भयानक यात्रा - 18 - जंगल में अघोरी। नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

भयानक यात्रा - 18 - जंगल में अघोरी।

हमने पिछले भाग में देखा की ...
सूरपाल हितेश से पूछता है की उसने बर्मन के पिता को इस बार में सूचना दी है तब हितेश उनको मना करता है ।
तब महिपाल उसको कहता है अगर वो बर्मन के पिता से बात नही बताते तो वो लोग भी गुनहगार माने जायेंगे । ये सुनके हितेश सोचने लगता है की कुछ ऐसा करे जिससे अभी तो बर्मन के पापा को कुछ न पता चले , लेकिन सोचने के बाद कुछ उपाय नहीं मिलता तो वो सुरपाल को बर्मन के पिता जी का नंबर देता है उनकी पूरी जानकारी भी । सूरपाल उनको संपर्क करने को कोशिश करता है , लेकिन उनका फोन लगता नही है ।
यही सब बातों के बीच बाहर सोया हुआ कुत्ता अजीब तरह की हरकते करने लगता है , रोने लगता है और रस्सी को काटने की कोशिश करता है । तभी सुरपाल ये देख के जल्दी से उसको अपनी गोदी में लेके शांत करता है । जब हितेश के साथ उसके दोस्त भी गाड़ी में बैठ के गांव की तरफ जा रहे होते है तभी वो कुत्ता फिर से भौंक ने लग जाता है फिर सुरपाल के पुचकारने पर शांत हो जाता है । रास्ते में हितेश जगपति को गांव के बारे में पूछता है तो वो कहता है की यहां इमारत से लेके हवाएं सब में भूतिया चीज भरी हुई है , ये सुनके सब उदास हो जाते है और उनको घर की याद आने लगती है ।

अब आगे ....
*******************************
जगपति सबको बताता है की गांव में इमारत हो या हवाएं सबके अंदर कहीं न कहीं बुरी आत्माओं का वास है । ये सुनकर सब और ज्यादा दुखी हो जाते है की कहां पे आकर फंस गए है , तभी उन सबको कहीं न कहीं घर की याद आने लगती है । लड़कियां रोने लगती है और लड़के ज्यादा ही उदास होने लगते है ।

लड़कियों के आंखो में आंसू देख के जगपति को भी दुख का आभास होता है , वो लड़कियों को देखकर बोलता है – आप रोइए मत ! ऊपरवाला सब ठीक कर देगा ।
दूसरी तरफ लड़के तो जैसे हिम्मत ही हार चुके थे , आंखों में उदासी और मुंह पे एक बवंडर सी दुख की लहर साफ साफ दिख रही थी । क्यू की अब वो लोग जान चुके थे की यहां से बाहर निकलना तो कठिन है । वो लोग जहां फसे है वो ऐसा मायाजाल है जिसको तोड़ना ज्यादा ही कठिन है । जबतक बर्मन नही मिल जाता वो यहां से निकलने के लिए सोच भी नही सकते ।

बस एक अकेला जगपति ऐसा था जिसे सबका दुख और चिंता देख से वो ज्यादा दुख महेसुस कर रहा था । उसका अपना कोई दुख नहीं था लेकिन फिर भी वो उन सबसे ज्यादा दुखी दिख रहा था ।
गाड़ी अब गांव की तरफ चल रही थी तभी हितेश किसी को देखता है , वो अचानक से जगपति को गाड़ी रुकवाने बोलता है ।
जगपति गाड़ी रुकवाता है , और हितेश को पूछता है – क्या हुआ भाई साहब ?
हितेश कहता है – मैंने यहां किसी को देखा जो एक अघोरी जैसा दिख रहा था , आप सब यहीं रुको में देख के आता हूं ।
पीछे की तरफ एक छोटी सी कुटिया थी , जो एक बांस के टुकड़ों से बनी हुई थी , उसके ऊपर की तरफ सूखे घांस से छत बनाई थी । उसके अंदर मात्र एक इंसान के बैठने की जगह थी , गाड़ी लगभग कुटिया से सो मीटर आगे चल चुकी थी इसीलिए हितेश धीरे धीरे चलके उस कुटिया की तरफ आता है ।

