आए बैठे खाए पिए और खिसके S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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आए बैठे खाए पिए और खिसके

 


                                       आए बैठे  खाए पिए और खिसके  

 
संजय का फ्री पीरियड था , वह टीचर रूम में अपने सहकर्मियों के साथ बैठा था , तभी उसकी पत्नी सीमा का फोन आया “ सुनो जी , मैंने  एक व्हाट्सएप मैसेज भेजा है  .उसमें कुछ सामान का लिस्ट है , स्कूल से लौटते समय लेते आना  . “ 


वह फोन लेकर रूम से बाहर निकला और बोला “ तुमने मैसेज भेज कर अपनी  ड्यूटी पूरी कर ली  . तुम्हें पता है लास्ट वीक चल रहा है और पॉकेट काफी हल्का हो चुका है  . तुम तो जानती हो कि ये छोटे मोटे प्राइवेट स्कूल वाले मुझे कितना वेतन देते हैं , और कभी जितने पर साइन कराते हैं उस से भी सौ पचास कम ही देते हैं  .  “ 

 
“ तो मैं क्या करूं ? किचन में ताला बंद कर दूँ ? तुम्हें आते के साथ चाय चाहिए , वह भी मसाले वाली  . “ 

 
“ अच्छा , अपना लेक्चर बंद करो  . और लोग भी निकट में ही हैं  . देखते हैं तुम्हारी लिस्ट फिर जो जरूरी हुआ लेते आऊँगा  . “ 

 
संजय झेंपता हुआ वापस टीचर रूम में आया और अपने दोस्तों से बोला “ सॉरी , बीबी का फोन था  . हाँ , तो हमलोग क्या बात कर रहे थे ? “ 

 
“ अरे यार , विषय बदलने की बात नहीं है  . हम लिफाफा देखकर मजमून जान लेते हैं  . डोंट वरी , हमलोगों का भी वही हाल है  . “   बोल कर सभी खिलखिला कर हँस उठे  . फिर एक बोला “ तेरे ससुर जी तो पटना में पोस्टेड हैं और रहने वाले रांची के हैं , दोनों जगह उनके अच्छे कॉन्टेक्ट्स हैं  . तुम उन से कह कर  किसी अच्छे स्कूल में क्यों नहीं ट्राई करते हो ? “

 
“ कोशिश तो कर रहे हैं , देखो कब तक सफलता मिलती है  . “ 

 
संजय  अपनी पत्नी के साथ झारखंड  के रांची शहर  में रहता था   . साथ में एक लड़की माया भी रहती थी जो सीमा के मैके  की तरफ से घर के कामकाज के लिए मिली थी  . माया रांची की एक आदिवासी की लड़की थी  . उसकी उम्र करीब 15 साल की थी  . वह  सलीके से रहती थी और घर को भी साफ सुथरा रखती थी  . उसे देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वह एक नौकरानी है  .   संजय  अपने छोटे से पैतृक मकान में रहता था  . मकान छोटे से जमीन के टुकड़े पर बना था पर एक डुप्लेक्स था  . नीचे किचन, और एक गेस्ट रूम विथ बाथ था  .  ऊपर दो छोटे कमरे थे जिन्हें संजय इस्तेमाल करता था  . शादी हुए दो साल हो चुके थे पर अभी कोई संतान नहीं थी  . उसकी शादी भी इसी नौकरी के बल पर हुई थी वरना शायद वह कंवारा ही रह जाता  . उसके माता पिता पोता  पोती का इन्तजार करते करते स्वर्ग सिधार  गए  . 

