ऑफ्टर लव - 13 Mr Rishi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ऑफ्टर लव - 13

जैसे ही वो आदमी त्रिशा के साथ कुछ गलत करने ही वाला होता है की तभी अभय पीछे से एक ईट चलाकर उसे पीछे से मारता है।वो आदमी जोर से खींच उठता है।


उसे चीखते हुए देख ऑटो वाला पीछे मुड़ कर देखता है तो अभय एक और ईट उठाकर ऑटो वाला के मुंह पर चलकर मारता है।जिससे उसका मुंह भी फट जाता है,त्रिशा अभय को वहा देख कर झट पट उठकर अपने सीने को छिपा लेती है और वहा से उठ कर अभय के पास जाने ही वाली होती है की तभी दूसरा आदमी त्रिशा को पीछे से पकड़ कर उसके साथ जबरदस्ती करने लगता है।



उसके पास एक चाकू भी होता है वो बाहर निकल कर त्रिशा के गर्दन पर रखते हुए कहता है"ए,,अगर एक कदम भी आगे बढ़ा तो इसकी जान लेलूंगा।चल पीछे जा पीछे जा"...


अभय घबरा जाता है की कही वो सच में त्रिशा को कुछ करना दे अभय धीरे धीरे पीछे हटने लगता है।वो आदमी त्रिशा के गर्दन पर चाकू रख कर उसके साथ जबरदस्ती करता है और उसके गर्दन को चूमने लगता है ये देख कर अभय उसे चिलाते हुए कहता है"देख मैं बोल रहा हू उसे छोड़ दे।"...


पर वो आदमी त्रिशा के साथ जबरदस्ती किए जा रहा होता है,तभी ऑटो वाला पास में पड़ा एक बांस का टुकड़ा उठाकर अभय के सिर पर पिछे से मरते हुए कहता है"साला मुझे मारता है,मेरा खून निकलेगा तू?"ये कहते हुए एक दो तीन बार और मारता है अभय के पुछ के उपर अब अभय के सिर से खून निकलने लगा था।त्रिशा रोते हुए चीखती है"अभय,,, प्लीज उसे छोड़ दो मैं,, मैं सब करूंगी जो तुम चाहते हो बस उसे कुछ मत करो।में तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हू।".....


जैसे ही त्रिशा ये कहती है, ऑटो वाला कहता है,अगर पहले ही आराम से मन जाती तो हम मजे लेकर चुप चाप चले जाते पर नही तुझे तो चिलाना था और चिला चिला के इसे बुला दिया और ये बेचारा अब जिंदा भीं हैं या मर गया खैर अब जल्दी से चल हम खुश कर और अपने इस आशिक को जल्दी से ले जा वरना मार जायेगा।"



त्रिशा के आंखों से आंसु बहे ही जा रहे होते है,उसके लब सुख चुके थे।वो जैसे ही त्रिशा को ले जा कर लेटते है और उसके साथ जबरदस्ती करने ही वाले होते है की तभी वापस से अभय खड़ा होता है और उनके तरफ दौड़ कर जाता है। और जो त्रिशा के साथ जबरदस्ती कर रहा होता है उसे पीछे से पकड़ लेता है।


और इसके हाथों से चाकू छिन कर उसी के गर्दन पर रख देता है।ये देखने के बाद सब दर जाते है,अभय त्रिशा को अपने पीछे आने के लिए कहता है"त्रिशा तुम घबराओ नहीं मेरे पीछे आओ" त्रिशा अभय के पीछे आकर खड़ा हो जाती है।अभय इस आदमी को छोड़ता है और पास में पड़े बास को उठाकर इसी से उसे मरने लगता है।जब फिर ऑटो वाला को मारता है तीसरा वहा से भाग जाता है।दोनो जख्मी हालत में नीचे गिरे हुए होते है।


अभय और जैसे ही उन्हें मरने वाला होता है की तभी त्रिशा उसे पीछे से रोकते हुए रोटी हुई हालत में कहती है"छोड़ दो अभय मार जायेंगे ये "....अभय गुस्से में कहता है"ऐसे लोगो को मार ही जाना चाहिए इन्हें जीने का कोई अधिकार नही है,सेल बोझ है ये इंसान के रूप में हैवान है हैवान आज तो इन्हे इनकी कर्मो की सजा यही दुंगा।"


