Wo Ankahi Bate - S2 - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 2

2 epishode
दूसरे तलें पर ही यश का घर था।
बेल बजाया तो पापा ने खोला।
यश ने कहा अरे पापा क्या खुशबू आ रही है। खीर बना दिया है।
बिमल ने कहा हां, हां जल्दी आ जाओ दोनों।
यश ने कहा अरे बाबा आप बिना देखे समझ जाते हैं कि मैं अकेला नहीं हूं।
बिमल ने कहा हां बेटा तजूरबा और क्या!
और बताओ आज का दिन कैसा रहा?
रिचा ने आगे बढ़कर पैर छुए और फिर बोली नमस्ते अंकल।
बिमल ने कहा अरे खुश रहो बेटा आज कल कहां ये देखने को मिलता है।
रिचा ने कहा हां अंकल ठीक कहा आपने।
पता है बेटा तुम्हारी आंटी भी यह कहा करती थी ये बात बिमल ने रिचा से कहा।।
यश ने कहा ओह !पापा मां को गये आज बीस ,बाईस साल हो गया और आज भी आप उनके बारे में बात करते हो।
क्या रखा है आप लोगों के प्यार में जो बिना देखे बिना प्रेम किए समझौते का प्यार!
बिमल ने हंसते हुए कहा यहां पर ही चुक गए ?आज का जनरेशन आज की सोच!
उस समय तो मोबाइल भी नहीं हुआ करता था पर फिर भी चाहत थी, तड़प थी, इन्तजार था,दुआ थी, दुःख था, दर्द भी था पर हम जताते नहीं थे !आज कल तो जताते भी है और रोते भी है।
रिचा ने कहा हां, अंकल एकदम ठीक कहा आपने।
यश ने कहा हां मैं समझ गया हुं कि पापा क्यों इस उम्र में भी मां की यादों के सहारे रहना चाहते हैं!
बिमल ने कहा अरे बाबा अब चलो खीर खाते हैं आज तेरी मां की याद में बना लिया था।
फिर बिमल किचन में जाकर खीर बाउल में निकाल कर बाहर लाकर टेबल पर रख कर एक कटोरी अपने कमरे में जाकर अपनी बीबी की तस्वीर के पास रख दिया और फिर
और फिर बोलने लगें जानती हो ,चांदनी आज यश क्या बोल रहा था।।
इधर रिचा डाईंग रूम में बैठ कर यशको बोली ये, ये तुम भी ना पापा को ये सब बोल रहे हो।
यश ने कहा कभी फुर्सत से पापा की कहानी सुनना होगा ,हां हमेशापापा टाल देते हैं।
फिर बिमल खीर लेकर आ गए और फिर रिचा को और यश को दिया और बैठ गए।
यश ने कहा पापा आप भी खाओ ना।
बिमल ने कहा हां, मैं भी खा रहा हूं पहले तेरी मां को दिया है उसके बाद ही मैं खा लूंगा।
रिचा ने कहा हां, अंकल सच्चा प्यार करते हैं तभी तो आंटी के जाने के बाद भी उनको इस कदर चाहते हैं और फिर ये तो ऐसा कभी नहीं कर सकता है।
बिमल हंसने लगे और फिर बोलें बेटा तुम लोग बातें करो मैं थोड़ा बाहर से आता हूं।
बिमल के जाने के बाद ही यश और रिचा में बहस और झगड़ा हुआ तो रिचा गुस्से से चली गई।
यश भी गुस्से में आकर अपने कमरे में जाकर तोड़- फोड़ करने लगे।

