गजल संग्रह DrAnamika द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • एक मुलाकात

    एक मुलाक़ातले : विजय शर्मा एरी(लगभग 1500 शब्दों की कहानी)---...

  • The Book of the Secrets of Enoch.... - 4

    अध्याय 16, XVI1 उन पुरूषों ने मुझे दूसरा मार्ग, अर्थात चंद्र...

  • Stranger Things in India

    भारत के एक शांत से कस्बे देवपुर में ज़िंदगी हमेशा की तरह चल...

  • दर्द से जीत तक - भाग 8

    कुछ महीने बाद...वही रोशनी, वही खुशी,लेकिन इस बार मंच नहीं —...

  • अधुरी खिताब - 55

    --- एपिसोड 55 — “नदी किनारे अधूरी रात”रात अपने काले आँचल को...

श्रेणी
शेयर करे

गजल संग्रह

"खुशनसीब हूँ मैं जो हसरत-ए-दीदार कर सकी..
वक्त के पहले ईद का चांद भी नज़र नहींआता है.."

खा़लिक़ तुझसे गुजा़रिश है इकबार तो सामने आ
अनसुलझे सवाल पूछने हैं जो जे़हन में दफ़न है.. "

खुशनसीब हूँ मैं जो हसरत-ए-दीदार कर सकी..
वक्त के पहले ईद का चांद भी नज़र नहींआता है.."

क्यों अब नज़दीकियाँ इतनी बढा़ने आए हो..
अपनी बर्बादी का कोई नया इल्जा़म लगाने आए हो.. "

य़कीं नहीं तो कभी आज़मा कर देखना
मैं खूबसूरत मुहब्बत हूँ, पिघल जाऊंगी "


"कायनात में बातें जब जज़्बात की होंगी,तुम्हारी होंगी...
न जाने कितने अरमान आज़ भी दफ़न है,तुम्हारी चाहत में.... "

पंकज,पुंज,जलज, केशर व नलिनी की भांति
मुस्कुराता रहा मेरा भारत..
दिनों-दिन उन्नति के शिखर पर छाता रहा मेरा भारत..

इतनी आजादी व अमन चैन पहले कभी न थी..
सच बताऊं!! इन दस सालों में...
प्रसिद्धि के शिखर पर, हर सुर्खियों में छाता रहा
मेरा भारत....

"अदना सा कद ढूंढ़ते ढूंढ़ते वो आदमकद
बन बैठे..
पतझड़ आते-जाते ही रहे,वसंत में बस़र कैसे हो
'वो' शहर ढूंढ़ बैठे... "

कुछ अच्छा नहीं लगता,आदत सी हो गयी है तुम्हारी..
हो अगर तुम फुर्सत में याद कर लेना..

"कलियाँ चटख रहीं है नव जीवन का आभास लिए..
आभा मृदुलमयी छिटकी.. चहूँओर प्रकाश लिए.. "


किनारे हो लिए हम जमाने से.फकत इक नाम बाकी है..
मिटने का इंतजार तो शमां से परवाना भी करता है

चिलम बनने से बेहतर खुद को चिलमन बनाएं
भटके हुए राही को खूबसूरत रास्ता दिखाएं
जरूरी नहीं की हर रास्ता महफूज़ हो
महफूज़ रहें राही ऐसी तो कोई तरकी़ब बनाएं"

"जब मानवीय मूल्य समापन की ओर हो, तब उपद्रव का जन्म होता है उपद्रव का मुद्दा केवल और केवल संप्रभुता,सहिष्णुता,एकता को खंडित करना होता है"
--

---"ऐ मालिक..
मेरे अंदर इतनी नफ़रत न पैदा कर
---- तेरी कसम!!!!!
तेरे उस नफ़रत से भी प्यार हो जाएगा"---
---"वरक़ की गर्दिशों ने सिलवटों को सजाया..
तराशें हुए पत्थर को हीरा उसी ने बनाया...
वरना हम तो इतिहास बने बैठे थे ज़माने में
कल आज और कल के नज़राने में"...

"घर के आंगन में भी उसकी परछाईं दिखती है
फूलों के क्यारियों की सुगबुगाहट में उसी की आशनाई दिखती है" --- ---

जब से मुलाकात अक्षरों से हुई,कलम ने शब्दों की आशनाई ओढ़ ली..
डर परिंदों के उड़ जाने का था,बहारों ने फूलों की
चादर ओढ़ ली...


"गुजरे वक्त को जब करीब से देखा.
कुछ न कुछ ख़्याल आया..
कुछ यादें भूल जाने की थीं, वक्त कुछ को याद दिलाने आया"----


"सकारात्मक शक्तियाँ हमेशा नया रास्ता बनातीं हैं जिसपर चलकर मानव सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है
----

कलियाँ चटख रहीं है नव जीवन का आभास लिए..
आभा मृदुलमयी छिटकी.. चहूँओर प्रकाश लिए..


किनारे हो लिए हम जमाने से.फकत इक नाम बाकी है..
मिटने का इंतजार तो शमां से परवाना भी करता है


जिंदगी बड़ी अजीब है या अजीब है जिंदगी...
हर रोज सवेरा होता है
जागता सबका तन
जो मानव मन से जाग जाग जाता
होता ना संस्कारों का पतन



गर्मी की गर्मी ने वातावरण में सरगर्मी बढ़ा दी..
लोग कर रहे बरसात का इंतज़ार

"कब, पीड़ा से मुक्त हुआ है संसार
कहाँ रूका है बेटियों पर हो रहा अत्याचार
स्त्रियाँ आज भी पीड़ित हैं
आए दिन हो रहा उनपर घरेलु हिंसाचार"