 
शाम को घर लौट कर उसने  सीमा को थैला पकड़ाया और कहा “ लो सम्भालो अपने सामान  . “ 

 
“ इसमें ज्यादातर सामान तुम्हारे काम के हैं  . हाथ मुंह धो लो , चाय बना कर लाती हूँ  . “ 

 
“ तुम क्यों बनाओगी ? माया क्या कर रही है ? “ 


“ वह  मेरी साड़ियां प्रेस कर रही है  . अभी   बिजली है , पता नहीं किस पल चली जाये  . उसे प्रेस करने दो  . “ 
संजय और सीमा दोनों चाय पी रहे थे तभी दरवाजे पर नॉक हुआ  . संजय ने पूछा “ कौन ? “ 

 
“ कूरियर “  जवाब मिला 

 
“ हमें कूरियर कौन करेगा ? “

 
मैं देखती हूँ , बोल कर सीमा ने जा कर कूरियर से लिफाफा लिया  और कहा “ पापा का है , पटना  से  . “

 
सीमा ने जब लिफाफा खोला तब उसके अंदर भी एक लिफाफा था जो संजय के नाम था और एक खुली चिट्ठी सीमा के नाम  . संजय को लिफाफा देकर वह पापा की चिट्ठी पढ़ने लगी  . चिट्ठी पढ़ कर वह ख़ुशी से बोली “ लगता है भगवान ने हमारी सुन ली है  . तुम्हारा अप्यांटमेंट लेटर  है डी पी एस स्कूल  के लिए  . पापा इस से ज्यादा और क्या कर सकते थे हमारे लिए  .“ 


संजय ने अपना लेटर पढ़ कर कहा “ इसमें  सोमवार को ही ज्वाइन करने को कहा है यानी मात्र चार  दिन बाद  वह भी आरा में . हमने सोचा था कि पटना या रांची में पोस्टिंग करवा देंगे   . “

 
“ पापा ने डी पी एस में तुम्हारी नौकरी लगवा दी , यही क्या कम है  . उनलोगों का पे स्केल यहाँ वाले स्कूल से चार गुना ज्यादा है  . “ 

 
“ वह तो ठीक है , अब इतनी जल्दी सारे सामान को ले कर  तुम्हारे साथ जाना बहुत कठिन  है  . मैं जा कर ज्वाइन करता हूँ फिर एक घर ठीक कर तुम्हें ले जाऊँगा  . “ 

 
उसी  समय सीमा के पापा का फोन आया , उन्होंने बेटी से कहा “ मेरे बहुत करीबी  मित्र का मकान आरा में खाली है  . मैंने तुमलोगों के लिए ठीक कर दिया है  . वहां तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी  . कल तुमलोगों से पैकर भी मिलेगा , वह भी मैंने ठीक कर दिया है  . तुम्हारा सामान भी आरा पहुँच जायेगा , तुमलोगों को कोई परेशानी नहीं होगी  . और हाँ मैंने पैकर और मूवर को एडवांस पेमेंट भी कर दिया है  .  “ 

 
“ लो देखो , पापा ने आरा में मकान और सामान ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टर भी ठीक कर दिया है  . और क्या तुम्हें गोद में उठा कर ले जायेंगे  ? “ संजय की तरफ देख कर सीमा ने कहा  

 
“ ठीक है , तुमलोगों का एहसान  मानता हूँ  . अब इस मकान का क्या करें इतनी जल्दी ? रेंट पर देना होगा  . “


“ इतना कुछ हुआ तो वह भी हो जायेगा  . सामने वाले अंकल आंटी किराए के लिए दूसरा मकान खोज रहे थे  . मैं उनसे बात कर के देखती हूँ  . “ 

 
“ मैं भी कल स्कूल में अपने दोस्तों से बात कर के देखता हूँ  . “ 


अगले दिन संजय जब स्कूल से लौटा तब सीमा ने कहा “ सामने वाले अंकल आंटी को हमारा मकान नहीं चाहिए , दरअसल वे दूसरे मोहल्ले  में जाना चाहते हैं  . “ 

 
“ कोई बात नहीं है , मैंने मकान के लिए बात कर ली है  . मेरे स्कूल का रिटायर्ड हेडमास्टर है शर्मा  . वो कल सुबह आएगा घर देखने  . “ 

