फिर इसके बाद आपने क्या किया ? भौमिक ने प्रश्न किया।
फिर मैं क्या कर सकता था। मेरे उठने से पहले डॉक्टर ही वहां से उठकर चले गए। मैं पहले भी डॉक्टर से इतनी बार मिला था, पर इस तरह से उन्होंने कभी बात नहीं की थी। उस दिन उनका व्यवहार इतना अजीब था कि मैं कुछ बोल ही नहीं पाया। शाह ने कहा।
फिर आपकी और डॉक्टर की दोबारा मुलाकात हुई ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।
नहीं क्योंकि मैंने भी डॉक्टर से संपर्क करने की कोशिश नहीं की और ना ही डॉक्टर ने। पर एक बार आरती भाभी का मेरे पास कॉल जरूर आया था। उन्होंने कॉल पर कहा कि मैं जितनी जल्दी हो सके उनके घर पर आ जाउं। शाह ने कहा।
तो आप डॉक्टर के घर गए थे ? इस बार परमार ने प्रश्न किया।
हां, चूंकि भाभी का कॉल था और वो कॉल पर काफी घबराई हुई लग रही थी, इसलिए मैं उनके घर गया। मैं जैसे ही उनके घर गया भाभी ने बताया कि डॉक्टर सक्सेना करीब 3 दिन से घर नहीं आए हैं। मैंने उनसे पूछा कि कहां गए हैं तो भाभी का कहना था कि वो तो अब घर में कोई बात ही नहीं करते हैं। कभी पूरा दिन तो कभी पूरा घर से बाहर ही रहते हैं। घर में आते भी है तो खुद को कमरे में बंद कर लेते हैं।
तीन पहले भी सुबह के समय घर पर आए थे, आते ही कमरे में चले गए। फिर दोपहर में कमरे से बाहर निकले। खाना रखा उन्होंने थोड़ा खाना खाया और फिर बाहर चले गए। इसके बाद से वे घर पर ही नहीं आए हैं। मैं भाभी डॉक्टर के बारे में बात कर रहे थे कि अचानक डॉक्टर वहां आ गए। वे मुझे देखकर बोले- तुम... तुम यहां क्या कर रहे हो ? मैंने उनसे कहा- डॉक्टर तुम तीन दिनों से घर नहीं आए थे, भाभी को चिंता हो रही थी, इसलिए उन्होंने मुझे यहां बुलाया था।
डॉक्टर ने पहले आरती भाभी को घूरा, फिर मुझे देखते हुए बोले- कुछ काम था, इसलिए घर नहीं आया। अब आ गया हूं, तुम जा सकते हो। इतना कहने के बाद वो फिर अपने कमरे में चले गए और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। फिर आरती भाभी ने कहा- देखा आपने। बस यही हाल है आजकल। पता नहीं क्या करते हैं, कहां जाते हैं? कुछ पता नही। कभी पूछो तो कोई जवाब भी नहीं देते हैं।
फिर मैंने भाभी को समझाते हुए कहा- भाभी आप चिंता मत करो, अभी शायद उसका मूढ खराब है। मैं जल्द ही उससे बात करता हूं। तब आप अपना और बच्चों का ध्यान रखना। इतना कहने के बाद मैं वहां से चला गया। शाह ने अपनी बात खत्म की।
डॉक्टर तीन दिनों तक कहां थे, कुछ पता चला ? भौमिक ने प्रश्न किया।
नहीं उसके बाद हमारी लंबे समय तक ना तो बात हुई और ना ही मुलाकात हुई। फिर करीब दो साल बीत जाने के बाद डॉक्टर का मेरे पास कॉल आया। उन्होंने एक पब में मिलने के लिए बुलाया। मैं समय पर पब में पहुंच गया, डॉक्टर वहां पहले से मौजूद था। मैंने जाते ही प्रश्न किया- ओह तो डॉक्टर तुम्हें हमारी याद आ ही गई। दो सालों में तुम हमें बिल्कुल भुला ही चुके थे।
डॉक्टर ने कहा- नहीं शाह भूला नहीं था, कुछ जरूरी काम कर रहा था, इसलिए समय नहीं निकाल पा रहा था। अब मेरा वो काम काफी हर तक पूरा हो गया है। इसलिए अब समय मिला तो तुम्हें बुला लिया। वैसे भी लंदन में तुम्हारे सिवाय मेरा कोई दोस्त भी नहीं है। आज तुम्हारी याद आ गई तो कॉल कर दिया। देखों तुम भी एक दोस्त की तरह यहां आ गए।
फिर मैंने कहा- चलो कोई बात तुमने याद किया वो ही बहुत हैं। वैसे तुम कौन से काम में इतना बिजी हो गए थे ना परिवार को याद कर रहे थे और ना ही अपने दोस्त को ?
वो भी बता दूंगा, पर उससे पहले मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करना है। पर याद रहे कि जब तक मैं ना कहूं तुम ये बात किसी को भी नहीं बताओगे। किसी को भी नहीं का मतलब है कि किसी को भी नहीं। तुम अपनी पत्नी को भी यह बात नहीं बताओगे। डॉक्टर ने मुझसे कहा।
आखिर डॉक्टर सक्सेना शाह को कौन सी जरूरी बात बताने वाला है ? क्या इस बात के कारण उसकी और उसके परिवार की हत्या हुई है ? डॉक्टर सक्सेना की बात सुनने के बाद शाह का रिएक्शन क्या होगा ? आखिर उन तीन दिनों में डॉक्टर सक्सेना कहां था और क्या कर रहा था ? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।