चारों तरफ से खूबसूरत पर्वत से और फल फूल की सुंदर वदियो से घिरा हुआ था बलवंत नाविक का खूबसूरत गांव।
बलवान गांव कि नदी में अपनी नौका से यात्रियों को नदी के एक किनारे से दूसरी किनारे पर छोड़ता था।
उस गांव में लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने का बहाना ढूंढते थे, क्योंकि वह सुंदर गांव आंखों को तो आनंद और संतुष्टि देता ही था इसके साथ उस गांव में रहने वाले शरीर से भी बहुत तंदुरुस्त थे।
बलवान का जीने का एक ही मकसद था, अपनी इकलौती बेटी दामिनी को पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी में देखने का इसके लिए वह अपनी नाव से यात्रियों को नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे पर छोड़ने के अपने काम में दिन-रात नहीं देखता था और जो भी पैसा कमाता था, उसमें से घर खर्च के पैसे निकाल कर बाकी अपनी बेटी दामिनी की परवरिश और पढ़ाई लिखाई में खर्च कर देता था।
बलवान अपनी पत्नी के लिए अच्छा पति और बेटी के लिए अच्छा पिता था, लेकिन वह गांव के लोगों के घर आने वाले मेहमानों के लिए राक्षस था, क्योंकि वह अपनी नाव के किराए में एक पैसे की भी कमी बर्दाश्त नहीं कर पता था और गांव के लोगों के घर आने वाले मेहमानों से बदतमीजी करता था और सुंदर महिलाओं युवतियों के साथ नदी में चप्पू चलाते हुए मौका देखकर छेड़खानी भी करता था।
गांव के लोगों के घर आने वाले बहुत से मेहमानों ने इसकी शिकायत अपने रिश्तेदारों से की थी, लेकिन गांव में उससे ज्यादा होशियार नाविक ना होने की वजह से गांव के लोग एकजुट होकर उसका विरोध करने से डरते थे और दूसरा गांव कि
उफान खाती नदी में किसी दूसरे नाविक की नाव चलाने की हिम्मत नहीं होती थी, इन सब बातों का फायदा उठाकर बलवान गांव में आने वाले अतिथियों के साथ दुर्व्यवहार करता था।
बलवान की पुत्री दामिनी जब बलवान की उसे पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी में देखने की इच्छा पूरी कर देती है, तो बलवान खुशी के साथ-साथ घमंडी भी हो जाता है, क्योंकि उसके गांव के साथ-साथ आसपास के गांव में भी कोई लड़की पुलिस में नौकरी नहीं करती थी।
एक दिन बलवान की बेटी दामिनी के पास उसके गांव का केस आता है गांव की एक विधवा महिला दामिनी के पास अपनी रिपोर्ट लिखवाने आती है कि मेरे छोटे भाई भाभी कल मुझसे मिलने मेरे पास गांव आ रहे थे, लेकिन मेरे पास पहुंचने की जगह रास्ते से ही गायब हो गए हैं, यह बात मेरे बड़े भाई भाभी ने मुझे फोन करके बताई कि छोटा भाई भाभी तुम्हारे पास शाम तक कैसे नहीं पहुंचे जबकि वह तो सुबह-सुबह ही तुम्हारे पास आने के लिए घर से निकल गए थे।
गांव की उस विधवा महिला कि रिपोर्ट लिखने के बाद दामिनी को थाने का एक कांस्टेबल आकर बताता है कि "मैडम आपके गांव की नदी से हमें एक युवक की लाश मिली है।" और जब दामिनी पुलिस इंस्पेक्टर उस युवक की लाश की शिनाकत अपने गांव की उस विधवा महिला से करवाती है, तो वह विधवा महिला अपने छोटे भाई को देखकर छाती पीट पीट पर तेज तेज रोने लगती है और पूछती है "मेरा भाई तो मिल गया है, लेकिन मेरी भाभी कहां है।"
एक रात दामिनी पुलिस इंस्पेक्टर पुलिस स्टेशन से छुट्टी होने के बाद अपने घर आ रही थी, तो उसे अपना पिता बलवान रात को नदी में किसी समान के साथ नाव से अपने घर आने की जगह नदी से जंगल कि तरफ जाता हुआ दिखाई देता है।
और नौका नदी में तैरती हुई जब दामिनी के करीब आती है तो दामिनी अपने पिता को पहचान कर नौका रोकने के लिए कहती है।
अपनी बेटी पुलिस इंस्पेक्टर दामिनी को देखकर बलवान घबरा जाता है और नौका किनारे पर लाने की जगह नदी के बीचों-बीच ले जाने लगता है, जब नाव में रखे बोरे से एक महिला के चीखने की आवाज आती है, तो दामिनी नदी में कूद कर तैरती हुई अपने पिता की नाव का किनारा पड़कर उसमें उछलकर बैठ जाती है और दामिनी पुलिस इंस्पेक्टर जब बोरी को खोलकर देखती है तो उस बोरे में एक महिला थी।
वह महिला दामिनी को देखकर चिल्ला चिल्ला कर कहती है "मैडम इस राक्षस नाविक ने मेरी इज्जत लूटने के बाद मेरी आंखों के सामने मेरे पति की हत्या की है और मुझे कैद करके रोज मेरे साथ बलात्कार करता है, मैं आपके गांव की विधवा महिला शांति की छोटी भाभी हूं।"
दामिनी इतना सुनते ही अपने पिता से कहती है "मैं बचपन से सुनती आ रही हूं कि आप गांव के लोगों के घर आने वाले मेहमानों की इज्जत नहीं करते हो और उनके साथ बदसलूकी करते हो आपको अतिथि देवो भव का अर्थ नहीं पता इसलिए इस घिनौने अपराध के लिए कानून नहीं आपकी बेटी आपको सजा देगी, क्योंकि इस अपराध के लिए मैं आपके साथ अपने आप को भी सजा देना चाहती हूं, मुझे आपकी हरकतों के बारे में जानकारी होने के बाद मैंने आपको अपना समझ कर आपको छूट दी और उस महिला की आंखों के सामने अपने पिता के सीने में लगातार पूरी छ गोलियां मार देती है।
बलवान की उसी समय अपनी बेटी के सामने तड़प तड़प कर मृत्यु हो जाती है, और दामिनी अपने को कानून के हवाले कर देती है।