गलती : द मिस्टेक  भाग 36 prashant sharma ashk द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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गलती : द मिस्टेक  भाग 36

हां बताओ ऐसी क्या बात है ? मैं अपनी प्रेक्टिस फिर से शुरू करने वाला हूं। डॉक्टर सक्सेना ने मुझे यह बात बताई तो एक बार फिर से चौंक गया था। मैंने उनसे कहा- यह तो अच्छी बात है, पर तुमने प्रेक्टिस बंद क्यों कर दी थी ? मैंने डॉक्टर से प्रश्न किया। फिर उन्होंने जो जवाब दिया वो मेरे लिए ऐसा था, जैसे किसी ने मेरे दिमाग पर हथोड़ा मार दिया हो।

ऐसी क्या बात बताई थी डॉक्टर ने आपको ? भौमिक ने शाह से प्रश्न किया।

उन्होंने बताया कि वे प्रेक्टिस तो शुरू कर रहे हैं, परंतु इस बार वे नए तरीकों से मरीजों को ठीक करेंगे। शाह ने कहा।

हार्ट सर्जन नए तरीकों से मरीजों को ठीक करेंगे ? ये बात कुछ समझ नहीं आई। भौमिक ने शंका जाहिर करते हुए कहा।

उस वक्त तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। पर जब डॉक्टर ने पूरी बताई तो मेरे तो होश ही उड़ गए थे। मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा संभव है। हालांकि मैंने उसे समझाने की कोशिश भी की पर उसका सनकीपन को कैसे दूर करता मैं। मैंने फिर सिफ्र चुप रहना ही उचित समझा। शाह ने कहा।

तो ऐसी क्या बताई थी उन्होंने ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।

सर डॉक्टर का कहना था कि वो अब मरीजों को साइकोलॉजी के माध्यम से ठीक करेंगे। शाह ने कहा।

हार्ट के पेशेंट को साइकोलॉजी से ठीक करेंगे ? ये कैसे संभव हो सकता है ? यह मेडिकल साइंस में संभव ही नहीं है। भौमिक ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा। परमार भी शाह की बात को सुनकर चौंक गया था।

बिल्कुल यही रिएक्शन मेरा भी था सर, जब डॉक्टर ने मुझे यह बात बताई थी। डॉक्टर का कहना था कि वे मरीज के दिमाग को किसी भी बीमारी के प्रति इतना स्ट््रॉंग बना देंगे कि कोई भी बीमारी किसी मरीज को अधिक नुकसान ना पहुंचा सके। डॉक्टर का कहना था कि हर बीमारी किसी ना किसी तरह से साइकोलॉजिक होती है। आपको लगता है कि बुखार है, अगर में आपके दिमाग से यह बात हटा दूं कि आपको बुखार है तो आपको बुखार महसूस ही नहीं होगा। शाह ने कहा।

बुखार अलग बीमारी है और हार्ट की बीमारी में मरीज की जान जाने का खतरा रहता है। वैसे तो किसी भी बीमारी को हल्के में लेना स्वास्थ्य के साथ सरासर खिलवाड़ हैं और वे हार्ट के मरीजों के साथ ऐसा करने जा रहे थे। यह डॉक्टर तो वाकई सनकी ही था। भौमिक ने कहा।

ऐसी ही बातें मेरे दिमाग में भी चल रही थी। मैंने डॉक्टर को समझाया कि ऐसा नहीं होता है डॉक्टर। दिल का मामला अलग होता है, दिल में ब्लॉकेज होते हैं, हार्ट अटैक, हार्ट फेल होना ये सामान्य बीमारियों में नहीं आते हैं। इन बीमारियों का प्रॉपर इलाज ना हो तो मरीज की जान को खतरा हो सकता है। शाह ने कहा।

हां, बिल्कुल सही बात है, किसी मरीज को हार्ट अटैक आया हो और आप उसे कहें कि यह तो बस एक दर्द है और इलाज ना मिले तो मरीज की मौत हो सकती है। इस बार परमार ने अपनी राय रखते हुए अपनी बात कही।

हां ऐसे मामलों में डॉक्टर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरत सकता है और अगर कोई भी डॉक्टर ऐसा करता है तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा सकता है। भौमिक ने कहा।

मैंने डॉक्टर को काफी समझाने की कोशिश की, परंतु डॉक्टर का कहना था कि वो लदन में रहकर इसी बात पर शोध कर रहा है। उसे काफी हद तक सफलता भी हाथ लग चुकी है और वो अपने इस काम को अंजाम देकर ही रहेगा। शाह ने कहा।

कैसा शोध ? कैसी सफलता हाथ लगी थी डॉक्टर को ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।

यह तो उसने मुझे बताया नहीं था, पर उसने ये जरूर कहा था कि वो दुनिया का ऐसा पहला हार्ट सर्जन बनेगा जो मरीज को होश में रखकर उसके दिल का ऑपरेशन करेगा और फिर उसे पूरी तरह से ठीक भी करेगा। उसकी साइकोलॉजी इतनी अधिक काम आएगी कि मरीज कुछ ही दिनों में पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। डॉक्टर ने मुझे कहा था कि वो एक दिन ऐसा करके ही रहेगा। शाह ने कहा।

आखिर क्या करना चाह रहा था डॉक्टर अविनाश सक्सेना ? साइकोलॉजी से किसी हार्ट पेंशेट का इलाज कैसे कर सकता था वो ? क्या उसके इसी सनकीपन की वजह से उसकी हत्या हुई थी ? आखिर इन बातों का कातिल से क्या लेना-देना था ? डॉक्टर के इसी सनकीपन के कारण कही शाह ने ही तो डॉक्टर की हत्या नहीं कर दी थी ? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।