Wo Ankahi Bate - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 10

शायद कभी न कभी दिल ने ऐसा सोचा था कि काश ये सब मेरे जन्मदिन में मेरे साथ हो।।
बिमल आंसु पोंछ कर आगे बढ़ कर अपने दोस्तों के गले लग गया और फिर सबको बैठने को कहा।।
यश ने कहा पापा आप।।
बिमल ने कहा यश आज तुने ये क्या दे दिया मुझे बेटा।।।
यश ने कहा अरे पापा ये तो होना ही था।
रिचा ने कहा अंकल ये आपके लिए।
बिमल ने कहा थैंक यू पर गिफ्ट्स क्यों?.
फिर सब ने आकर विमल को गिफ्ट्स दिया।
बिमल ने सबको थैंक यू कहा।
कुछ देर बाद यश केक लेकर आ गया।
बिमल ने केक काटा और फिर यश‌ और रिचा को खिलाया।
फिर रिचा ने केक के पीस काट कर सब लोग को paper plate पर परोस कर दे दिया।।
फिर सब लोग को डिनर सर्व कर दिया गया।।
बिमल ने सारा arrangment देख कर दंग रह गए और फिर बोलें मेरा बेटा अब बड़ा हो गया है।।
फिर सब दोस्त और आफिस के सहकर्मी बहुत ही अच्छे से खाना खाने के बाद रिचा ने सबको आइसक्रीम भी खिलाया।
कुछ देर बाद सब चले गए।
बिमल की आंखें भर आईं थीं और फिर वो भी अपने कमरे में जाकर बैठ गए।
और फिर बोले देखा चांदनी बेटा तुम्हारे ऊपर ही गया है।।
कुछ देर बाद यश और रिचा आ गए और फिर यश ने कहा पापा अब अपना वादा पूरा किजिए।।
बिमल ने कहा हां, हां मुझे याद है बच्चों,आओ मेरे पास बैठो।।
फिर यश और रिचा दोनों ही बिमल के पास बैठ गए।।
बिमल ने कहा हां, आज मैं तेरी मां और मेरी प्यार की अनोखी कहानी सुनाने जा रहा हुं।।
यश और रिचा एक दूसरे को देखने लगें।।
बिमल ने कहा हां उन दिनों की बात है जब मैं फाइनल ईयर में था और तुम्हारी मां सेकेंडियर की छात्रा थी।
तुम लोगों की तरह हमारी भी काफी अन बन होती थी।सच कहो तो पहली नजर में मैंने चांदनी को दिल दे दिया था।बस उसे बताना चाहता था पर वो समझ कर भी शायद समझना नहीं चाहती कि मैं क्या चाहता हूं।
मेरी फाइनल इयर खत्म होते ही मैं ने कम्पीटीटिव परिक्षा की तैयारी में जुट गया था और चांदनी से मेरी मुलाकात रोज होती थी बस देख कर मुस्कुरा दिया करती थी। मुझे समझ नहीं आता कि उसके दिल में क्या चल रहा है।
क्रमशः
पार्ट 5
पर मुझे तो उसके दिल का हाल लेना था और साथ ही अपना हाले दिल बताना था।
इसलिए मैं किसी भी तरह उसके घर का पता, फोन नंबर ये सब जानने की कोशिश में था।। उसका कोचिंग से लेकर घर तक का रास्ता मै पता कर चुका था।
यश ने कहा ओह माई गॉड पापा आप इतने होशियार!

बिमल ने कहा हां फिर।
रिचा ने कहा आगे क्या हुआ अंकल?
बिमल ने कहा आगे तो मुश्किलें बहुत थी पर हौसले बुलंद थे।
एक दिन मंदिर में चांदनी को देखा क्योंकि वो हर शनिवार को मंदिर जाती थी तो बस मैं भी जाने लगा।।

एक-दूसरे को हम देखते ही नहीं थे। और फिर एक दिन चांदनी ने मुझसे पूछा कि क्या हम एक दूसरे को जानते हैं?
बिमल ने कहा यहां पास में एक केफै है वहां चले।
फिर दोनों वहां गए।
चांदनी ने कहा अरे आप तो मेरे पीछे पड़ गए क्या बात है?
बिमल ने कहा हां,मेरा मतलब है कि जब से आपको देखा है तो बात करने का बड़ा मन हो रहा था। चालाकी से मैंने अपनी बात पलट दी।
चांदनी ने कहा अरे बाबा मुझे कोई policy नहीं चाहिए हां!!
बिमल ने हंसते हुए कहा क्या मैं आपको एजेंट लगता हुं?
चांदनी ने कहा और क्या?टाई लगा कर घुम रहे हैं।
फिर बिमल ने कहा सच मानिए मेरा ऐसा इरादा नहीं है। मैं तो दोस्ती करना चाहता हूं।।
चांदनी ने कहा अरे बाबा ये दोस्ती का चक्कर है!
बिमल ने कहा हां, एक सच्चा दोस्तचांदनी ने कहा यहां पर इतनी परेशानी है इनको दोस्ती करना है।।
बिमल ने कहा हां, क्या एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम नहीं आता है क्या परेशानी है बताईए ना?
चांदनी ने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है मुझे अब जाना चाहिए।।

चांदनी उठने लगी तो बिमल ने कहा अरे बाबा यहां पर एक कप चाय या कॉफी तो पीकर जाइए।
चांदनी ने कहा नहीं, मुझे जाना होगा।।
और फिर चांदनी चली गई।।
अब बिमल वहां पर बैठ कर सोचने लगा कि आखिर बात क्या है चांदनी को क्या परेशानी है?
फिर बिमल घर वापस आ गए।।
और फिर रात भर सोचता रहा कि आखिर क्यों चांदनी को मैं अपनी दिल की बात नहीं बता पाया।।जब भी उसकी आंखों में देखता हूं तो कुछ हो जाता है।


रिचा ने कहा सच अंकल ऐसा ही होता था क्या पर ये को कुछ नहीं होता है!
बिमल ने कहा हां बेटा ये सच है ऐसे ही था मैं जब जवान था।
यश ने कहा हां ठीक है आगे बताओं।।
बिमल ने कहा हां ठीक है उसके बाद हम रास्ते में मिलते और दोनों अजनबी की तरह चले जाते थे। मुझे चांदनी की सहेली हेमा से दोस्ती कर ली। और फिर पता चला कि चांदनी को एक नौकरी की तलाश है पर उसे नहीं मिल रहा है।
बिमल ने कहा ओह तो ये बात है! क्या तुम्हारी सहेली बैंक एकाउंट में काम करेंगी?

क्रमशः

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