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सबक जिंदगी का




शीर्षक = सबक जिंदगी का




दरवाज़े की घंटी बजते ही, जानकी जी ने घर का दरवाज़ा खोला,,, दरवाज़े पर खडे अपने बेटे को देखा तो थोड़ा हैरान हो गयी,,, क्यूंकि वो वही बेटा था जो कुछ दिन पहले उनसे सारे रिश्ते नाते तोड़ कर घर से भाग गया था, ये कहकर कि उसे अपने पिता के जैसा नही बनना,,, उसे उनकी किराना की दुकान नही संभालनी उसे बड़ा आदमी बनना है, अमीर होना है,,, इसलिए वो घर से जो भी कुछ था पैसे वैसे लेकर चला गया था,,, लेकिन अब उसे दरवाज़े पर खड़ा देखा तो जानकी जी हैरान रह गयी,,, उन्हें ख़ुशी थी की उनका बेटा घर आ गया और वो उसे खींच कर अंदर ले आयी


उसने ज्यादा कुछ नही बताया,, कि उसके साथ क्या हुआ? क्या नही बस उसने अपने पिता का पूछा,,, जो कि दुकान पर भी नही थे,, सबसे पहले वो वही गया था,,, उसकी माँ ने बताया कि वो अपने कमरे में है,,, उनकी तबीयत ठीक नही थी इसलिए दुकान बंद करके घर आ गए थे


और वैसे भी जिसका जवान बेटा उन्हें छोड़ कर चला जाए उसकी तबियत तो ख़राब होकर ही रहेगी।


अपने पिता की बीमारी की बात सुन जानकी जी का बेटा सचिन दौड़ता हुआ अपने पिता के कमरे में चला गया,,, वो अपने बिस्तर पर बैठे थे,,, उसे लगा की शायद वो सो रहे होंगे लेकिन उन्हें जगा हुआ देखा सचिन के कदम कमरे में प्रवेश करते करते रुक से गए


लेकिन उसके पिता ने उसे देख लिया था,, जिस वजह से उसे मजबूरन अंदर आना पड़ा और उसने पास आकर उनके पैर छुए और हकलाते हुए बोला " प,,, प,,, प्रणम पापा,,, माँ बता रही थी आपकी तबीयत ठीक नही है "


"मेरी तबियत को क्या होना है,,, जी रहा हूँ,,,जिस दिन उसका बुलावा आ जाएगा चला जाऊंगा,,, वैसे भी मेरे मरने पर कौन रोने वाला है " उसके पिता ने कहा उसकी तरफ देखते हुए


अपने पिता के मूंह से इस तरह की बात सुन मानो सचिन का जी भर आया,, वो अपने आंसुओ को रोक ना पाया और रोते हुए जाकर अपने पिता के सीने से लग गया और खूब रोया ज़ब तक की उसकी सास ना उखड़ने लगी


अपने बेटे को इस तरह रोते देख, पिता का दिल पिघल सा गया और वो उसके सर पर हाथ फेराते हुए बोले " सचिन,, मेरे बेटे क्या हुआ? क्यूँ इतना रो रहे हो? "


अपने पापा के मूंह से इतना सब कुछ करने के बाद बेटा सुन उसका दिल और भर आया लेकिन वो खुद को सँभालते हुए बोला " पापा,,, मुझे माफ कर दीजिये,,, मुझसे गलती हो गयी,,, मुझे माफ कर दीजिये,,, मैं आपके और माँ के प्यार को समझ नही पाया,,, भगवान के लिए मुझे माफ कर दीजिये "


उसके पिता समझ गए थे, कि उनके बेटे के साथ कुछ बुरा हुआ है,, इसलिए उन्होंने स्नेह भरा हाथ फेरते हुए उसके आँसू साफ करते हुए कहा " किस बात की माफ़ी,,, तुमने क्या किया था,,, जो माफ़ी मांग रहे हो "


अपने पिता को इस तरह कहते देख उसने अपने पिता की तरफ देखा और कहा " पापा! आपको याद नही या फिर याद ना होने का नाटक कर रहे है,,,, पापा मैंने आप सब का दिल दुखाया है,,, आपकी उस दुकान को ना जाने क्या कुछ कहा, जिसकी वजह से हमारा घर चल रहा है,,, आपको भी क्या कुछ नही कहा,,, उन सब के बावज़ूद आप पूछ रहे है कि किस बात की माफ़ी,,, पापा मुझे माफ कर दीजिये,,, मुझसे बहुत बड़ी भूल नही बल्कि गुनाह हो गया,,, जो मैंने आपकी बातें नही मानी,,, और आपका और माँ का दिल दुखाया,,, लेकिन अब मुझे जिंदगी ने बहुत अच्छा सबक सिखा दिया है,,, कौन अपना है और कौन पराया बहुत अच्छे से समझा दिया है,,,, और यहाँ तक की मेरी औकात भी मेरे सामने खोल कर रख दी,,, पापा मुझे माफ कर दीजिये,,, आज से आप जो कुछ कहेँगे मैं वैसा ही करूँगा,,, आप पढ़ाई करने को कहेँगे वो भी करूँगा,,, दुकान पर बैठने का कहेँगे वो भी करूँगा,,, अपने उन अमीर दोस्तों से भी कभी नही बोलूंगा बस आप मुझे माफ कर दीजिये "