गाड़ी जहां रुकी थी वो दो गांव के बीच का एक घना पेड़ो वाला रास्ता होता है , जहां किसी का होना भी अचरज की बात थी । हितेश का मन गबरा रहा था और उसके पैर कुटिया के नजदीक जाने से उसको मना कर रहे थे । लेकिन उसको जैसे कुटिया की तरफ आकर्षण महेसुस हो रहा हो वैसे चलते चलते वहां पहुंच जाता है ।

कुटिया की बाहर दोनो तरफ २ बड़ी बड़ी इंसान की खोपड़ियां पड़ी हुई थी , जैसे वो कुटिया के पहरेदार हो । आसपास किसी कच्चे मांस की बदबू आ रही थी और कुछ मंत्र के जाप भी उसको सुनाई दे रहे थे ।
उसने कुटिया के सामने की तरफ जाके देखा तो एक इंसान ध्यान में बैठा हुआ था , उसकी आंखे बंद थी लेकिन उसको देख के हितेश को लगता है की वो इंसान बंद आंखो से भी उसे देख रहा है ।
वो इंसान के शरीर पे हड्डियों की माला थी , बदन पे किसी का मांस लपेटा हुआ था , जो दिखने में किसी जानवर का लग रहा था ।
हितेश कुटिया के अंदर जाने की कोशिश करता है लेकिन उसका पैर कुटिया के आगे रखे हुए खोपड़ियों के बीच में अदृश्य शक्ति के कारण फंस जाता है । वो अपना पैर उठा के वापिस ले लेता है , वो फिर से कुटिया में जाने की कोशिश करता है लेकिन फिर से उसका पैर वहीं पे आके रुक जाता है और वो आगे नहीं जा पाता है । दूर से हितेश को देख रहे सब लोग भी आंखों को मसलते रह जाते है ।
अंदर की तरफ से एक आवाज आ रही होती है –

ॐ श्र श्र कं वं भुं भूतेश्वरि मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।

डिंपल और जूली गाड़ी से उतर के हितेश के पास आ जाते है , तब हितेश फिर से अंदर जाने की कोशिश करता है लेकिन फिर से निष्फल होता है । ये देख कर बारी बारी से डिंपल और जूली भी अंदर जाने की कोशिश करते है लेकिन उनका भी यही हाल होता है ।

जगपति गाड़ी से उनको आवाज लगाता है – कृपिया करके यहां की चीजों और लोगो से दूर रहो तो बहुत अच्छा है भाई साहेब ! उसकी आवाज में अब डर दिख रहा था । विवान और सतीश जैसे चूहे के बिल में घुस गए हो वैसे गाड़ी में बैठे हुए थे ।

जगपति की बात सुनकर हितेश , डिंपल और जूली गाड़ी के पास आ गए और हितेश ने जगपति के पास आकर कहा – लेकिन ये है कौन ?
जगपति ने कहा – यहां कई लोग ऐसे मिलेंगे जो ध्यान में बैठे होंगे , लेकिन उनकी माया में मत फसो , पहले भी कहा था अभी भी आपको कहता हूं , मायाजाल है ये गांव , यहां की हवाओं पे भी बुरी चीजों का राज़ है उनको छेड़ोगे तो खुद मुसीबत मोल लोगे आप ।

फिर जगपति ने हितेश की तरफ मुंह करके बोला – भाई साहेब , क्या लगता है आपको , ये लोग क्या कर रहे होंगे ?
हितेश ने कहा – दिखने में तो ये लोग कोई अघोरी की भांति लगते है , हो सकता है वो लोग कोई तपस्या कर रहे हो ।

