Wo Ankahi Bate - S2 - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वो अनकही बातें - सेंकेड सीज़न मिसालें इश्क - भाग 1

दोस्तों आपने मेरी कहानी वो अनकही बातें को आप लोगों ने बहुत ही सराहा था।आप सबके लिए मैं एक बार फिर से लेकर आ गई हुं इसका सेकेंड सीजन पर कहानी का नाम कुछ हट कर है।।।
मिसाले इश्क ।।।।

कहानी के पात्र और घटना और चरित्र सबकुछ बदल गया है।
जिन्होंने ने अनकही बातें पढ़ा होगा वो अब मिसालें इश्क भी पढ़ेगा।
मुझे पुरा विश्वास है कि आप सबको मेरी कहानी पसंद आएगी।


अमेरिका में जाकर सबकुछ बदल चुका था उसका एक अतीत था जो शालू को पता चल गया था इसलिए शालु अब अलग होना चाहती थी।

पर वो अनकही बातें कही ना कही हमारे होंठों पर आकर भी कहीं खो जाती है।
आज बीस साल बीत चुके हैं। सबकुछ बदल गया है।
यश रफ एंड टफ लुक एक दम हीरो टाइप अपने घर का इकलौता हीरो। अपने पापा का यशू और फिर अपने प्रेमिका का ये।
कितना कुल नाम है, ना आजकल के बच्चे कहा ये हमारे समय के प्यार मोहब्बत को समझ पाएंगे? कहते हैं कि आप लोग तो बिना देखे किसी से भी समझौते की शादी कर लेते हो पर हम लोग ना ,बाबा ,ना!!
अब क्या करें ज़माना ही ऐसा है।

यश का घर----------
अब क्या हुआ पापा मेरा नाश्ता मिलेगा यहां नहीं? ये बात यश ने कहा अपने पापा से।।
मिस्टर बिमल कपूर एक समय के बहुत बड़े बिजनेसमैन! और आज देखो कैसे अपने बेटे के लिए हाथ जला कर टोस्ट विद ग्रीन चिली और आमलेट बना रहे हैं।!!

बिमल ने कहा ये लो मेरी जान!
यश ने कहा हां ,पापा पर क्यों हां ?आज भी हाथ जला कर छुपा रहें हो और कहोगे कि नहीं कुछ नहीं हुआ क्योंकि मां की कमी महसूस नहीं होने देना चाहते हैं आप मुझे।

बिमल ने कहा हां ठीक है चल जल्दी से नाश्ता खत्म कर और कालेज जा।
यश नाश्ता करने लगे और फिर बोला हां ,ठीक है पर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता पापा आप को इस उम्र में आकर मेरे लिए ये सब करते हुए।
और फिर आप आंटी को भी देर से बुलाते हैं।
बिमल ने कहा हां ,मुझे अच्छा है अपने हाथों से बेटे के लिए नाश्ता तैयार कर देना क्योंकि वो आंटी नमक डालेगी ज्यादा मगर।।
यश ने कहा हां ,पर प्यार नहीं डालेगी और फिर अगर मां होती तो बनाती है ना।
क्या पापा हर बार आप यह सब बोल देते हो?अच्छा अब चलता हूं मैं ,शाम को मिलता हुं नाश्ता कर लें पापा और हां ,आई लव यू।
तो देखा कि कितना प्यार एक बाप और बेटे में।
कालेज में पहुंच कर ही यश अपनी नई दोस्त को ढुढने लगा और फिर रिचा आ गई और फिर बोली अरे मेरे ये कैसा है।
यश ने कहा हां ठीक हुं पहला लेक्चर करना है रिचा ने कहा हां ,यार मेरे पापा तो कोई बिजनेस मैन नहीं है।
यश ने कहा ओह! अब फिर से मत शुरू करो। ओके !आज तुम मेरे घर चलो।
रिचा ने कहा नहीं यार अंकल गुस्सा करेंगे।
यश ने रिचा को अपनी तरफ खींचा और फिर बोला, अरे यार तुम भी ना पापा से मिल लो फिर बार -बार मिलना चाहोगी।
रिचा ने कहा हां ,ऐसे कैसे। ठीक है चलो फिर दोनों जाकर सोशो का क्लास करने के बाद कैंटिन पर बैठ कर घंटों बातें करते रहे और फिर तीन बजे तक दोनों कालेज से निकल गए।
यश अपनी गाड़ी में बैठ गए और फिर रिचा भी बैठ गई और निकल गए।
कुछ देर बाद ही ट्रैफिक। ओह दिल्ली की ट्रैफिक और गर्मी वाह।
कुछ देर बाद ही दोनों पहुंच गए रेवती अपार्टमेंट में।
यश ने गाड़ी बाहर लगा दिया और फिर दोनों अपने अपार्टमेंट में पहुंच
गए।

क्रमशः

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