Highway Number 405 - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

हाइवे नंबर 405 - 9

हाइवे नंबर ४०५

भाग ९

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Ep ९


Ep ९

उसके हाथों निर्दोष लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी...सभी दिशाओं में शोक का राक्षस आकाश को हिला देगा। कालोखा की तिमुर कजली की सरहद पार कर जायेगी.. वो आयेगा! वह आएगा...! काले बादलों से घिरे आसमान में तेज बिजली चमकी..तेज कानफोड़ू आवाज और शॉर्ट-सर्किट जैसी रोशनी पूरी तरह से 405 गांव के गांव पर एक अश्लील छाया की तरह गिरी..! उसी समय अचानक लाल पहिए वाला एक ट्रक ईसाई मंदिर के बाहर आगे आया और ईसाई मंदिर के प्रवेश द्वार से थोड़ी दूर रुक गया। ट्रक का लकड़ी का दरवाज़ा धड़ाम से खुला.. तभी एक नग्न शरीर वाली आठ फुट की सफेद आकृति दरवाजे से बाहर कूदी... आकृति का भूरा रंग, पैरों में चमकदार जूते और उसके नीचे की मिट्टी वहीं खड़ी थी थोड़ी देर के लिए। फिर कुछ देर बाद धीरे-धीरे वह आकृति मंदिर के बंद दरवाजे की ओर बढ़ने लगी..चलते समय आकृति के चमकदार जूतों से (टोक, टोक, टोक) की आवाज आने लगी।

"हे भगवान! हे भगवान! वह आ गया..!"

पादरी पाँच पर बैठे। उसने ट्रक की आवाज़ सुनी। इसका मतलब यह हुआ कि वह आ रहा था और वह अभद्र ध्यान एक साधारण दरवाजे के पीछे खड़ा था।पादरी ने बंद दरवाजे पर नजर डाली। अभी भी बाहर से कोई हलचल नहीं हो रही थी


गारंटी कौन देगा? वह दरवाज़ा उस अभद्रा, तामसी, पश्वी शक्ति को सामान्यतः कब तक रोक कर रख पाएगा? उस जानवर की एक लात इस दरवाजे को तोड़ देगी! यह पद्रीना खड़ी थी। क्या चारों ओर चौड़ी नज़र रखने वाला कोई छिपने का स्थान है? वे यह देखने लगे. उसी समय दरवाजे के दोनों चौखट खुल गये, बाहर की अँधेरी रोशनी मन्दिर में प्रवेश कर गयी। मंदिर में कोई भी दरवाज़े पर खड़े उस सफ़ेद मजबूत भुजाओं वाले नश्वर शरीर के शैतान की दो जहरीली हरी आँखों को नहीं देख सका।

"फहहाआआआआआआआआआआआ!" मंदिर में घुरघुराने की आवाज गूँज उठी। रामचंद के कोयले जैसे काले दाँत बोलते नजर आ रहे थे।

"मैं यहाँ हूँ पापा! देखो मैं फिर यहाँ हूँ। पिछली बार आप मुझे रोक रहे थे। क्योंकि आपके पिता इस गाँव में थे.. लेकिन अब वह जीवित नहीं हैं। तो अब आपका वली कौन है? आपके साथ कौन है। हायहीही.. ! मुझे पता है. ! तुम यहाँ..! तुम यहाँ छुपे हो..? बूढ़ा आदमी..! और तुम सब सुन रहे हो....ए बाहर आओ...? " रामचंद ने धीरे से अपना बायाँ पैर कनपटी में रख दिया.. ! एक क्षण में यीशु के सामने जल रही धूप बुझ गई।

उसके चमकदार जूते की नोक से आवाज़ हुई...दीवार से टकराकर..फिर पूरे मंदिर में और आख़िरकार..पुजारी के कानों में घुसी जो कुर्सियों के पीछे छुपे हुए थे.पहुँच जाएगी..

ही, ही, खिलखिलाओ, हा हा!" भयानक जानवरों की हँसी...!

