Prem ka Purvabhas - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम का पूर्वाभास - भाग 2

उस अनजान लड़की की आदित्य को ऐसे चिंता होने लगती है जैसे कि वह उस लड़की को सदियों से जानता हो इसलिए उस दिन आदित्य को कॉलेज जाने से ज्यादा उस खूबसूरत लड़की को सुरक्षा देने का काम ज्यादा जरूरी लगता है और आदित्य अपनी बाइक रेलवे स्टेशन की पार्किंग में खड़ी करके रेलवे स्टेशन के अंदर जाता है तो रेलवे स्टेशन के अंदर जाने से पहले ही वह स्कूल कि यूनिफॉर्म पहने हुए लड़की को एक महिला और एक युवक बुरी तरह थप्पड़ों से पीटते हुए रेलवे स्टेशन के अंदर से बाहर ला रहे थे, उस खूबसूरत लड़की को पीटता हुआ देखकर आदित्य सोचता है यह खूबसूरत लड़की अपने घर से ही भागने वाली थी, तभी तो शायद इसका भाई और मां इस पीटते हुए घर लेकर जा रहे हैं लेकिन रेलवे स्टेशन से कॉलेज के रास्ते तक आदित्य को एक बात खाए जाती है कि उस स्कूल की लड़की का जो भाई था वह कहीं से भी उसका भाई नहीं लग रहा बल्कि कोई अपराधी या गुंडा बदमाश लग रहा लग रहा था हां मां तो खाते पीते घर की पढ़ी-लिखी लग रही थी उसे लड़की से ज्यादा नहीं तो थोड़ा बहुत मेल खा रही थी।

यह सोचते सोचते आदित्य को पूर्वाभास होता है कि वह स्कूल की लड़की मुझे दोबारा मिलेगी उस स्कूल की यूनिफॉर्म पहने हुए लड़की से मिलने के बाद आदित्य का कॉलेज में पढ़ाई करने में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है और बार-बार उसकी इच्छा होती है उस लड़की से एक बार और मिलने की।

और दूसरे दिन वही लड़की आदित्य को अपने पड़ोस के गर्ल्स स्कूल की छुट्टी होने के बाद अपनी सहेली के साथ दिखाई देती है उसे देखकर आदित्य सोचता है जिस लड़के से इस खूबसूरत लड़की की शादी होगी वह सच में बहुत भाग्यशाली होगा फिर सोचता है काश से भाग्यशाली युवक में ही होता।

तभी पीछे से उसका दोस्त प्रेम आकर कहता है "इस लड़की को मत देख मेरे दोस्त यह आवारा लड़की है इसका नाम अरुणा है इसे एक लड़का छोड़ने आता है और एक लड़का स्कूल से लेने आता है।"

"वह इसके भाई भी हो सकते हैं।" आदित्य कहता है

"जब इसके माता-पिता का पता ठिकाना नहीं तो सगे ममेरे चचेरे आदि भाई कहां से होंगे जिस महिला ने इस पला पोसकर बड़ा किया है यह उसी को छोटी मां कहती है, मैं भी इसे देखते ही पहली नजर में इसे अपना दिल दे बैठा था और मैंने दो महीने इसके पीछे बर्बाद किए हैं।" प्रेम बताता है

"मुझे इससे क्या लेना देना।" यह कहकर आदित्य अपनी बाइक लेकर अपने घर के रास्ते की तरफ चला जाता है लेकिन फिर उसकी उस लड़की और उसके बॉयफ्रेंड को देखने की इच्छा होती है। और उस लड़की को स्कूल से लेने आने वाले उस जवान हटे-कटे लड़के के मुंह से उस अरुणा नाम की लड़की को मम्मी कहकर पुकारने पर बहुत अटपटा सा लगता है और जब आदित्य सुबह उस लड़की अरुणा को स्कूल छोड़ने आने वाले लड़के से अरुणा को मम्मी कहते हुए सुनता है तो यह बात अपने दोस्त प्रेम को बताता है कि प्रेम पहले इस बात पर यकीन नहीं करता है और फिर खुद अपने कानों से सुनकर उस खूबसूरत लड़की अरुणा को मम्मी कहते हुए सुनकर असमंजस में पड़ जाता है

और आदित्य से कहता है "यह लड़की आशिक मिजाज होने के साथ-साथ बहुत खतरनाक भी लग रही है मैं तो इसकी तरफ आज के बाद आंख उठाकर भी नहीं देखूंगा।"

