भयानक यात्रा - 14 - महल का राज़। नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भयानक यात्रा - 14 - महल का राज़।

हमने पिछले भाग में कुछ ऐसा देखा की ,
जगपति सबको गाड़ी में लेके अपने घर आता है ,वो हितेश से बर्मन के बार में जानता है । तभी जगपति के पिता की आवाज आती है की वो शायद ही बच पाएगा , उनकी ये आवाज सुनकर सब और ज्यादा डर जाते है । सुशीला सबको चाय नाश्ता दे कर रसोई में खाना बना ने चली जाती है , और जगपति बाहर की तरफ बिस्तर जमा ने चला जाता है । उसी दौरान जगपति के पिता बाहर की तरफ आते है , उनको देखकर जूली भयंकर तरीके से चिल्लाती है जिसकी वजह से जगपति और सुशीला वहां पहुंच जाते है और अपने पिता को वहां देखके सारा माजरा समझ जाते है । जगपति सबको अपने पिता के बारे में बताता है की कैसे उनके साथ हादसा हुआ था जिसकी वजह से उनकी ये हालात हो चुकी है । तब डिंपल का ध्यान जाता है की सतीश वहां से गायब है तो वो सबको ये बात बताती है और हितेश दौड़कर उसको बाहर ढूंढने आता है लेकिन सतीश बाहर की तरफ नही मिलता ,,,
अब आगे .....
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सतीश को वहां न देखकर हितेश बाहर की तरफ भागता है , बाहर की तरफ यहां वहां देखने के बाद भी सतीश का कोई अता – पता। नही मिलता ।
वो एक बार सतीश को आवाज भी लगाता लेकिन सतीश का कोई प्रति–उत्तर नही आता ।

बाहर की तरफ अंधेरा इतना था की अगर वहां कोई खड़ा हो जाए तो भी दिखेगा नही । जगपति के खोली के बाहर एक छोटा सा आंगन था जो की खोली के पीछे की तरफ था । खोली के पीछे उपयोग में लिया गया पानी के निकल ने का नाला था जो एक गटर में चला जाता था । वो नाले के बाजू में से एक छोटे बिल्ली के बच्चे की आवाज आती है , आवाज सुनके सबलोग अपने मोबाइल की टॉर्च जला के उसी तरफ चल देते है ।

जब वो एकसाथ वहां पहुंचते है तभी वो वहां किसी को नाले में पड़ा हुआ पाते है और वो देखते है उस नाले की तरफ मोबाइल की टॉर्च में वहां बैठे बिल्ली के बच्चे की आंखे चमकती और डरावनी लग रही थी । हितेश अपने मोबाइल की टॉर्च को वो इंसान की तरफ करता है , वो इंसान कोई और नहीं सतीश ही था ।
सब लोग वहां से सतीश को उठा के खोली के दरवाजे पे ले आते है , खोली में से रोशनी सीधी सतीश के मुंह पर गिर रही होती है ।
उसके मुंह से जाग निकल रही होती है , और उसके हाथ की कोहनी छिली हुई होती है , उसके गाल पर खून जम गया होता है और सिर पे से हल्का सा खून निकल रहा होता है ।
हितेश को सतीश की ये बीमारी के बारे में पहले से पता था की जब जब सतीश डर जाता था तब उसको वॉमिट हो जाती थी और वो ऐसे ही बेहोश हो जाता था ।

ये देखकर जगपति अपनी खोली में जाकर दवाई का डिब्बा लेके आता है , सतीश के मुंह पर से जाग को साफ करता है और जख्मों पे मलम लगाता है । उसके मुंह पे हल्के से पानी छिड़कता है , और तब उसको थोड़ी देर बाद होश आ जाता है । वो धीरे धीरे अपनी आंखे खोलता है किंतु अचानक से एक चीख के साथ फिर से बेहोश हो जाता है ।

हितेश और विवान उसको खाट पर सुलाते है ,और वहीं पे बैठ जाते है ।
सब के मुंह पे चिंता के भाव आ जाते है , परेशानी उनका पीछा ही नही छोड़ रही थी । परेशानी ने भी जैसे उनका हाथ थाम के रखा हो ।
डिंपल और जूली भी हितेश के पास आकर बैठ जातें है , जगपति सतीश के सिर के तरफ बैठा हुआ होता है ।
तब हितेश कहता है – कल सुबह थाने में जाके जल्द से जल्द रिपोर्ट दर्ज करवानी पड़ेगी ।
जूली कहती है – हां , बस ये रात निकल जाए ।
विवान दबी सी आवाज में कहता है – बस 2 दिन और है जहां बर्मन की बात हम उसके पापा से छिपा सकते है ।
डिंपल बोल उठती है – हमे उनसे कुछ नही छिपाना चाहिए विवान ।
तभी हितेश बोलता है – हां , हमे छिपाना नही है लेकिन कहेंगे क्या ?
ये सुनकर सब चुप हो जाते है ।
सुशीला खोली से बाहर आकर बोलती है – खाना बन चुका है , सब खाना खा लीजिए ।
सब एक मायूस से चेहरे के साथ एक दुसरे को देखते है , परेशानी ने उनकी भूख को जैसे छीन लिया था ।
वो न चाहते हुए भी खाना खाने बैठ जाते है ।