अपने बेटे को इस तरह देख सचिन के पिता ने खुद को संभाला और बोले " सचिन बेटा! माँ बाप कभी अपनी औलाद से नाराज़ नही होते, भले ही औलाद कितना ही उन्हें कुछ कह दे भगवान ने उन्हें ऐसा ही बनाया है,,, ज़ब तुम भी पिता बनोगे तो तुम्हे भी एहसास हो जाएगा,, अच्छा मैंने तुम्हे माफ किया अब ये बताओ इतने दिनों कहा थे,,, मैंने तुम्हे कहा कहा नही ढूँढा तुम तो नाराज़ होकर चले गए थे,, हमें लगा शायद शाम तक नही तो अगले दिन तक घर आ जाओ लेकिन तुम नही आये,,, हमें लगा की तुम हमेशा के लिए हमसे इस घर से और हमारी गरीबी से हमेशा हमेशा के लिए छुटकारा पा कर चले गए हो,,, और जाते भी क्यूँ नही आखिर हमनें तुम्हे दिया ही क्या था,, सिवाय उम्मीदों के,,जो कभी पूरी भी न कर सके,,, एक बेटा उसकी भी खावहिशों को पूरा न कर सके "


"नही पापा,,, इस तरह न कहिये,,, मुझे और शर्मिंदा मत कीजिए,, जितनी अच्छी जिंदगी आपने मुझे दी है,,, उस जिंदगी का मैं तसव्वुर भी नही कर सकता,,, पापा इस तरह कहकर मुझे और मेरी नजरो में मत गिराइये,,, पापा क्या आपने मुझे ढूँढा था,, मुझे लगा कि नाराज़गी कि वजह से आपने तो मेरा समान भी फेंक दिया होगा,,, लेकिन जान कर ख़ुशी और दुख एक साथ हो रहा है कि आपने मुझे ढूंढा और मेरे घर आने की राह देखी,,, और मैं ना जाने कहा दर दर की ठोखरे खाता फिर रहा था


लेकिन शायद जो होता है अच्छे के लिए ही होता है,, इन गुजरे दिनों में मुझे जिंदगी ने ऐसे ऐसे सबक सिखाये जिन्हे शायद में कभी नही भूल पाउँगा


पापा,,, मुझे लगता था मेरे अमीर दोस्त मुझे सहारा देंगे,,, मेरी मदद करेंगे उन लोगो ने तो मुझे एक दिन से ज्यादा अपने घर नही रखा,,, जिनकी वजह से मैं आपसे लड़ जाया करता था उन्होंने मुझे एक दिन भी अपने घर नही रखा,,, और रखा भी तो अपने नौकरो के साथ

उसी के साथ पापा,,, मुझे लगता था कि वो मेरी कुछ मदद करेंगे,,, जो पैसे मैं लेकर गया हूँ उन पैसों में वो मुझे मेरा कारोबार कराने में मदद करेंगे लेकिन उन लोगो ने मुझे लूट लिया,, सबने मिलकर चालाकी से मेरे उन पैसों को लूट लिया,, जिन्हे मैं अपना समझता था वही आस्तीन का सांप निकले,,, उन लोगो ने मेरे पैसे गलत जगह लगवा कर मुझे बर्बाद कर दिया उसी के साथ उन्होंने मुझे मारा भी और कहा कि मैं उनकी बराबरी नही कर सकता,,, पापा मुझे आपकी हर एक बात याद आयी उस वक़्त जो भी आपने मुझे समझायी थी,, कि अमीर बनने के लिए कभी भी शार्ट कर्ट का रास्ता नही लेना चाहिए,,, और न ही किसी पर इतना भरोसा कर ना चाहिए हर मीठा बोलने वाला आपका भला नही चाहता,,, पापा मैं बर्बाद हो गया,,, मैं घर भी नही आना चाहता था लेकिन आपसे और माँ से माफ़ी मांगना चाहता था,, पापा मुझे माफ कर दीजिये " सचिन ने कहा रोते हुए


जानकी जी भी वहाँ आ गयी थी और अपने बेटे को रोता देख अपने आँचल से उसके आँसू साफ करने लगी,, उसी के साथ सचिन के पिता जी ने भी उसे माफ कर दिया,,, क्यूंकि अब वो जिंदगी का ऐसा सबक सीख गया था जिसके बाद शायद वो उस राह पर नही चलेगा जहाँ उसकी जिंदगी सिवाय धोखे के कुछ ना थी,और शॉर्ट कर्ट से अमीर होने के तरीके भी नही ढूंढगा और तो और अपने उन अमीर दोस्तों की बराबरी भी नही करेगा जिनकी वजह से वो हमेशा अपने पिता से लड़ता रहता




समाप्त.....










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