 
अभी संजय और सीमा चाय पीने के बाद सामान की पैकिंग की बात कर रहे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई  . संजय ने दरवाजा खोला तब सामने शर्मा दंपत्ति को देखा और कहा “ आप तो कल आने वाले थे “ 

 
इस पर शर्मा की पत्नी ने कहा कल करे सो आज कर  . “   बोल कर दोनों गेस्ट हँस पड़े 

 
सीमा ने दोनों को नमस्कार कर बैठने को कहा फिर वह बोली “ मैं आप लोगों के लिए चाय बना कर लाती हूँ  . “ 

 
“ नहीं , कुछ ही देर पहले हमलोग चाय पी चुके हैं   . आप लोगों को भी बहुत काम होगा , बस एक नजर घर देख कर हम चले जायेंगे  . “ 

 
संजय का घर बड़ा तो नहीं था पर इतना भी छोटा नहीं था कि चार जनों का परिवार न रह सके  . मकान देखने के बाद शर्मा  ने कहा “ मास्टर तुम्हारा मकान कुछ छोटा जरूर है पर बहुत अच्छा लगा  . वैसे भी राजधानी बनने के बाद रांची में जगह कहाँ बची है नया मकान बनाने के लिए  . ठीक है हम यहीं रहेंगे  . किराया क्या लोगे ? “ 


“ सर , आप जो उचित समझें , दे देंगे  . “ 

 
कुछ देर में आपस में बात कर किराये की बात भी पक्की हो गयी  . सीमा ने कहा “ आप लोग पहली बार आये हैं , मुँह मीठा कर के जायेंगे  . “  फिर उसने माया को आवाज दे कर कहा “ माया जल्दी से कुछ मीठा ले कर आओ  . “ 


माया उन लोगों के लिए मिठाई  और पानी ले कर आयी  . उसे देख कर कहा “ यह लड़की आपकी कौन है ? “

 
“ सीमा के पापा ने इसे हमारे घरेलू कामों में मदद करने के लिए भेजा है  . पर मदद क्या , सारा काम माया कर देती है  . “ 

 
“ तब माया भी तुम्हारे साथ आरा जाएगी  . “ 

 
“ नहीं , हम तो इसे साथ ले जाना चाहते थे  . पर पापा ने कहा माया के माता पिता इसे रांची से बाहर नहीं जाने देंगे  . “

 
“ तब मकान के साथ इसे भी हमारे लिए छोड़ दो  . “ 

 
संजय ने कहा “ इस बारे में मैं कल इसके माता पिता से बात करने के बाद आपको बता दूंगा  . “ 

 
उनके जाने बाद संजय ने माया के घरवालों से बात की , माया के पिता ने कहा “ अपना पेट भरने के लिए माया को काम करना ही है  . अगर आदमी आपके भरोसे का है तब माया यहीं रह जाएगी नहीं तो फ़िलहाल हमारे पास आ जाएगी  . “ 

 
तीन दिनों के बाद संजय और सीमा घर को शर्मा  के हवाले कर के आरा चले गए  . संजय  अपना नीचे के  कमरे में कुछ सामान छोड़ गया था  . वह कमरा छोटा था पर गेस्ट रूम के काम आने लायक था  . संजय ने कमरे की चाभी माया को दे दी  और समय समय पर उसे साफ़ करते रहने को कहा ताकि कभी रांची आना हुआ तो वह वहीँ रह सके  . 

 
 संजय और सीमा को बड़े शहर रांची से आरा जाने पर शुरू में कुछ अटपटा लगा पर बाद में  काफी अच्छा लगने लगा  . यहाँ उसे वेतन ज्यादा था और  सभी चीजें और सेवाएं रांची की तुलना में सस्ती थीं  . 


