प्रेम का पूर्वाभास - भाग 4 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 4

प्रेम के माईनर ओटी में अरुणा से मिलने के जाने के तुरंत बाद ही अरुणा की छोटी मां वहां दुबारा आकर जमीन पर कुछ ढूंढने लगती हैं आदित्य अच्छा मौका मिला देखकर छोटी मां से पूछता है? "आंटी कुछ खो गया है क्या आपका।"आंटी बोलने से चिढ़कर पहली बार पूछने पर तो वह कोई जवाब नहीं देती है लेकिन फिर बहुत बदतमीजी से आदित्य से कहती है "पूछ क्या रहा है, अंकल कोई छोटी पर्ची जमीन पर कहीं पड़ी दिखाई दे तो उठाकर मुझे दे वार्ड ब्वॉय ने डॉक्टर से दवाई लिखवा कर मुझे बाहर से दवाई लाने के लिए वह पर्ची दी थी।" अरुणा की छोटी मां कहती है
"तो आंटी वार्ड ब्वॉय को कहकर वही दवाई की पर्ची दोबारा लिखवा ले।" आदित्य कहता है
"बात तो तूने लड़के सही कही देखने में तो तू लल्लू लग रहा है, लेकिन है दिमाग वाला।" छोटी मां कहती है "बस आंटी इतनी तारीफ मत करो जल्दी से अपने मरीज का नाम बताओ मैं नर्स से दवाई की नई पर्ची बनवार कर लाता हूं।" आदित्य कहता है और सोचता है इतनी घटिया स्वभाव कि बदतमीज औरत के साथ में तो एक पल भी नहीं रह सकता हूं, बेचारी अरुणा इसके साथ कैसे जी रही है।
"मरीज का नाम अरुणा है।" छोटी मां कहती है

अरुणा नाम सुनकर आदित्य खुश हो जाता है कि यही अरुणा की छोटी मां है, इसलिए वह अरुणा कि छोटी मां पर अपना प्रभाव छोड़ने के लिए अरुणा की छोटी मां से दवाई के पैसे लेने से साफ इन्कार कर देता है और जब आदित्य डॉक्टर से अंग्रेजी में अरुणा कि तबीयत के बारे में पूछता है तो अंग्रेजी बोलने की बचपन से शौकीन छोटी मां आदित्य से कहती है "मुझे भी अंग्रेजी बोलना सिखा दो किसी बड़ी पार्टी में जाती हूं, तो अंग्रेजी ना आने की वजह से बहुत अपमानित होना पड़ता है वैसे मैंने राजस्थान के कॉलेज से सैकड़ ईयर तक पढ़ाई कि हिंदी मीडियम से पढ़ाई लिखाई में नालायक थी इसलिए अंग्रेजी से मेरा दूर-दूर तक का नाता नहीं रहा।"
"जरूर अंग्रेजी बोलना सिखाऊंगा आप बोलो कब से सिखाऊं।" आदित्य कहता है
"मेरे घर का एड्रेस लिखो कल से ही आ जाओ शाम को 5:00 बजे। छोटी मां कहती है
घर का एड्रेस लिखने के बाद आदित्य कहता है "ठीक है कल से सही समय पर आपको अंग्रेजी सीखने पहुंच जाऊंगा।"
"हां एक बात और ट्यूशन फीस कितनी लोगे।" छोटी मां पूछती है? "जो बाकी अंग्रेजी सीखने वाले टीचर लेते हैं।" आदित्य कहता है
छोटी मां मुस्कुराकर कहती है "बुद्धिमान भी हो।"

तभी एक अधेड़ उम्र का कम से कम 6 फुट 3 इंच का कशरती बदन वाला आदमी वहां आ जाता है और अरुणा की छोटी मां उसे देखकर आदित्य से कुछ भी कहे बिना उस आदमी के पास चली जाती है।

वह आदमी अरुणा से मिले बिना अरुणा की छोटी मां के हाथ में नोटों की मोटी सी गड़ी थामाकर अस्पताल से अपने चम्मचों के साथ चला जाता है।

अरुणा की छोटी मां में उस आदमी से एक बात बहुत मेल खा रही थी कि दोनों सोने चांदी की ज्वेलरो से लदे हुए थे, दोनों ही सोने चांदी हीरे मोती के शौकीन लग रहे थे।

