ऑफ्टर लव - 15 Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऑफ्टर लव - 15

अर्जुन विवेक को कॉल करता है,और उससे त्रिशा के बारे में पुछता है"विवेक वो मैंने जिस लड़की को कहा था फिल्म के लिए क्या हुआ उसका क्या वो मान गई?"....




"नही अभी तक तो उसका कोई भी रिस्पॉन्स नहीं आया हैं,पर मैं थोड़ी देर में उससे बात करके पुछता हू।"विवेक के इतना कहते ही अर्जुन विवेक से कहता है"देखो विवेक चाहें कुछ भी हो इस फिल्म में वही चहिए समझें?"



तभी विवेक कहता है"पर एक प्रॉब्लम है,शायद वो इस फिल्म को करने में इंटरेस्टेड है बट इस फिल्म में कुछ टर्म एंड कंडीशन ऐसे है जिस वजह से उसने टाइम लिया है ।"विवेक के इतना कहते ही अर्जुन चौकते हुए कहता है"क्या,?कैसा कंडीशन?"...



विवेक अर्जुन को सारी बात बताता है, जिसे सुनने के बाद अर्जुन उसपर गुस्सा करना तो चाहता है पर अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहता है"विवेक तो ये बात मुझे अब बता रहे हो देखो चाहे जो भी हो वो जैसा चाहती है वैसा करो समझे और ये जो भी तुम्हारे टर्म एंड कंडीशन है उसे हटा दो क्युकी त्रिशा ऐसा कुछ नही करने वाली ।"



अर्जुन के इतना कहते ही विवेक उसके हा में हां भरते हुए कहता है"ठीक है मैं आज ही ये सारी चीजे फाइनल कर लेता हु।"
इतना कह कर विवेक कॉल रख देता है।




त्रिशा नहाकर अपने बालों को बाहर बालकनी में खड़ी हो कर साफ कर रही होती है,सामने जब नीचे देखती है तो बहुत से लोगों की भीड़ लगी हुई होती है जो पीने का पानी भरने के लिए लंबी लाइन में खड़े हुए होते है।उसी भीड़ में मधु होती है।




तभी अचानक से एक लड़का जिसका नाम रघु होता है मधु के पीछे आकर खड़ा हो जाता है,मधु सामने के तरफ देख रही होती है पर वो लड़का बस मधु को ही देखे जा रहा होता है, ये सब त्रिशा उपर से देख रही होती है। तभी अचानक से एक और लड़का आकार रघु को पिछे से धक्का देता है,जिस वजह से वो मधु से जा टकराता है।



मधु गुस्से से पीछे मुड़ती है और रघु पर चीखते हुए कहती है"अबे ओए दिखाई नही देता क्या तुम जैसे लड़को को तो बस बहाना चाहिए लडकियों से टकराने का अब देख क्या रहे हो चलो पिछे हो।"..



मधु को इतने गुस्से में देख कर रघु की बोलती ही बंद हो गई थी , रघु चुप चाप उस लाइन से बाहर निकल कर साइड में खड़ा हो जाता है।और धीरे से अपने दोस्त से कहता है ,"क्या यार देखने में तो इतनी मासूम सी है पर जब बोलती है यार कसम से हिटलर दीदी लगती है।"...



तभी उसका दोस्त बोलता है"कौन,,वो अपनी जी टीवी वाली हिटलर दीदी क्या?"तभी रेघू कहता है"अरे नही रे,,पर तू बस वही समझले उससे तो कम भी नही हैं।पर भाई जो भी कह ले तू है बहुत प्यारी और एक न एक दिन यही बनेगी तुम्हारी भाभी।"...