खाना खाने के बाद जगपति कहता है – भाई साब , में आपको कुछ बाते किल्ले के बारे में बता ता हूं।
आइए बैठिए यहां , कहकर वो सतीश जहां सोया था वहीं पे जाके बैठ जाता है ।
सब उसकी बात सुनके उसके आसपास जाके बैठ जाते है , और जगपति कहना चालू करता है ।
कहते है की यहां एक राजा रहा करता था , उसके राज्य में किसी को तकलीफ हो वो उसको बर्दास्त नही होता था , वो छोटे से छोटी परेशानी को दूर करने की कोशिश करता रहता था ।
उसके परिवार में रानी साहिबा और उनके बच्चे थे , रानी साहिबा भी राजा जैसी ही परोपकार में लगी रहती थी ।
वो राज्य को अपना परिवार ही मानते थे , उनका सुख समृद्धि से भरा राज्य था ।

कुछ अच्छा करने वाले के दुश्मन भी होते है भाई साहब , वैसे ही उनके परिवार के लोग उनके राज्य को हड़पने की चेष्टा कर रहे होते है । लेकिन राजा को उनकी भनक लग जाती है , वो उनको राज्य से निकाल देते है ।
तभी वो लोग दुश्मन से अपना हाथ मिला लेते है , और उनको किल्ले के बारे में पूरी जानकारी दे देते है ।

" घर का भेदी लंका ढाए " । यही कहावत के अनुसार , राजा के साथ यही सब होता है अपने ही परिवार वाले राजा के दुश्मन बन जाते है , और राजा को युद्ध में मार दिया जाता है । बात यहां खतम नही होती , यहां बदला लेने में रानी साहिबा को भी राजा के साथ दफनाया दिया जाता है ।

उसके बाद राजा के वफादार सैनिक और उनके लोगो को जिंदा महल में ही जला दिया जाता है । पुराने लोगों का कहना है की छोटे बच्चो को भी आग में धकेल दिया गया था ।
उसी समय से रात को महल में गलत हरकते होना चालू हो गई थी । रानी साहिबा को नृत्य बहुत पसंद था , तो उनके कमरे में से नृत्य की आवाज आती है । किल्ले के और हिस्सो से कई बार चिल्लाने की आवाज आती है जो दर्दनाक होती है ।
मरे हुए सैनिक के लड़ने की आवाजे भी कई बार लोगों ने वहां सुनी है , वहां लगाई हुई तस्वीर भी उल्टी हो जाती है । वहां आसपास के पेड़ में भी आत्माए वास करती है , पेड़ो में से भी रोने की और चिल्लाने की आवाज आती है । वहां पेड़ भी कई बार लोगो की जान ले चुके है , पेड़ के नीचे बैठने वाले को पेड़ की बेलो ने जकड़ के मार दिया है ।
किल्ला जितना भूतिया है उतना ही रहस्यमय भी है , किल्ले के नजदीक रहने वाले लोग मानसिक बीमार हो जाते थे और उनका इलाज कभी हो ही नही पाया ।
तभी गांव वालों ने किल्ले के आसपास रहना वर्जित कर दिया था ।
उसके कुछ सालों बाद कुछ लुंटेरो का दल गांव को लूटने आया था और जाते जाते गांव के हजारों लोगो को वो लोग मारकर चले गए थे । इसी सब कारण आज भी ये गांव में अजीबो – गरीब हादसे होते रहते है ।
कई स्त्रियां और बच्चे , सैनिक और कई निर्दोष लोगों की जाने यहां गई है जिसके कारण यहां के लोग रात को घर से बाहर भी निकलना ठीक नही समझते ।

ये बात सुनकर हितेश ने बोला – किसी ने कोशिश नही की ये सब ठीक करने की ?
कोशिश तो बहुत लोगों ने करी थी , लेकिन जो भी आया सब वही आत्माओं के साथ विलीन हो गया ।
कहते है की राजा और रानी को छल से मार डालने की वजह से उनकी आत्मा आज भी बदला लेने के लिए तड़प रही है ।
गांव में कई लोग रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते है , और वो कभी लौट कर वापिस नही आते ।
जगपति बोलते बोलते रुक गया और फिर थोड़ी देर बाद बोला – हम सिर्फ आपके दोस्त के लिए दुआ कर सकते है भाई साहब ।

बात खतम कर के जगपति सबकी और देखता है और कहता है – देर रात हो गई है , सब आराम करिए । कल आपको थाने भी जाना है ।
सबकी आंखे थकान और नींद से भरी हुई थी , लेकिन बर्मन की चिंता के कारण वो बेचैन हो गए थे । वो सब बाहर सतीश के खाट के पास बैठके थोड़ी देर बात करने के बाद सब वहीं सो जाते है ।

रात को ठंडी सी हवा चल रही होती है , झिंगुरे जैसे एक दूसरे से लड़ रहे हो वैसे एक के बाद एक आवाजे निकाल रहे होते है , रात की शांति झुंगुरो की वजह से भंग हो रही थी , सब शांति से सोए हुए थे । तभी अचानक से विवान की नींद खुलती है और वो कहीं से किसी के चलने की आवाज सुनता है ।

कौन था अंधेरी रात में वहां ? क्या सच में गांव भूतिया था या फिर जगपति की कोई चाल थी ? क्या हितेश बचा पाएगा सबको यहां से ? थाने में बर्मन की रिपोर्ट दर्ज होगी या नहीं ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए भयानक यात्रा ।