अरुणा की छोटी मां से मिलने के बाद आदित्य प्रेम का इंतजार दिसंबर की कड़ाके की ठंड में अस्पताल में उस बेंच के ऊपर बैठ कर करने लगता है जहां धूप थी।

बेंच पर बैठने के बाद आदित्य आसमान की तरफ देखकर अपने मन में कहता "वहां परमात्मा जो चाहते हो वही करते हो कितनी आसानी से मुझे अरुणा के घर के अंदर पहुंचा दिया अब मुझे भी पता चल गया है अरूणा ही वह लड़की है जिससे प्यार करके मेरी मौत होगी क्योंकि छोटी मां की दोस्ती अपराधी किस्म के लोगों से है।

और कुछ देर अस्पताल के पार्क में बैठने के बाद इमरजेंसी में घर वापस जाने के लिए प्रेम को ढूंढने जाता है तो प्रेम को चारों तरफ से भीड़ ने घेर रखा था और अरुणा की छोटी मां उन दोनों लड़कों से प्रेम को पकड़वा कर खुद प्रेम को अपने पैर की सैंडल से पीट रही थी।

आदित्य किसी तरह भीड़ को चीरते हुए प्रेम के पास पहुंच कर कहता है "आंटी यह मेरा दोस्त है, इसने क्या गलती कर दी है।"

आदित्य को यह बात सुनकर अरुणा की छोटी मां प्रेम को छोड़ने के लिए कहती है और आदित्य की तरफ प्यार से देखते हुए कहती है "इतने घटिया दोस्त हैं, इसने मेरी बेटी अरूणा का हाथ पकड़ कर आई लव यू कहा है। मै इसे पुलिस के हवाले करूंगी चाहे तुम कुछ भी कहो।"

आदित्य प्रेम को बचाने के लिए छोटा सा झूठ बोलता है "आंटी यह सुबह से ही पागलों जैसी हरकतें कर रहा है मैं इसको को ही ईलाज के लिए अस्पताल लाया था।"

प्रेम उस समय आदित्य से कोई भी सवाल किए बिना आदित्य के पीछे-पीछे अस्पताल से बाहर आ जाता है आदित्य की बाइक के पीछे बैठकर आदित्य से पूछता है? "तू अरुणा की छोटी मां को कैसे जानता है।"
"जान पहचान तो आज ही हुई है और आज अरुणा की छोटी मां ने मुझसे अंग्रेजी सीखने की ट्यूशन लगवा ली है।" आदित्य बताता है
"चल यार जो तुझे करना है कर मैं तो अरुणा को आज से छोड़ रहा हूं आज से नहीं अभी से जा अरुणा तेरी हुई।" प्रेम कहता है
"मूर्ख अरुणा की गलती नहीं है तूने पांच मिनट की मुलाकात में ही एक अनजान लड़की को आई लव यू बोल दिया।" आदित्य कहता है
"यह सब भी तेरी वजह से हुआ मुझे शक था कि तू मुझसे पहले अरुणा को आई लव यू बोल देगा।"प्रेम कहता है

घर पहुंचने के बाद आदित्य अपने माता-पिता से ऐसे मिलता है जैसे वह कुछ महीनो का मेहमान हो।

दिन भर के सुनार की दुकान पर काम करके थके हुए उसके पिता उसके दिल में झांकने की कोशिश किए बिना खाना खाकर सोने चले जाते हैं, लेकिन आदित्य की मां जब उसके कमरे में दूध का गिलास लेकर आती है तो सीधे ही कहती है "अब भी छोड़ दे उस लड़की को।"
"मां चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता हूं, मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं अपने माता-पिता और अरुणा के लिए ही इस दुनिया में आया हूं।" आदित्य कहता है
"चल ठीक है मेरा आशीर्वाद तुम दोनों के साथ है तू बड़ा वकील बने और अरुणा और तू पोथी पातों का मुंह देखे।" मां का कर चली जाती है।
मां के जाने के बाद आदित्य सोचता है बेचारी मां को क्या पता मैंने वकील नाती पोतों पाती का झूठा पूर्वाभास सुनाया था।