जगपति कहता है – ये वो लोग है जो यहां मरे हुए लोगों की आत्मा को अपने वश में कर के उनका बुरे चीजों में इस्तेमाल करते है । उनके आसपास की चीजों में भी बुरी आत्माए रहती है ।

जगपति की बात सुनकर डिंपल और जूली इतना डर गए की वो जल्दी से गाड़ी में बैठ गए , उनकी हिम्मत अब पीछे मुड़कर देखने की भी नही हो रही थी ।

जगपति ने कहा – अपने वहां कोई मंत्र भी सुना होगा ? वो मंत्र भूतो और आत्माओं को अपने वश में करने के लिए इस्तेमाल करते है । जब वो भूतों को वश में कर लेते है तो उनसे अपना मन चाहा काम करवाते है ।
बेहतर होगा की हम यहां से जल्दी से रवाना हो जाए ।

जगपति के कहने पर हितेश गाड़ी में बैठ गया , वो सोच रहा था की क्या भूतों को भी वश में किया जा सकता है क्या ? लेकिन उसके अपने विचार का झोला बांध दिया और जगपति से बोला – ये लोग भूतों को अपने वश में कर सकते है तो गांव में लोग गायब कैसे हो रहे है ?

जगपति ने बोला – भाई साहेब , हम एक मजदूरी का काम जानते है , हमे ये सब चीज में ज्यादा ज्ञान नहीं है । लेकिन थोड़ी बाते सुनी है और थोड़ा अपनी समज से कहता हूं की ये लोग भगवान को नही भूतों को मान ने वाले लोग है । ये लोग भूतों को खुश करने के लिए कई बेजुबानों की बलि भी चढ़ा चुके है , ये लोग जब भी गांव आते है तो वो किसी न किसी जानवर की बलि चढ़ाने हेतु जानवर खोजने आते है । उनकी बलि चढ़ा के उनका ही चमड़ा अपने शरीर पे लगा लेते है , और अपने कार्य को सफल बनाते है । अब यहां के लोग गायब कहां हो रहे है वो आजतक कोई जान नही पाया है ।

और ये सब बात हमने सिर्फ सुनी है , अपनी आंखो से कभी देखी नही है – जगपति ने बात को खतम करते हुए कहा ।
हितेश जगपति को लाचार नजर से देखता है फिर आंखो में विषाद के साथ नजरें रास्तों की तरफ कर लेता है वो बोलना बहुत कुछ चाहता है लेकिन हितेश अब चुप हो जाता है , उसका मन अब बर्मन के बारे में सोच ने लग जाता है । जो बंदा उसे यहां लेके आया था वही यहां से गायब हो चुका है , और ऊपर से सब लोग जैसे चक्रव्यूह हो वैसे ही गांव में फस चुके है । उनको यहां से निकलने का रास्ता भी नही दिख रहा ना ही बर्मन को ढूंढने का रास्ता भी ।

तभी जगपति कहता है – भाई साहेब , वैसे आप लोगों को यहां से चले जाना चाहिए । आपने वैसे भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज करवा दी है तो यहां आपके दोस्त को ढूंढने का कार्य पुलिस करेगी । यहां रहोगे तो परेशानियां कभी आप लोगों का पीछा नहीं छोड़ेगी ।

जगपति की बात सुनके हितेश और सब सोच ने लग जाते है । उनको लगता है की जगपति की बात गलत भी नहीं है , लेकिन बर्मन के परिवार को वो लोग क्या जवाब देंगे ! दूसरी तरफ वो साधु की बात उसको याद आती है की वो लोग यहां आ के फस चुके है ।

क्या सच में वो अघोरियां भूतों को अपने वश में कर लेते है ? क्या हितेश फिर से अघोरियों से मिल पाएगा ? क्या जगपति के कहने पर हितेश गांव से जाने के लिए तैयार हो जाएगा या बर्मन के खातिर गांव में ही रुक जायेंगे ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।