प्रेम का पूर्वाभास - भाग 11 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 11

आदित्य यह भी चाहता था कि छोटी मां रणविजय आपस में ही लड़ झगड़ कर अपना गुनाह कबूल कर ले और किसी का लहू न बहे क्योंकि लहू बहा तो सबसे ज्यादा लहू उसी का बहेगा।

तभी पीछे से आदित्य के कंधे पर अरूणा हाथ रख कर कहती है "क्या सोच रहे हो।"
"सोच रहा हूं अभी गुरुद्वारे में आपसे शादी कर लूं।" आदित्य कहता है
"लगता है हम दोनों से पहले प्रेम दीपाली शादी कर लेंगे दोनों साथ में न जाने भीड़ में कहां गायब हो गए हैं।"

आदित्य अरुणा एक दूसरे का हाथ पकड़ कर ऐसे घूमते हैं जैसे वह सदियों पुराने प्रेमी हो।

अरुणा गुरुद्वारे के बाजार से एक बहुत सुंदर पर्स आदित्य को गिफ्ट करती है और आदित्य अपने पैसों से अरुणा को असली मोतियों की माला कमल के फूल के साथ गिफ्ट करता है। रुपाली उर्फ छोटी मां से जो उसने तीस हजार रुपए लिए थे, वह तीस हजार रुपए उसने अरुणा के नाम से लंगर में खर्च करने के बाद बचे हुए रुपए प्रेम और अरुण में आधे आधे बांट दिए थे।

आदित्य अपनी बाइक से अरुणा को घर छोड़ता है, क्योंकि छोटी मां और रणविजय तो एक दूसरे के साथ झगड़ा करने में यह भी भूल गए थे कि अरूणा भी उनके साथ थी।

आदित्य अरुणा भी यही चाहते थे कि दोनों किसी भी तरह बस हम दोनों का एक बार पीछा छोड़ दें।

आदित्य अरुणा की कोठी से थोड़ा दूर बाइक रोककर अरुणा से कहता है "चुपचाप कपड़े बदल कर अपने कमरे में सो जाना मैं तुम्हारी छोटी मां को फोन करके बता दूंगा कि मैंने तुम्हें सही सलामत घर पर छोड़ दिया है।"

और जब तक अरुणा अपनी कोठी के अंदर नहीं घुसती है आदित्य बाइक रोक कर वहीं खड़ा रहता है और अरुणा कोठी के अंदर घुसने की जगह दोबारा आदित्य के पास दौड़ कर आती है।

अरुणा को अपनी तरफ दौड़ के आता हुआ देखकर आदित्य बाइक को स्टैंड पर खड़ा करके बाइक से उतर कर खड़ा हो जाता है।

अरुणा आदित्य के पास आकर एक पल रुक कर उससे चिपट कर उसे चूमना शुरू कर देती है और कहती है "मैं आपकी जगह अपनी जान दे दूंगी लेकिन आपको कुछ नहीं होने दूंगी।" और अपनी आलीशान कोठी अंदर जाते समय कहती हैं "मुझे नहीं पता था कि मेरे नसीब में इतनी खुशियां है।"

