ऑफ्टर लव - 14 Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऑफ्टर लव - 14

अमीषा अपने कपड़े ठीक करते हुए कार से बाहर आती है,उसके बाल बिखरे हुए होते है,और उसके चेहरे का रंग पहले से अलग दिख रहा होता है। अर्जुन एक सुकून की सांस लेते हुए कहता है "हाय,,, जो सुकून तुम्हारे साथ मिला मैने आज तक किसी और के साथ ऐसा महसूस नही किया सच में दिल खुश हो गया। अमीषा हस्ते हुए कहती है"वो इसी लिए क्युकी ये मेरा फर्स्ट टाइम था और न्यू चीज हमेशा अच्छी लगती है as compared to पुरानी चीजों से।"




इस पर अर्जुन हस्ते हुए कहता है"सही कहा,,hehe!! फिर अब क्या इरादा हैं,फिर कभी ये दिन आएगा या बस आज ही।"अमीषा अर्जुन को घूरती है और कहती है"देखो अर्जुन जो हमारे बीच हुआ किसी और को बस पता ना चले ये सारी बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए।"...




तभी अर्जुन स्माइल करते हुए कहता है"ओहो,,जैसी आप कहे मिस अमीषा जी" अमीषा अर्जुन के इतना कहते ही उसे बाय बोल कर वहा से चली जाती है।




वही दूसरी तरफ अभय का इलाज चल रहा होता है और उसके जस्ट बगल में त्रिशा खड़ी होती है। डॉक्टर अभय को बैंडेज पट्टी कर रहे होते है जिससे अभय की चीख निकल जाती है"आह,, आ"....



अभय की चीख सुन कर त्रिशा अपनी आँखें कस कर बंद कर लेती है।बैंडेज पट्टी करने के बाद डॉक्टर कहता है"don't warry सब नॉर्मल है ज्यादा चोट सिर पर नहीं आई है!



तभी अभय कहता है"अरे डॉक्टर साहब सिर पर ज्यादा चोट तब न आएगी जब सिर पर लगा होगा सालों ने मेरे पीठ पर मारा है अभी तक दर्द से पूरा बदन फट रहा है।"





अभय के बोलने के तरीके से त्रिशा की हसी छूट जाती है।उसे हसते हुए देख कर अभय स्माइल करता है।तभी डॉक्टर कहता है,"आप थोड़ी देर बाद जा सकते हैं कुछ ख़ास चोट नही हैं बस थोड़ा खून ज्यादा निकल गया था।"





इतना कह कर डॉक्टर वहा से चला जाता है, डॉक्टर के जाने के बाद त्रिशा अभय से कहती है"मैं तब तक बाहर बैठती हू अगर कोई काम हो तो आवाज दे देना ।"इतना कह कर त्रिशा बाहर जाने हिनवाली होती है की तभी अभय उसका हाथ पकड़ते हुए कहता है"अजीब हो यार मैं हू की तुम्हे उन गुंडों से बचाया और तुम हो की ,,,खैर छोड़ो मुझे तो लगा तुम्हे मुझसे प्यार हो जाएगा क्युकी फिल्मों में मैं जब भी हीरोइन को बचाता हू तो उनको मुझसे प्यार हो जाता है तो..."




अभय के इतना कहते ही त्रिशा हंसते हुए कहती है"अच्छा तो तुम्हे लगा मुझे भी तुमसे प्यार हो जाएगा?"...अभय मुंह थोड़ा लूज करते हुए कहता है।
अभय-"हा शायद,, क्यों तुम्हे नहीं हुआ क्या?"
त्रिशा- क्या ??
अभय - मूझसे प्यार




अभय के ये कहते ही त्रिशा अभय को समझाते हुए कहती है"अरे ऐसी कोई बात नही है वो कहानी होती है जिसे हमें 1 से 2घंटों के अंदर सब दिखाना होता है पर ये असल जिंदगी है तो इस में ये सब मुझे नहीं लगता और जहा तक तुम्हारा सवाल है तो सच बताऊं मुझे ऐसा कुछ होता होगा ये नही लगता।"



अभय त्रिशा की बात सुनकर बस उसे घूरे ही जा रहा होता है,तभी त्रिशा इशारों में ही उससे पूछती है"क्या हुआ?ऐसे क्यों देख रहे हो?"...