रात को डिनर के समय यश को चुपचाप देखकर यश के पापा ने पुछा अरे ,फिर से झगड़ा हो गया।
यश ने कहा पापा आप कैसे समझ लेते हो?
बिमल ने कहा हां, बाप हुं तुम्हारा, अच्छा सुनो! अगले महीने तेरे मां की बाईसवी बरसीं है।
यश ने कहा हां ,पापा पता है श्राद्धहोगा, ब्राह्मण भोजन करवाया जाएगा, दोस्तों को बुलाया जाएगा पर एक वादा चाहिए?
बिमल ने कहा कैसा वादा?
यश ने कहा अब शादी कर लो अपने लिए ना सही मेरे लिए, जिंदगी किसी के लिए युही निकाल देंगे क्या?
बिमल ने कहा बेटा आज बहुत बड़ी बात कह दिया तुमने! ये जिंदगी तो चांदनी के नाम ही थी, पर साथ उसने छोड़ दिया मैं कैसे छोड़ सकता हूं?
आखरी सांस तक तेरी मां के यादों के सहारे जीना है मुझे।
यश ने कहा हां, साॅरी पापा पर क्या ये प्यार समझौते का नहीं था?
बिमल ने कहा जो भी कहना है कह लो ,पर मैं सच्चा प्यार करता था करता हूं करता रहुगा।
तुम लोगों का प्यार देख कर हंसी आती है बात ,बात पर झगड़ा। है ना।।
यश ने कहा हां ठीक है पर क्या पापा कहां आप लोगो का जमाना कहां हमारा?
बिमल ने कहा , हां सही कहा।।
फिर यश ने कहा तो ठीक है आपको मां के बरसी के दिन आपकी और मां की पुरी कहानी सुनानी होगी। आखिर समझौते का प्यार था या कुछ और था।
विमल ने कहा हां ठीक है मैं जरूर सुनाऊंगा तुम्हारी मां भी चाहती है कि मैं तुम लोगों को जिंदगी से अवगत कराएं और वो सब बताऊं जो शायद तुम लोग कल्पना भी नहीं कर सकते हो।।

यश ने कहा यस,यस,यस। तभी रिचा का फोन आया और फिर यश ने कहा कि एक खास बात है पापा अपनीप्यार की अनोखी कहानी बताने के लिए तैयार हो गए अगले महीने मां की बरसी है।।
ये सब सुन कर रिचा ने कहा ये! तुम तो सचमुच दिवाने हो गए हो अपने पापा के।
यश ने हंसते हुए कहा, अरे बाबा अब तुमभी, चलो कल कालेज में मिलते हैं।
रिचा ने कहा हां, बार -बार लड़ाई तुम करो पर साॅरी मैं बोलूं डियर।

यश ने कहा तो! ओके वादा साॅरी जान।।


फिर खाना खाने के बाद दोनों रोज की तरह एक जोग् करने के बाद गुड नाईट बोल कर अपने -अपने कमरे में चलें गए।
बिमल रोज की तरह चांदनी की फोटो के पास जाकर गुड नाईट बोल कर सोने चले गए।
इस तरह रोजमर्रा की जिंदगी चलने लगी थी और फिर एक महीने बीत गए ।
आज बिमल और यश बहुत व्यस्त हैं क्योंकि आज यश की मां का वर्षी है पंडित जी भी आ चुके थे और फिर सारी तैयारियां शुरू हो गई थी।
आज किचन में दो लोगों खाना बनाने आएं थे। सारा पकवान चांदनी के पसंद का होना चाहिए ये बात बिमल बोल रहे थे और उनकी आंखों से पता चल रहा था कि वो रो भी रहे थे।
यश भी ट्रेडिशनल लुक में नजर आ रहा था कुर्ता पायजामा पहना था और पापा को भी धोती कुर्ता पहना दिया था।
अब सब मिलकर पुजा में बैठ गए हर साल की तरह इस बार भी बिमल के कुछ पुराने दोस्त, कुछ रिश्तेदार और कुछ आफिस के सहकर्मी और कुछ पड़ोसी आएं थे।
यश के कुमार खास दोस्त और फिर रिचा भी आई थी।
सब कुछ न कुछ लेकर आएं थे। जैसे मिठाईयां, गुलदस्ता, मालाएं,फल इत्यादि।
सब मौन हो कर पुजा में बैठ गए थे कुछ घंटों तक पुजा हुआ और फिर यज्ञ हुआ।

उसके बाद सभी ब्राह्मण भोजन करवाया गया जिसमें पंडित जी भी शामिल हो गए थे।
सब भोजन करके तृप्त हो गए।
सभी को हार्दिक धन्यवाद दिया बिमल ने कहा कि फिर आइएगा जरूर।
यश के दोस्त लोग ही रूकें थे क्योंकि आज यश के पापा कुछ कहानी सुनाने वाले थे।
बिमल ने कहा हां,यश । क्रमशः

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