इधर रांची में संजय के जाने के कुछ ही दिन बाद देर  रात्रि में दरवाजे पर दस्तक हुआ  . हेड मास्टर और उनकी पत्नी सो रहे थे , माया ने दरवाजा खोला तब उसने  सामने एक हृष्ट पुष्ट युवक को देखा  . युवक बोला “ मुझे मास्टर साहब ने रांची आने को कहा था  . यह रहा उनका पत्र  . “  युवक ने एक पेपर बढ़ा कर कहा 

 
“ इसकी कोई जरूरत नहीं है ,  मास्टर साहब अभी सो रहे हैं  . आप इसे मास्टर साहब को ही दे देंगे  . “   


युवक के कंधे पर एक छोटा सा बैग था जिसे देख कर माया ने पूछा “ आपका  सामान कहाँ है ? “ 

 
“ क्या बताऊँ ? , मेरा बक्सा ट्रेन में चोरी हो गया  . मुझे दो दिन रहना है , किसी तरह काम चला लूँगा  . “ 

 
माया ने संजय का  कमरा युवक के ठहरने के लिए खोल दिया  . दूसरे दिन सुबह जब तक शर्मा दंपति तैयार हो कर नीचे आते उनका गेस्ट जा चुका था  . टेबल पर एक  खाली नाश्ता प्लेट और चाय की कप देख कर  शर्मा ने पूछा “ यह किसके लिया है ? “ 

 
“  है नहीं था ?  आपके गेस्ट के लिए था  . “ माया ने कहा 

 
“ कौन सा गेस्ट ? “ 

 
 माया ने कहा “ एक सज्जन आपके नाम की चिट्ठी ले कर आये हैं   . चिट्ठी मुझे दे रहे थे पर मैंने कहा कि सुबह आपको ही दे देंगे  . “

 
“ क्या नाम था उसका ?  “ 

 
“ मैंने पूछा नहीं और उन्होंने बताया नहीं  . “

 
“ बेवक़ूफ़ लड़की  . बिना नाम पता जाने घर में घुसा लिया  .  कम से कम नाम पूछ लिया होता  . खैर , क्या बोल कर गया है ? “ 


“ उन्होंने कहा कि रांची में इंडिया और इंग्लैंड का डे एंड नाईट क्रिकेट मैच देखने आये हैं  . थोड़ी देर पहले नाश्ता कर के गए हैं  . उन्होंने कहा है कि लंच बाहर ही लेंगे और रात में डिनर के समय आएंगे  . “ 


“ उसका सामान कहाँ  है ? “

 
“ एक छोटा का कंधे पर बैग ले कर आये थे और कहा कि सूटकेस ट्रेन में चोरी हो गया है  . वह तो संजय सर का ड्रेस पहन कर गए हैं और अपने कपड़े धो कर सूखने के लिए रख गए हैं  . कल वे वापस चले जायेंगे  “ 

 
“ तुम पगली है क्या ? ऐसे तो कल तक घर लुटवा देगी  . न जान न पहचान घर में घुसा लिया और अपना  सामान भी उसे उपयोग करने को दे दिया  . “ 

 
“ मैंने नहीं दिया  . जब वे खुद ही पहन कर निकले तब मैं उन्हें आश्चर्य से देख रही थी , उन्होंने कहा  .  तुम्हारा मास्टर सर भी मेरे यहाँ आता था तब मेरे भी कपड़े तक इस्तेमाल करता था  . “ 


“ ऊँह “ शर्मा इतना ही बोल सके 

 
“ कोई बात नहीं , लगता है संजय का कोई दोस्त होगा  . “ शर्मा की पत्नी ने कहा 

 
“ मेरी तबीयत ठीक नहीं है , रात में आते ही  उसे हमसे मिलने को बोलो  . “  शर्मा ने माया से कहा 