अभय कुछ नही बोलता है ,बस न में सिर हिला कर अपने आंख पर हाथ रख लेता है,त्रिशा अभय को थोड़ी देर के लिए अकेले छोड़ कर वहा से बाहर चली जाती है।जैसे ही अभय अपने आंखों से हाथ हटाता है,वहा त्रिशा नही होती है,अभय हैरान हो जाता है और सोचने लगता है"कही त्रिशा अकेली घर तो नहीं चली गई।


वो अपने जगह से। उठ कर बाहर जाता है, तो बाहर त्रिशा नही दिखा देती हैं,तभी अभय सोचता है"यार रात भी हो गई है अगर जाना ही था तो मुझे बता तो देती कम से कम इतना सोच ही रहा होता है की पास से ही एक नर्स जा रही होती है,अभय उससे पूछता है"एक्सक्यूज मि,,,,क्या आपने त्रिशा को देखा है जो मेरे साथ थी?"


नर्स कुछ देर सोचती है फिर अभय से कहती है"वो तो थोड़ी देर पहले ही यह से बाहर गई है। शायद चली गई होगी "नर्स के इतना कहते ही अभय वहा से बाहर के तरफ जाता है।


बाहर चारो तरफ़ देखता है पर त्रिशा कही पर भी नहीं दिखाई देती है । अभय थोड़ी दूर जाके देखता है तो सामने हॉस्पिटल के बाहर एक गार्डन होता है उसी गार्डन में त्रिशा खड़े हो कर आसमान के तरफ़ देख रही होती है।

उसे वहा देख कर अभय को थोड़ा बेटर फील होता है,वो उसके पास जाता है और उसे आसमान में देखते हुए देखता है।अचानक से अभय के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।और वो धीरे धीरे त्रिशा के तरफ बढ़ते हुए उसके पास जाता है और उसके कान में कहता है"एक बात कहूं पहली बार देख रहा हू की एक चांद दुसरे चांद को इतने प्यार से देख रहा हैं।"....

अभय जैसे ही ये बोलता है,त्रिशा एक दम से पीछे मुड़ती है, तो उसके पीछे अभय खड़ा होता है,त्रिशा थोड़ी डरी हुई आवाज में कहती है " यार अभय तुमने तो मुंहे डरा ही दिया था।"



त्रिशा जैसे ही अभय से ये बोलती है अभय बोलता है"क्या,,इतना रोमांटिक तरीके से तुम्हारे कानों में इतना प्यारा सा डायलॉग बोला,,और वो भी कॉपी करके नही बल्की मेरा खुदका डायलॉग था।और तुम डर कर मुझे निराश कर रही हो!".....


त्रिशा अभय से सॉरी बोलती है"सॉरी पर मुझे लगा कोई और है,और जो कुछ भी मेरे साथ हुआ उसे लेकर थोड़ा डर अभी भी है अगर बिना बताएं कोई करीब भी आता है तो अजीब सा लगता है पता नही मुझे क्या हो जाता है। सॉरी पर तुम्हारा डायलॉग सच में बहुत अच्छा था ।"


त्रिशा के मुंह से तारीफ सुनकर अभय खुश होते हुए कहता है"क्या सच में?
त्रिशा -हां सच में ,, अच्छा ही नही बल्की बहुत अच्छा था।"
अभय -ओह थैंक्स,, इसी बात पर एक और डायलॉग सुनता हू!! ओके?


त्रिशा मुस्कुराते हुए कहती है"हा हा जरूर सुनाइए एक और,,,"
अभय त्रिशा को अपनी फिल्मों के डायलॉग सुनता है,एक के बाद एक डायलॉग सुनाते ही जाता है।दोनो में ऐसे ही बातें होती रहती है,कुछ फनी तो कुछ रोमांटिक ऐसे ही दोनो हस्ते हुए बातें करते है।

To be continued