फागुन के रंग
राधे के संग
श्रृंगार ही प्यार है राधे"
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लटों को सुलझाकर
मैं तुम्हारा श्रृंगार करूँ राधे..
तुम कामना हो तुम भावना हो
सांसों के स्पंदन का गीत हो राधे. .
मेरा संसार हो राधे...
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बांसुरी के धुन पर
नचाऊं मैं संसार
पर प्रित में तुम्हारे
नाचूं स्वयं मैं बारंबार...
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श्रृंगार तुम्हारा पूरा न हो
कृष्ण का नाम जब तक जुडा न होगा
कृष्ण भी तुम हो राधा भी तुम हो
संसार की भावना...
मनोकामना भी तुम ही हो
मेरी बांसूरी का संगीत भी तुम ही हो
राधे...
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तुम ही मन मीत हो राधे
संगीत हो राधे...
तुम ही जीत हो राधे
तुम ही प्रीत हो राधे...
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-------डॉ •अनामिका-------
सावन और फागुन का संगम
आया सुहावन सावन
ले हरियाली का रंग
'रंग-बिरंगे फूलों से सज गई धरती'
वसुंधरा ने भी धानी रंग की चुनरी पहनी..
सुंदर गीत गा रही..
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बागों में पड़ गए झूले..
हर रिश्ते.. वसंती रंग के समान..
ऐसा मनोरम.. दृश्य बन गया..
देखो सखी बागों में झूला लग गया...
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सखियां कर रही सखियों का इंतजार
बहना कर रही भाई का इंतजार..
राखी के उत्सव को लेकर
उत्सुक हो गयी छोटी बहना
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बार-बार कर रही पुकार..
दीदी उतरो झूले से..
सुनो ना.... !!!
मेरी बात सुनो ना... !!!!
भाई क्या देंगे इस बार... हमें राखी का उपहार?
बताओ तो दीदी... कब है...
राखी का त्यौहार???
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कोई कजरी गा रहा
कोई सावन के गीत सुना रहा...
हर ओर हरियाली है हर ओर छायी बहार..
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---- डॉ• "अनामिका"---
नारी तुम राधा हो
तुम किसी से कम नहीं
धरती का हो, तुम "अनुपम उपहार". ..
तुम ही शक्ति, तुम ही भक्ति
तुम ही गीता,तुम ही वेदों का संस्कार
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तुम ही राधा, तुम ही रूक्मिणी..
तुम ही, देवी का अवतार..
धन्य-धन्य हे ! देवी शक्ति..
नमामि तुमको बारंबार 🙏
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#डॉ•अनामिका
काव्य : साक्षरता
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स्कूल जाने की ललक
उमंग और उत्साह
कोरोना काल के बाद दिखा
जीवन का फलसफा..
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बंध गया था बचपन
दीवारों की ओट में..
बिखर गयी थी खुशियाँ..
विषाणुओं की ओट में...
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शिक्षा तो तब भी न रूकी
आंधी के चक्रवात को भला
कब ? किसने? रोका है....
शिक्षा तो बहती जलधारा है..
अमूल्य निधि है
जो सारगर्भित है
माता सरस्वती के तारों में...
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माँ वीणावादिनी वर देती रही
अध्येताओं के एक मार्ग अवरुद्ध हुए..
दूसरा रास्ता खुला..
साक्षरता की कसौटी
पूरे उत्थान पर रही
गांव -गांव... नगर-नगर..
डगर - डगर
सब इस इम्तहान से गुजरे..
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सरकारी तंत्र काम करते रहे
सर्व शिक्षा अभियान जारी रहा
अध्यापन का प्रवाह कभी न रूका
'न' ही बाधित हुआ..
"अंतरजालीय प्रणाली कब काम आती"
इस समय काम आयी..
वर्तमान की शिक्षा आज जगमगाती रही
युग बदलता रहा...
आज भी प्रफुल्लित हो रही है शिक्षा..
माता सरस्वती के आशीर्वाद..
-----#डॉ• "अनामिका"----
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दिनांक ०७/०३/२०२३
कान्हा
"रंग कान्हा के रंग में
लगा न कोई रंग प्यारा
सतरंगी रंगों में रंगकर
कण-कण हुआ जग सारा
जो जीवन का रंग समझ पाती
होती न मैं बावली..
ब्रज भूमि पर रजकण छूने
न आती दुबारा.. "
जीवन रंग गया फागुन के संग
धरती हुई सात रंग की
राधा की चुनरी
गोपियों की रंगीन टोली
रंग गया मनभावन फागुन
झूम उठा भारतवर्ष का कानन
समस्त धरा रंगी
कान्हा और राधा के अंग"
दि ०७/०३/२०२३