प्रेम का पूर्वाभास - भाग 5 Rakesh Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम का पूर्वाभास - भाग 5

जब आदित्य अरुणा के घर का पता ध्यान से पढ़ता है तो वह पता उनकी सुनार की दुकान के आस पास का ही था अरुणा के घर का पता पढ़कर उसके दिमाग में एक तरकीब आती है कि अरुणा की छोटी मां और जो वह अधेड़ आयु का आदमी छोटी मां से मिलने अस्पताल में आया था दोनों ही सोने चांदी से लदे हुए थे दोनों सोने चांदी के हद से ज्यादा शौकीन लग रहे थे, इसलिए अपनी सुनार की दुकान दिखाकर अपने को बेहतरीन जौहरी बताकर उनसे अच्छी दोस्ती हो सकती है और एक बार अच्छी दोस्ती हो गई तो अरुणा के जीवन के सारे राज उगलवा लूंगा।

और फिर वह सोचता है मैं दुनिया का पहला इंसान हूं जो अपनी मौत की तैयारी इतनी धूमधाम से कर रहा है।

और दूसरे दिन की तैयारी करते-करते उसे जब नींद आने लगती है तो प्रेम का फोन आ जाता है प्रेम फोन पर आदित्य को बताता है "दीपाली ने फोन करके मुझे बताया है, हमारे अस्पताल से निकलते ही दीपाली अरुणा से मिलने अपनी मां के साथ अस्पताल पहुंची थी और अरुणा ने उसे बताया कि जब आदित्य ने उसका हाथ पकड़ कर उसे आई लव यू कहा तो उसे बहुत अच्छा लगा था लेकिन जब छोटी मां ने आदित्य को उसका हाथ पकड़ते हुए देख लिया तो छोटी मां के भय की वजह से उसने छोटी मां को सब कुछ बता दिया था।"
यह बात सुनकर आदित्य थोड़े से दुखी मन से कहता है "चल भगवान ने तेरी सुन ली जैसी लड़की के तू सपने देखा करता था वैसे ही लड़की तुझे मिल गई है।"
"क्या मिल गई यार वह मुझे आदित्य समझ रही है यानी कि तुझे और अगर मैंने उसे कुछ भी बताया तो दीपाली मुझे कच्चा चबा जाएगी उसने पहले मुझे धमकी दे रखी है।" प्रेम कहता है
दुखी मन से आदित्य कहता है "अब सो जा सुबह इस समस्या का हाल करेंगे गुड नाइट।" गुड नाइट कहकर आदित्य प्रेम का फोन काट देता है

प्रेम का फोन काटने की बाद आदित्य अपने मन में कहता है "बेवफा भी नहीं कह सकता हूं कि प्रेम का स्पर्श आपको अच्छा लगा लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा।

आदित्य को शाम 5:00 बजे छोटी मां को अंग्रेजी सीखने जाना था लेकिन वह 4:00 बजे ही अरुणा की कोठी के सामने वाले पार्क में जाकर बैठ जाता है।

अरुणा की कोठी आसपास की सभी कोठियों से बहुत सुंदर थी चारों तरफ बैगिन बेलिया की हैज (बाउंड्री) कोठी के अंदर नारंगी मॉम श्री के पेड़ कोठी के अंदर चारों तरफ गुलाब चमेली मोगरे आम केले अमरूद के पेड़ पौधे कोठी के अंदर छोटा सा तालाब उस तालाब में कमल के फूल और रंग बिरंगी मछलियां कोठी की छत पर अरुणा के रंग बिरंगे कपड़े सूख रहे थे और कोठी के आगे आने जाने वाले लोगों के लिए स्वच्छ पानी पीने के लिए नल लगा हुआ था।

आदित्य पार्क में बैंच पर बैठे-बैठे बार-बार कभी छत की तरफ देख रहा था कभी कोठी की खिड़कियों की तरफ शायद अरूणा छत पर से सूखे कपड़े उतारने आए या किसी खिड़की से झांक कर पार्क की तरफ देखें जहां मैं बैठकर बेचैनी से उसका इंतजार कर रहा हूं।