"देखो, बूढ़े आदमी! देखो अपने इस भगवान को? इतना करीब खड़ा होकर भी वह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता..!" रामचंद ने अपने दोनों हाथ हवा में उठाकर यीशु की मूर्ति की ओर देखते हुए कहा। इधर, पादरी ने कुर्सियों के बीच से अपना रास्ता बनाया और धीरे-धीरे खुले दरवाजे की ओर चलने लगा। वे डर के मारे कभी पीछे देखते तो कभी आगे की ओर। जैसे ही मैंने पीछे देखा, मुझे शैतान का सफेद शरीर दिखाई दिया, उसकी कमर किसी मृत कलाकार की तरह खुली हुई थी, फूली हुई मजबूत भुजाएँ और उसके सिर पर सफेद बाल थे..! नीचे भूरा रंग और चमकदार काले जूते जिससे बहुत तेज आवाज आ रही थी, एक बड़ी सी दरार पड़ गई.. वो काले जूते।

"अरे बुड्ढे, यह छुपना बहुत हो गया! बाहर आओ!" रामचंद ने इतना कहा और पीछे मुड़ गया..! तभी पादरी ने पीछे मुड़कर देखा, बहुत बड़ी गलती हो गई..! पुजारी की पीली आँखें नी हैवान रामचंद की जहरीली निगाहों से मेल खा रही थीं। रामचंद ने देखा कि पुजारी कुर्सियों के बीच घुटनों के बल बैठे हैं, उनके हाथ फर्श पर हैं और वे कुत्ते की तरह चल रहे हैं। उन्हें देखकर उनके होठों पर एक पाशविक मुस्कान उभर आई, वे दाँत मसेरी की तरह काले थे, हरी आँखें एक पल के लिए चमक उठीं।

"हा हा हा! फहदर..! क्या तुमने मुँह फेर लिया!" वह गहरी कर्कश आवाज़ में चिल्लाया और हँसा। पुजारी चारों पैरों पर बैठ गया, उसके सिर में जड़ के तने से लेकर मस्तिष्क तक भय की एक धारा बह रही थी। आसपास की कुर्सियाँ फेंककर पादरी उठ खड़ा हुआ..!

"आ..आ...म्हाथा-या ए!" रामचंद ने अपने दोनों हाथों से अपनी उंगलियां हिलाते हुए कहा। मुस्कुराते हुए उसका जबड़ा थोड़ा आगे आ गया। और पुजारी को बत्तीस नुकीले काले दांत दिखाई देने लगे।

"ऐ नहाई! ऐ नई, ऐ नई, नई! मेरे पास मत आओ!" पुजारी खुले दरवाजे की ओर दौड़े। बड़ी मशक्कत से दरवाजे की चौखट पार करके वह बाहर निकला.. और आते ही उसने सबसे पहले दरवाजे का हैंडल अपने पीछे खींच लिया।

"बचाया गया! बचाया गया..!" पादरी ने खुद से कहा। कुछ समय बीत गया..उसने सांस लेते हुए धीरे से अपनी आँखें खोलीं। जैसे ही पादरी ने अपनी आँखें खोलीं, दो हेडलाइट्स की पीली रोशनी ने तुरंत उसकी आँखों को रोशन कर दिया..! क्योंकि उस राक्षसी ट्रक की ड्राइवर सीट पर शैतान रामचंद अपना जबड़ा निकालकर और अपने काले दाँत निकालकर उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था। तभी

ट्यूब के मुँह से काला धुआं हवा में उड़ गया..! (पोंऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ) हॉर्न की आवाज़..और इंजन की आवाज़ सुनकर, पादरी ने आह भरते हुए अपनी आँखें खोलीं। जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, उसे उस काले ट्रक की तस्वीर दिखाई दी, इंजन टैंक पर एक मोटा लाल उल्लू, पीली आँखें जो खुली हुई थीं.. वह अंत था..!

"ओह!" पुजारी की आखिरी चीख निकली, उसी समय आसमान में बिजली चमकी..! और वह चीख..वह दहाड़ने की आवाज जिसे पुजारी स्वयं अपने अजस्त्र मुंह में समाहित कर लेता। लेकिन एक शख्स था.. जो सुनहरी घास में छिपकर अपनी आंखों से ये थ्रिलर देख रहा था..! जिसके चेहरे पर छह-सात महीने की बढ़ी हुई दाढ़ी.. सिर पर बाल.. दिख रहे थे.

कंधे छू रहे थे. बाहरी सफेद कपड़ा का आधा हिस्सा जगह-जगह से फटा हुआ था।

और वह था...पागल भु-या

Continues :













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