैठ जाता है और कहता है – धन्यवाद विवान , फिर हितेश उसके कंधे पे हाथ रखके सहलाने लगता है जैसे वो उसका दिल से आभार व्यक्त कर रहा हो ।
हितेश की आंखो में अब अफसोस था की उसके कारण सबको परेशानी झेलनी पड़ी थी । वो अपने हाथों को सबकी तरफ जोड़कर बोला – आप सब मुझे माफ कर दीजिए , आज मेरी एक गलती की वजह से सबकी जान खतरे में आ गई थी ।
जगपति उसके हाथो को पकड़कर बोला – नही भाई साहब , हमारे साथ जो होना होता है वो पहले से तय होता है । उसमे आप से कोई गलती नही हुई है , आप एक झरिया थे बस !
जगपति की ऐसी दार्शनिक बातें सुनकर सबको आश्चर्य होता है , गांव के एक अनपढ़ इंसान की ऐसी बातें उनके दिल को छू गई थी । उसकी विनम्रता और दया भावना को सब नमन कर रहे थे ।
जो इंसान ने उनको यहां पर आसरा दिया है अब उन्हीं को सबके कारण परेशानी झेलनी पड़ रही थी , और जगपति किसी को गलत नही ठहरा रहा था , वो बस सबको अपने बच्चे की भावना से देखे जा रहा था ।
दूसरी तरफ सब लोग जगपति को और सुशीला को कृतज्ञता की भावना से देख रहे थे ।

रात से हुई अकल्पनीय स्थितियों के कारण वे लोग सो नही पाए थे , और अब तो सुबह की पहली महक भी सबकी नासिका को छू रही थी । ठंडी सी हवा अब दरवाजे की दरार से अंदर की तरफ आ रही थी , सब एकदम चुप से बैठ गए थे ।
उनके दिल में शांति भी थी और कहीं सबकुछ ठीक होने की खुशी भी थी ।

तभी हितेश ने अब जगपति की तरफ देखा , तो जगपति ने उससे कहा – अब हमे घने पेड़ों के बीच तलाश करनी चाहिए , जो हमे रात के गगनचर के बारे में जानकारी दे सकता है ।

तब हितेश बोला – चाचा , वो गगनचर चिल थे , हां शायद ! फिर उसने वहां पर देखी सब चीजों को जगपति को कह सुनाया ।
ये सुनकर जगपति बोला – भाई साहब , ये अमानवीय घटना हैं । यहां कभी कोई चिल एक साथ ऐसे हमला नहीं करती है । कुछ तो हुआ है वहां !

ऐसा क्या घटित हुआ है जिसके कारण इतने चिल सबकी जान लेने के लिए आ गए थे ? क्या सतीश का ऐसे बार बार बीमार होना प्राकृतिक है ? और कोनसी परेशानी सब का आगे इंतजार कर रही है ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।