 
जब तक आगंतुक रात में वापस आया शर्मा दंपत्ति सो चुके थे  . युवक आया तब माया बोली “ आपने फिर बहुत देर कर दी  . वे लोग सो गए हैं  . सुबह में जरूर मिलने को कहा है  .  आपका डिनर आपके रूम में  रख दिया है  . “ 
सुबह सुबह युवक ने माया से कहा “ 6 बजे सुपरफास्ट से मुझे पटना वापस जाना है  . मेरे लिए चाय बना सकोगी  . “ 

 
“ हाँ “  माया ने कहा 

 
“ और मास्टर का शेविंग सेट कहाँ रहता है ? मिल जाता तो मैं दाढ़ी बना लेता  . “  युवक बोला 

 
“ एक स्पेयर सेट पहले वाले  साहब  वहीँ दीवार की आलमारी में एक डिब्बे में रखते थे  . “ 

 
“ पहले वाले मतलब ? “ 

 
“ मतलब उन्हें आरा में नौकरी मिल गयी है  . ये नया  मास्टर तो कुछ ही दिन पहले आये हैं  .  माया बोली 

 
युवक ने शेव किया फिर स्नान कर अपने ड्रेस बदले और माया से कहा “ चाय बन गयी है ? देर हो रही है  . “ 


“ चाय वहां स्टूल पर रखी  है  . “  स्टूल की तरफ इशारा कर के माया ने कहा 

 
मैं मालिक को उठा दूँ क्या ? उन्होंने मिलने को कहा था  . वैसे वे लोग आठ बजे ही उठते हैं  और उनकी तबियत भी ठीक नहीं है  . “ 

 
“ अरे नहीं ,  उन्हें क्यों तकलीफ दोगी ?  रहने दो अगली बार आऊंगा तो मिल लेंगे  . मेरा पत्र उन्हें दे देना  . “  युवक ने कहा  . इतना बोल कर उसने एक पत्र निकाला और उसके नीचे में कुछ लिख कर दिया और कहा “ इसे अपने नए मास्टर को दे देना  . और मैंने जो कपड़े खोले हैं उन्हें धो कर रख देना  .  “ 

 
युवक चाय पी कर चला गया  . शर्मा दंपति जब नीचे आये तब शर्मा ने कहा “ कहाँ है हमारा गेस्ट ? उसे बुलाओ नाश्ते के लिए  . “

 
“ उन्हें 6 बजे पटना वाली सुपरफास्ट ट्रेन पकड़नी थी  . वे चाय पी कर चले गए  . आपके नाम का पत्र छोड़ गए हैं  .   “   बोल कर माया ने वह पत्र दे दिया 

 
 दरअसल किसी क्लासमेट के नाम संजय का  लिखा एक पुराना पत्र था जिसमें  उसका नाम नहीं था सिर्फ “ मित्र “ कह कर सम्बोधित किया था  . उसमें लिखा था हाँ क्रिकेट मैच देखने रांची आ जाना  . इतने दिनों के बाद क्लास्स्मेट से मिल कर बहुत मज़ा आएगा  . “  

 
दरअसल संजय के ट्रांसफर की बात आगंतुक को पता न थी  . नीचे में उसने धन्यवाद मास्टर साहब लिखा था और नाम कुछ इस तरह लिखा था कि सिर्फ “ अ “ अक्षर ही स्पष्ट था उसके आगे बाकी टेढ़ी मेंढ़ी लाइन मात्र थी  जिसे कोई समझ नहीं पाया  . 

 
पत्र को माया को दिखाते हुए कहा “ वाह ये क्या है ? उसका नाम क्या था - अमर , अकबर , एंथनी , अमन , आर्यन , अशोक ,  या कुछ और , कोई बता सकता है मुझे - वो कौन था ?  .  “ 

 
“ मैं क्या जानूं वो कौन था ?  “ माया ने कहा 


मिसेज शर्मा ने कहा “ अब रहने भी दो , समझो - आए बैठे , खाए पिए और खिसके  . बस  “  . 

 


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