पर त्रिशा उसे ऐसा करने से रोक देती है,अभय त्रिशा के कहने पर रुक जाता है और पुलिस को कॉल करता है जब तक पुलिस आती अभय वही पर त्रिशा के साथ बैठा हुआ होता है।कुछ ही देर में वहा पुलिस आती है और उन दोनो को अपने साथ ले जाती है।



अभय को काफी गहरी चोट आई हुई होती है,त्रिशा काफी ज्यादा डरी हुई थी।और अभय के सीने से लग कर बस रोई जा रही थी। अभय त्रिशा को सहलाते हुए उसे शांत होने को कहता है"don't warry मैं हू ना"



और फिर अभय त्रिशा को अपने साथ लेकर होस्पिता के लिए निकाल जाता है।त्रिशा कार में अभय के साथ बैठी हुई बस रोई जा रही होती है तभी अभय कहता है"अरे अब क्या हुआ ?सब ठीक तो हो गया अब क्यों रो रही हो?"




त्रिशा रोते हुए कहती है"अगर तुम नही आते तो पता नही क्या हो जाता!"इतना बोलते ही त्रिशा रोने लगती है।तभी अभय त्रिशा के को समझाते हुए कहता है"अरे ऐसे कैसे मैं नहीं आता,और प्लीज यार चोट मुझे लगी है और रो कब से तुम रही हो।"...




कम से कम मेरे लिए तो मुस्कुरा दो क्या पता तुम्हारी मुस्कुराहट देख कर मेरा दर्द कम हो जाए!"...

त्रिशा अभय को एक टक देखे जा रही थी,अभय सामने के तरफ देख कर कार चलाते हुए कहता है,"यार अब शांत क्यों हो जो कुछ भी हुआ उसे बस एक बुरा सपना समझ कर भूल जाओ और एक बात तुमने अपना फोन ऑफ क्यों कर दिया?मेरा मतलब तुम्हारा फोन ऑफ बता रहा था."




त्रिशा थोड़ा सोचते हुए अभय से पुछती है"मेरा फोन ऑफ था ये तुम्हे कैसे पता और मेरा नंबर तुम्हारे पास,,कैसे?"अभय अब सोच में पड़ जाता है "ओह नो ये क्या निकल गया मेरे मुंह से सीट "त्रिशा अभय से इस बारे में ज्यादा सवाल न करते हुए कहती है"actually एक लड़का मुझे बार बार कॉल करके परेशान करता रहता है,इसी लिए मुझे गुस्सा आया और मैंने फोन स्विच ऑफ कर दिया।"....



अभय मन ही मन मुस्कुराते हुए कहता है"वैसे वो लड़का इतना बुरा है,क्या?"त्रिशा थोड़ा सोचते हुए कहती है"नही, बस थोड़ा अजीब हरकत,कार्य हैं और उसकी बातें तो मेरी समझ से बाहर जाती है।"




अभय हंसते हुए कहता है"वैसे अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो क्या मैं तुम्हारा नंबर जन सकता हू। मतलब कभी काम पड़ गया या फिर तुम्हे मेरी हेल्प चाहिए हो।"....

त्रिशा बिना सोचे ही अभय को अपना नंबर बता देती है,पर उससे सवाल भी करती है"पर तुमने बताया नही की तुम्हे कैसे पता चल मेरा फोन ऑफ है?"...




अभय क्या बोले ये सोच ही रहा था की तभीउसे त्रिशा का फोन याद आता है"ओ,,, वो तो जब में रास्ते से जा रहा था तब मुझे तुम्हारी आवाज आई और फिर जब मैं उतर कर देखा तो चारो तरफ सुनसान था,फिर जब मैने ऑटो में देखा तो तुम्हारा बैग मिला पर मुझे ये नही पता था की ये सब तुम्हारा है।पर यार तुम पागल हो क्या?"....




त्रिशा अभय के ये कहते ही उससे पूछती है"क्या कहा??और तुम्हे ये क्यों लगता है की मैं पागल हू?"अभय कार रोकते हुए उसे समझता है"अब पागल ना काहू तो और क्या कही बताओ यार एक तो रात में किसी अनजान ऑटो वाले के साथ थी,अप्पर से सुनसान रास्ता और तो और फोन भी बंद अगर कुछ हो जाता तो ।"



अभय की बात सुन कर त्रिशा एक दम से चुप हो जाती है,उसके चेहरे पर अब कोई भी expression नही होता है।तभी हॉस्पिटल आ जाता है।


To be continued