Galatee - The Mistake - 34 books and stories free download online pdf in Hindi

गलती : द मिस्टेक भाग 34

ऐसी क्या बात कही थी डॉक्टर ने ? भौमिक ने शाह से सवाल किया।

उन्होंने कहा कि वे अब प्रेक्टिस नहीं करेंगे। बल्कि साइकोलॉजी की पढ़ाई करेंगे। इसलिए ही वे लंदन आए हैं। वे साइकोलॉजी के माध्यम से अपने मरीजों को ठीक करने का प्रयास करेंगे। शाह ने कहा।

साइकोलॉजी से मरीजों को ठीक करेंगे मतलब ? भौमिक ने फिर से प्रश्न किया।

उस वक्त तो मुझे भी कुछ समझ नहीं आया था। क्योंकि वो उस दिन बस इतनी ही बात कह कर वहां से चले गए थे। फिर मैंने भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सोचा कि ये उनकी लाइफ है वे क्या कर रहे हैं, क्यों कर रहे हैं ? ये उनका खुद का निर्णय है। पर एक बार मैं उनके घर गया था, क्योंकि डॉक्टर से काफी समय से मुलाकात नहीं हो पाई थी। हालांकि मुलाकात तो उस दिन भी नहीं हो पाई थी, परंतु मेरी उनकी पत्नी यानि कि आरती भाभी से मुलाकात हुई थी। उन्होंने मुझे जो कुछ बताया वो मेरे लिए काफी शॉकिंग था। शाह ने कहा।

ऐसा क्या बताया था डॉक्टर की पत्नी ने कि आपको शॉक लगा ? इस बार परमार ने प्रश्न किया।

उन्होंने मुझे बताया कि डॉक्टर आजकल बहुत अजीब से हो गए हैं। उनका व्यवहार पूरी तरह से बदल गया है। पहले तो वे परिवार को समय दिया करते थे, परंतु आजकल परिवार को बिल्कुल भी समय नहीं देते हैं। सुबह उठकर जल्दी चले जाते हैं। शाम को आते हैं और फिर अपने कमरे में खुद को बंद कर लेते हैं। खाना भी कभी-कभी ही खाते हैं। कुछ पूछो तो कहते हैं उनके काम में दखल मत दो। शाह ने अपनी बात कही।

डॉक्टर के व्यवहार में इस बदलाव का कारण क्या था ? भौमिक ने प्रश्न किया।

पता नहीं। वे इस तरह का व्यवहार क्यों कर रहे थे ये बात ना तो मुझे समझ आ रही थी और ना ही आरती भाभी को। उस दिन मैंने डॉक्टर का उनके घर पर कुछ देर इंतजार भी किया, पर मेरी उनसे मुलाकात ही नहीं हो पाई। इस बात को करीब एक महीना बीत गया था। इस एक महीने में मैंने डॉक्टर से फोन पर भी बात करना चाही, पर उन्होंने मेरा कॉल भी रिसीव नहीं किया। ऐसे ही एक साल बीत गया। शाह ने कहा।

तो क्या एक साल बाद आपकी डॉक्टर से मुलाकात हुई थी ? भौमिक ने प्रश्न किया।

हां करीब एक साल बाद वे मुझे एक दिन एक दुकान पर नजर आए। वे वहां से सेंडविच ले रहे थे। जैसे मेरी नजर उन पर पड़ी मैं उनके पास पहुंच गया। मैंने उनसे हैलो कहा तो वे मुझे ऐसे देख रहे थे, जैसे वे मुझे पहचान ही नहीं पा रहे थे। आखिरकार मुझे अपना परिचय देना पड़ा तो फिर वे बोले-

अरे शाह। कैसे हो तुम। भई लंदन में ही रहते हो और हमसे कोई मुलाकात भी नहीं करते हो। मुझे उनकी यह बात बहुत अजीब लगी। मैंने उनसे कहा- डॉक्टर साहब मैंने आपको कई बार कॉल किए थे, मैं आपके घर भी गया था, परंतु आप से मुलाकात ही नहीं हो पाई। वैसे आप आजकल है कहां ? कभी मिलते ही नहीं है। फिर अचानक वो मुझसे बोले- मेरे पास फालतु बातों के लिए समय नहीं है। वैसे भी तुमसे मिलकर मुझे क्या फायदा होने वाला है। यूं आओगे और मेरा वक्त बर्बाद करोगे।

मैंने उनसे कहा- अरे डॉक्टर एक साल से भी अधिक समय से तुम लंदन में रह रहे हो, कम से कम अपने दोस्त के लिए कुछ समय तो निकाल ही सकते हैं। मैं एक बार घर गया था तो आरती भाभी भी कह रही थी कि आजकल आप परिवार को भी समय नहीं दे रहे हो। तुम ठीक तो हो ना ? अगर कोई प्रॉब्लम हो तो मुझे बताओ मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।

मेरी बात सुनने के बाद तो डॉक्टर का पारा चढ़ गया और मुझसे कहने लगे तुम क्या मेरी मदद करोगे, मैं अपनी प्रॉब्लम को दूर करने में सक्षम हूं। तुम बस मेरा वक्त बर्बाद कर सकते हो, जैसे अभी कर रहे हो। जाओ जाकर अपना काम करो, मेरे पास बर्बाद करने के लिए वक्त होगा तो मैं तुम्हें याद कर लूंंगा। शाह अपनी बात कहता रहा और भौमिक और परमार उसे बड़े ध्यान से सुनते रहे।

आखिर डॉक्टर सक्सेना के इस तरह के व्यवहार का क्या कारण था ? क्या डॉक्टर किसी परेशानी में था ? क्या लंदन में ही डॉक्टर और उसके परिवार की हत्या का राज छिपा था? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें व फॉलो करना ना भूले।

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