रात के एक बजे अरुणा आदित्य को फोन करके कहती है 'मुझे कब इस नर्क से निकलोगे, अब इस नर्क में मेरा दम घुटने लगा है, मुझे अभी इसी वक्त लेने आ जाओ मैं आज की रात तो ऐसे माहौल में बिल्कुल भी नहीं बिता सकती हूं।"
"कैसे माहौल में कुछ समझा नहीं पा रहा हूं।" आदित्य पूछता है
"वैसे तो मैं बचपन से देखते आ रही हूं कि छोटी मां और रणविजय एक दूसरे एक साथ शराब पीकर एक ही कमरे में गंदी-गंदी हरकतें करते हैं, लेकिन जब मेरे पास इस गंदे माहौल से निकलने का कोई रास्ता नहीं था मैं जब बेसहारा थी अब मेरे पास दुनिया का सबसे खूबसूरत सहारा है क्योंकि अब मेरा आदित्य मेरे साथ है तो मैं क्यों इस नर्क में घुट घुट कर जीऊं।" अरुणा कहती है
"घर से भाग कर मेरे पास आने की गलती नहीं करना अभी तुम नाबालिग हो तुम्हें बहका कर घर से भागने की जुर्म में मुझे सजा हो जाएगी, मेरे जेल की सलाखों के पीछे जाने के बाद तुम हमेशा के लिए रणविजय के जाल में फंस जाओगी। बस दो महीने मेरा इंतजार करो मैं जो करूंगा वह बिल्कुल सही करूंगा और एक दूसरे के हित में करूंगा।" आदित्य कहता है
"ठीक है लेकिन आज रात भर मुझसे वीडियो कॉल पर बात करो।" अरुणा कहती है
"जो हुकुम मेरे सरकार।"आदित्य कहता है
"यह शब्द आज के बाद मेरे सामने कभी मत बोलना।" अरुणा कहती है "ऐसा क्यों।" आदित्य पूछता है
"क्योंकि हुकुम मैं और छोटी मां रणविजय को बोलती है और जब मैं 14 वर्ष की थी, तो छोटी मां ने कोई वीडियो क्लिप दिखाकर शराब के नशे में रणविजय से झगड़ा करते वक्त कहा था, मैं आज से तुझे हुकुम नहीं कहूंगी बल्कि तू मेरे हुकुम का गुलाम बनेगा, क्योंकि तुझे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के तेरे खिलाफ मेरे पास सारे सबूत है और उस दिन छोटी मां और रणविजय के बीच इतना झगड़ा बढ़ गया था कि रणविजय मुझे और छोटी मां को तलवार से कटने के लिए दौड़ा था, अगर मैं रणविजय के पैरों में गिरकर उससे माफी नहीं मांगती तो उस दिन वह हम दोनों को जान से मार देता।" अरुणा बताती है
"यह बात बात कर तुमने मुझे बहुत अच्छा किया।" आदित्य कहता है
"इस बात में ऐसी कौन सी अनोखी बात छुपी हुई है।" अरुणा पूछती है आदित्य मुस्कुरा कर जवाब देता है, "आपका होने वाला पति होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा वकील भी है।"

आदित्य यह बात सुनकर इसलिए खुश था कि वह समझ गया था कि अरुणा कि छोटी मां के पास रणविजय के अपराधों का सबूत है और इस सबूत का जरूर अरुणा कि मां से संबंध होगा।

तभी आदित्य के घर की रसोई में बिल्ली नींबू के अचार का मर्तबान फटे से गिरा कर भाग जाती है रसोई घर से तेज आवाज आने के बाद आदित्य की मां की नींद खुल जाती है और वह अपने कमरे से निकाल कर रसोई घर में देखने जाती है कि क्या चीज गिर कर टूट गई है और आदित्य भी हाथ में मोबाइल लिए अरुण से बातें करते हुए अपने कमरे से देखने जाता है कि रसोई घर से किस चीज के टुटने कि आवाज आई है और मां को रसोई घर में देखकर वापस लौट आता है।

और जब दोबारा वीडियो कॉल पर अरुणा से बात करता है, तो अरुणा अपनी आंख से आंसू पोंछ रही थी आदित्य घबराकर पूछता है? "क्या हुआ।"
"अभी रसोई घर में आपकी मां जी थी।" अरुणा पूछता है?
"हां मां थी रसोई घर में बिल्ली ने अचार की शीशी गिरा कर तोड़ दी थी लेकिन तुम्हें क्या हुआ तुम्हारी आंखों से आंसू क्यों टप टप मोतियों जैसे टपक रहे हैं।"
"मैं मां को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाई यह दुख नहीं खुशी के आंसू हैं मुझे 17 वर्ष बाद आपकी मेहरबानी से मां-बाप दोनों का प्यार मिलेगा।" फिर आई लव यू बोलकर अरुणा शर्माते हुए फोन काट देती है।
उस रात आदित्य को अरुणा पर प्यार के साथ-साथ तरस भी आता है कि बेचारी अरुणा को मां-बाप का भी प्यार नहीं मिला अगर मैं अरुणा के जीवन में नहीं आता तो भोली भाली अरुणा का क्या होता।