रघु के इतना कहते ही उसका दोस्त कहता है"वाह गुरु तुम तो लय मिलाने लगे हो बे,,,प्यारी ,,भाभी,,, हम्मम,,,लगे रहो, लगे रहो"रघु और उसके दोस्त के बीच ये सब बातें चल हो रही होती है की मधु अपनी नजरे तिरछी करके रघु की ओर देखती है पर रघु कही और ही देख री होता है।


तभी उसका दोस्त कहता है"अबे वो देख भाभी तेरे को घूर रही है,उसके इतना कहते ही रघु मधु के तरफ देखता है,पर जैसे ही मधु की ओर देखता है मधु वापस से सामने की ओर देखने लगती है।


रघु का दोस्त बोलता है"ओह गुरु यार तुम देर कर दिए बे भाभी कब से देख रही थी,खैर अब क्या कर सकते है। रघु एक दम से शांत हो कर वही खड़ा रहता है और मधु के तरफ एक टक देखे ही जा रहा होता है।पर देखते ही देखते मधु पानी भर कर वहा से जाने लगी पर पिछे मुड़ कर रघु को देखा तक नहीं।


"वोह,,, बेचारे मेरे भाई को एक दफा देखा तक नहीं चलो भाई abb kal इसी टाइम फिर से मिलेंगे और फिर से देखेंगे,,"उसके इतना कहते ही रघु बोलता है"का मतलब देखेंगे, अबे वो तुम्हारी भाभी है ज्यादा लबर लबर मत बोला करो समझें।"अरे मेरा मतलब आप ही देखिएगा हम तो बस सपोर्ट करने आते है।"..


तभी रघु कहता है"हां तो सपोर्ट ही किया करो बस और कल से सिर्फ हम देखेंगे मधु को तुम ना अपनी नजरे पीछे घुमा लेना,"रघु का दोस्त मुंह बनाते हुए कहता है"हां तब एक काम ही नही करेंगे कल से अकेले ही तुम चले आना देखने हम का करेंगे आके।"...


रघु उसके इतना कहते ही हस्ते हुए कहता है"हां,, हां,, अबे हम मजा कर रहे थे तुम तो सीरियस ही हो गए बे "ना ना तुम भी देखना आखिर भाभी है तुम्हारी ।"....


उसका दोस्त मुस्कुराते हुए कहता है"हां तब ठीक है,पर तुम भूलो मत हमारे बिहार में का होता है होली आने पर तुम हमको रोकोगे नही"अपने गाल पर हाथ रख कर कहता है, मधु भाभी को यहां रंग लगाएंगे,,,फिर कमर पर हाथ रख कर कहता है"यहां भी रंग लगाएंगे" फिर साइन पर हाथ रुख कर जैसे ही कहने वाला होता है,की रघु उसे रोकते हुए कहता है"अबे अब बस भी करो रे अभी तक तो हम भी वहा नही पहुंचे और तुम तो मेट्रो से भी फास्ट निकल रहे हो अब चलो ज्यादा यहां वहा मत करो समझें।"..



इधर मधु जैसे ही पानी लेकर आती है त्रिशा उससे कहती है"मधु मैं हर बार देखती हु,वो रघु तुझे घूरता रहता है,मुझे तो ऐसा लगता है,वो तुझे कही प्यार व्यार तो नही करता है।"


मधु त्रिशा की बात सुनकर पानी को नीचे रखते हुए कहती है"नही तो,, वो एक नंबर का आवारा है,"उसके इतना कहते ही त्रिशा हंसते हुए कहती है"हा पर इसके हरकतों से ये लगता है पर मैं उसे देखती हु वो आज तक ऐसा कुछ नही किया जिससे ये लगे की वो उस टाइप का लड़का है।"..


त्रिशा की बात सुनकर मधु भी उस के बातों से सहमत होते हुए कहती है"हां पर यार पब्लिकली वो ऐसे ऐसे काम करता है कि अगर मुझे वो पसंद भी हो तो भी मैं उससे ना कही की वो मुझे पसंद है।"...

उसके इतना कहते ही त्रिशा कहती है"ओके एक बार उसे मिलकर पूछ तो ले की आफ ऐसे क्यों करता है अगर प्यार है तो बता दो पर ऐसे टपोरी की तरह मुझे हर कही तंग मत किया करो सिंपल sa स्क्रिप्ट है जा के उसे कह देना बाकि उपर वाला देखेंगे और कुछ तुम भी संभाल लेना।"ये कहते हुए दोनों हंसने लगती है।

To be continued