उस समय एक बात वह यह समझ नहीं पा रहा था कि आज चार से पांच क्यों नहीं बज रहे हैं और जब 5:00 बजने में 10 मिनट बाकी रहते हैं वह तभी पार्क से जल्दी-जल्दी बाहर निकाल कर अरूणा कि कोठी के गेट पर पहुंच जाता है।

कोठी के गेट पर पहुंचने के बाद कोठी का अधेड़ आयु का सिक्योरिटी गार्ड उसे रोक कर उसका नाम और अंदर क्या काम है पूछता है?

सिक्योरिटी गार्ड छोटी मां को बताता है कि कोई आदित्य जी आए हैं तो छोटी सिक्योरिटी गार्ड से कहती है "उनसे कह दो कल इसी समय आ जाए आज हम सब पार्टी में जा रहे हैं।"

छोटी मां की पार्टी में जाने की बात सुनकर आदित्य निराश हो जाता है और सोचता है हम सब कहां हैं तो अरुणा भी छोटी मां के साथ जरूर पार्टी में जाएगी, इसलिए आदित्य कोठी के सामने वाले पार्क में ऐसी जगह बैठ जाता है, जहां से अरुणा जब अपनी छोटी मां के साथ कोठी से बाहर निकले तो साफ दिखाई दे।

लेकिन पार्क में बैठे-बैठे वह जब और दुखी हो जाता है जब 5:00 बजे से पार्क में बैठे-बैठे उसे 7:00 बज जाते हैं, लेकिन अरुणा पार्टी में जाने के लिए अपनी छोटी मां के साथ कोठी से बाहर निकाल कर नहीं आती है।

आदित्य को घर जाने की भी जल्दी हो रही थी, क्योंकि अरुणा के प्रेम में पढ़कर वह अपनी पढ़ाई का सत्यानाश कर रहा था यानि की अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा था।

उसे घर जाकर पढ़ाई भी करनी थी और अरुणा की एक झलक देखे बिना उसे वहां से घर जाना कठिन लग रहा था और जैसे ही आदित्य अपने मन को मारकर अपने घर जाने लगता है, तभी अरूणा की छोटी मां उसी आदमी को गेट के बाहर उसकी बड़ी महंगी लंबी गाड़ी तक छोड़ने आती है जो अरुणा की छोटी मां को नोटों की मोटी गाड़ी अस्पताल में देकर गया था।

अरुणा की छोटी मां को देखकर आदित्य की अरुणा को देखने कि उम्मीद बढ़ जाती है और कुछ देर बाद ही अरुणा आसमानी सूट सलवार में कोठी गेट के पास आकर खड़ी हो जाती है और पीछे से अरुणा कि नौकरानी अरुणा हो सर्दी से बचने के लिए गर्म कश्मीरी शॉल ओढ़ने के लिए लाकर देती है।

आदित्य पार्क में लगे बिजली के खंबे के नीचे खड़ा होने की जगह पेड़ की ओट में गाने अपना चेहरा गरम मफलर से ढक कर खड़ा हो जाता है ताकि वह सबको देख सके कोई उसे ना देख सके।

शरद पूर्णिमा की चांदनी की रात कड़के की ठंड पार्क में फूलों की महक सामने अद्भुत सुंदरी जिसको दिल नहीं जान देना भी कम लगे लेकिन जब वह अधेड़ उम्र का 6 फुट का कशरती बदन वाला आदमी अरुणा की छोटी मां के सामने अरुणा का हाथ पकड़ कर अपनी गाड़ी के पीछे ले जाकर अरुणा को ऐसे जबरदस्ती किस करने की कोशिश करता है जैसे की पिता नहीं एक प्रेमी करता है तो आदित्य से यह सब बर्दाश्त नहीं होता है।