"आंख उठा कर देखना नहीं बल्कि हाथ पकड़ हाथ बढ़ाकर उस अरुणा नाम की लड़की की मदद करनी पड़ेगी क्योंकि मुझे एहसास हो रहा है कि इस लड़की का जीवन सीधा सादा नहीं है, इसके जीवन में कोई बड़ी उलझन है, क्योंकि मैंने इसे एक दिन रेलवे स्टेशन पर छोड़ा था और एक महिला और युवक इसे पीटते हुए घर या ना जाने कहां लेकर जा रहे थे।" आदित्य कहता है
"तो इस लड़की के जीवन की उलझन खत्म करते-करते हम मुफ्त में अपने जीवन में कोई बड़ा संकट बुला ले।" प्रेम कहता है

और फिर आदित्य के कुछ कहने से पहले ही खुद ही प्रेम कहता है "क्या पता उसकी मदद करते-करते वह मुझसे प्रेम करने लगे।"
आदित्य सोचता है "चलो अच्छा ही है, मुझे प्रेम को समझने में अपनी बहुत एनर्जी बेस्ट नहीं करनी पड़ती क्योंकि प्रेम जो भी काम करता है वह पहले उसमें अपना मतलब देखता है और यहां तो इसे बहुत बड़ा फायदा नजर आने लगा है कि एक खूबसूरत अमीर लड़की इसे मिल रही है।

और दूसरे दिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद अरुणा की कर का बाइक से पीछा करने की जगह अरुणा की सहेली दीपाली से आदित्य और प्रेम दोस्ती करते हैं।

दीपाली से उनकी इतनी आसानी से अच्छी दोस्ती इसलिए हो जाती है क्योंकि दीपाली पहली नजर में ही प्रेम को अपना दिल दे बैठती है।

और चार-पांच दिन की मुलाकात के बाद प्रेम आदित्य के कहने से दीपाली से कहता है "मेरे दोस्त आदित्य को आपकी सहेली अरुणा से प्रेम हो गया है इसलिए वह आपकी सहेली से मिलना चाहता है।"
"अरुण से स्कूल के बाद फोन पर बात करना या मिलना संभव है।" दीपाली कहती है
"ऐसा क्यों।" प्रेम पूछता है?
"ऐसा इसलिए क्योंकि अरुणा की छोटी मां अरुणा की एक ही गतिविधियों पर पूरी नजर रखती है।" दीपाली बताती है
"इतनी सख्त चौकीदारी क्यों।" प्रेम फिर पूछता है?
"अरुणा कहती है अपनी छोटी मां के पास वह किसी की अमानत है, लेकिन किसी को कुछ भी बताने से पहले रोने लगती है।" दीपाली कहती है
"क्या बचपन में ही उसके माता-पिता ने उसकी शादी का रिश्ता तय कर दिया था।" प्रेम पूछता है?
"ऐसा नहीं है क्योंकि अरुणा कहती है वो अनाथ है और कोई अमीर आदमी उसका बालिग होने का इंतजार कर रहा है, बालिग होते ही उसे वह अपने साथ ले जाएगा।"दीपाली बताती है
"आपकी सहेली अरुणा का जीवन बहुत उलझा हुआ लगता है उनसे मिलना भी असंभव लग रहा है।" प्रेम बोला

"एक तरीका है अगले महीने हमारी स्कूल में फेयरवेल पार्टी है, मैं आपके दोस्त आदित्य की मुलाकात उसे पार्टी में अरुणा से करवा सकती हूं, लेकिन अरुणा में अगर आपने जरा सा भी इंटरेस्ट लिया तो देख लेना फिर मैं क्या करूंगी। दीपाली कहती है
"ऐसा कुछ भी नहीं है जो कह रहा हूं कर रहा हूं अपने जिगरी दोस्त के लिए कर रहा हूं।" यह कहकर प्रेम अपने मन में सोचता है यह मुसीबत कैसे मेरे गले पड़ गई मुझे तो अरुणा चाहिए यह दीपाली मुफ्त में मिल रही है।

दीपाली से मिलने के बाद प्रेम सीधा आदित्य के घर पहुंचता है तो आदित्य के घर के आगे आसपास के लोगों की भीड़ लगी हुई थी और एक महिला अपनी छाती पीट-पीट कर रो रो कर कह रही थी "इस काली जुबान के आदित्य ने कहा था कि अपने बेटे कुणाल को झील के पास खेलने मत जाने दिया करो उसके साथ कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है आस पड़ोस के लोग सच ही कहते हैं जो यह आदित्य कहता है वह हमेशा सच होता है।"

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