गुलमोहर की छांव में डॉ अनामिका द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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गुलमोहर की छांव में

तपती दोपहर में बस स्टैंड के सामने से अल्हड़ लड़कियों का झूंड गुजरा... किसी के हाथ में बस्ता किसी के हाथ में किताब, किसी के हाथ में केवल कॉपी तो किसी के बिल्कुल खाली..हाथ...एकदम बादशाही अंदाज...... 
"एकदम से धमाचौकड़ी करतीं हुुुईं ... लड़कियों का झूंड" ऐसा लग रहा था कि अब पूरी दूनिया उनकी मुट्ठी में हो.. बस सबकी एक ही ख्ववाहिश थी.. गुलमोहर की तरह यादगार बनना है.. जैसे किसी तस्वीर में या कैलेंडर में गुलमोहर खूबसूरत याद तरोताजा करा देता है.. खुशी के मारे पागल होतीं लड़कियों का झूंड, उछलकूद कर ही रहा था कि इतने में बस स्टैंड से अचानक एक बस वहाँ से सरसराहट के साथ निकल गई... उन सभी को बस से ही अपने अपने घर जाना था पर आज किसी को समय का भान नहीं रहा.. आज एच एस सी का रिजल्ट आया था.. अचानक उनलोगों ने मन बनाया आज हम सभी फोटोग्राफी करेंगी... सबने सेल्फी लेना शुरू किया... कोई पेड़ पर चढकर फोटोग्राफी करनेे में लगा हुआ था कोई गुलमोहर की टहनियों को झुका कर ..उसपर लगे फूलों के गुच्छे तोड़ रहा था ,   कुछ लड़कियां रील बनाने में व्यस्त थी, कोई
पुरानी फिल्म की हिरोइन के अंदाज पेड़ के इर्दगिर्द चक्कर लगा लगाकर अलग अलग पोजीशन में पोज दे रहीं थीं कोई कैटरीना के अंदाज में एक्शन करती हुईं कैटवॉक.्््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््््  तस्वीरें ले रहीं थीं.. ऐसा लग रहा था अभी के अभी सबको फिल्म इंडस्ट्री में किसी ऑडिशन के लिए जाना है... जबरदस्त जोश भरा माहौल था और बड़ा ही मनोरम दृश्य  नजर आ रहा था...
       बचपन लौट आया था   बहुत खुश थी पूरी मंडली कि अचानक बरसात होने लगी..  तभी ... अचानक कोई स्कूटर उनके पास आकर रुका... और हैलमेट पहने हुए एक बंदा  किसी एड्रेस की पूछताछ करने लगा...
तर्जनी ने एड्रेस बताते हुए कहा" पहले आप सीधे जाओ... फिर लेफ्ट जाना.. फिर थोड़ी दूर पर एक ओम शांति चौक आएगा... फिर वहाँ से लेफ्ट टर्न लेना.. फिर सीधे जाकर एक ऑटो स्टैंड आएगा वहाँ से राइट...  जााना फिर वहाँ एक मंदिर होगा. मंदिर के बायीं तरफ एक टावर है.. टावर के दाहिने तरफ एक बड़ा अस्पताल है फिर वहाँ एक बस स्टैंड होगा  वहीं यह इमारत आपको मिल जाएगी.. 
स्कूटर वाला थैंक्स करके चला गया... लेकिन पंद्रह मिनट के बाद .. स्कूटर वाला वापस वहीं पहूँच गया.
जहाँ लड़कियों का झूंड धमाचौकड़ी कर रहा था...
स्कूटर वाले को देख लड़कियां ठहाके लगाकर हंसने लगीं... स्कूटर वाले ने स्कूटर वहीं गुलमोहर के पास लगा दिया और बोला....
आपलोगो ने अच्छा तमाशा बनाया मेरा...
देखने में आप सभी शरीफजादियां नज़र आतीं हैं.. पर मेरा सोचना गलत साबित हुआ... खैर कोई बात नहीं.. 
वैसे मुझे इस  'घर के पते' पर एक मरीज को देखने जाना था... बहुत सीरियस है .... मैं भी कितना पागल हूँ आपलोगो से यह क्यों बता रहा हूँ किसी और से पूछ लेता.. 
धन्यवाद...गलत पता बताने के लिए.. . "मैं किसी और से पूछ लेता हूँ ,'पता नहीं अब तक मरीज की हालत कैसी होगी... ?
और सामने मेडिकल स्टोर वालों से पूछ कर अपने गंतव्य चला गया...
डॉक्टर चला गया लेकिन गुलमोहर के पेड़ तले धमाचौकड़ी बदस्तूर जारी रहा.... जब सबका सेल्फी निकालकर मन भर... गया तब सबको याद आया... 
बस तो निकल गयी.. अब वह घर जाएंगी कैसे? वहाँ से सबका  घर लगभग आठ नौ किलोमीटर दूर है..... क्रमशः