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पिंजरा खूबसूरती का



शीर्षक = पिंजरा खूबसूरती का



चल जा अंदर, आज से तेरी यही जगह है, ज़ब तक अदालत तेरे लिए कोई हक़मी फैसला ना करदे, तब तक तू यही रहेगी, शक्ल से तो कितनी भोली मालूम पडती है, लेकिन देखो जरा इस मासूम और खूबसूरत चहरे के पीछे एक कातिल छिपी हुयी है, कोई कह देगा कि इसने,,, महिला पुलिस कांस्टेबल और कुछ कहती तब ही उसकी सीनियर अधिकारी बोल पड़ी "चल अब बस कर इसे अंदर डाल और बाहर आ, बाहर बड़े साहब बुला रहे है, और हाँ देखना कि इससे कोई लड़ाई झगड़ा न करे, नयी है कुछ दिन में सीख जाएगी, बाकी कुछ दिन बाद इसकी पेशी है वही पता चलेगा कि ये यहां बसने आएगी या फिर कुछ साल की ही सजा मिलेगी "


"मुझे नही लगता जितनी बेरहमी से इसने उस आदमी को मारा है, इसे अदालत यूं ही छोड़ देगी उम्र कैद की सजा तो इसे सुनाएगी ही " महिला कांस्टेबल ने कहा

"ये फैसला अदालत कर लेगी, तू बस इसे अंदर छोड़ के आ, और हाँ अंदर जितनी भी केदी औरते है उनसे कहना कि लड़ाई झगडे की अगर आवाज़ बाहर आयी तो फिर सब के ऊपर लाठी चार्ज कर दूँगी " सीनियर कांस्टेबल ने कहा और वहाँ से चली गयी


"ए ये लड़की कुछ दिन यही रहेगी, ज़ब तक अदालत का फैसला नही आएगा, कोई भी लड़ाई झगडे की आवाज़ बाहर नही आनी चाहिए वरना तुम सब की खेर नही होगी " महिला कांस्टेबल ने अपने साथ चल रही केदी को जैल के अंदर डालते हुए कहा जहाँ पहले से ही कुछ और केदी महिलाये मौजूद थी


थोड़ी देर बाद वहाँ ख़ामोशी छा गयी, वहाँ मौजूद अन्य केदी महिलाये कोने में बैठी उस लड़की को देख रही थी, जिसकी कम उम्र और उसकी ख़ूबसूरती उन सब को अपनी और खींच रही थी और इस बात को जानने की जिज्ञासा बड़ा रही थी कि आखिर इतनी कम उम्र में और इतने हसीन चहरे के साथ आखिर इस लड़की ने क्या जुर्म किया होगा


काफी देर बाद, एक महिला उसके पास आयी और बोली " तू तो बिलकुल अप्सरा मालूम पड़ रही है, तुझे तो किसी महल कि रानी होना चाहिए था लेकिन तू यहाँ इस जैल में हमारे साथ क्या कर रही है? तेरा नाम क्या है? "


कोने में डरी सहमी बैठी उस लड़की ने अपने थर थाराते होठों से कहा " म,, म,,, मेरा नाम हलीमा है "


"अच्छा, बहुत प्यारा नाम है तेरा मेरा नाम संजना है, ऐसा भी किया क्या है तूने जो तुझे यहां आना पड़ा,थानेदारनी बता रही थी कि तूने किसी का क़त्ल किया है, तुझे देख कर लग तो नही रहा है कि तू किसी का कत्ल भी कर सकती है, सच बता किसी और का जुर्म तो तूने अपने सर नही लिया, या फिर कही तेरे कोई आशिक ने कुछ ऐसा वैसा किया हो और इल्जाम तूने ले लिया हो


अगर ऐसा है, तो ये बेवकूफी मत करना ये जैल है जैल, ये कोई अच्छी जगह नही है और तेरी जैसी खूबसूरत हुस्न की मालिक लड़की के लिए तो बिलकुल भी ठीक जगह नही है " पास बैठी उस संजना नामी औरत ने कहा जो की हलीमा से दोगुनी उम्र की थी


उन दोनों को बाते करते देख वहाँ मौजूद और भी महिला केदी उनके पास आकर बैठ जाती है, और अपनी अपनी कहानी बताती है कि उन्होंने कौन कौन से जुर्म किए है जिसके चलते वो यहां है, सब कि एक अलग ही दर्द भरी कहानी थी, किसी ने मजबूरी के चलते तो किसी ने अपनी इज्जत आबरू बचाने के खातिर किसी को घायल किया तो किसी को जान से ही मार डाला


हलीमा उन सब की बाते सुन रही थी, अब वो उन सब के बीच थोड़ा अच्छा महसूस कर रही थी

तब ही पास बैठी दूसरी औरत बोली " हम सब ने बता दिया की यहां कैसे आये, अब तू भी बता तूने ऐसा क्या किया है जिसके चलते तुझे इस नर्क में आना पड़ा वो भी इस अप्सरा का रूप लेकर "


"क्या तूने वाकई किसी को मारा है? क्या वाकई वो इंसान मर गया? देखने में तो तू ऐसी मालूम नही पडती है, किसी अच्छे घर की लगती है, कही कोई तेरे साथ कुछ गलत तो नही कर रहा था और तूने उसे मार दिया हो " दूसरी महिला ने कहा


"अच्छा किया, अगर इस तरह दूसरों की बहु बेटियों की इज़्ज़त पर राह चलते हाथ डालने वालों को तो नर्क ही पंहुचा देना चाहिए, अगर ऐसा ही कुछ तेरे साथ हुआ है और तूने उसे नर्क पंहुचा दिया तो तू डर मत हम सब तेरे साथ है, तू कातिल नही है," संजना ने कहा

"उसकी व्यथा उसकी जुबानी सुन लो, तुम लोग बेवजह ही खुद से कहानियाँ जड़ रहे हो, देखो वो कुछ कहना चाह रही है" संजना ने कहा सब को चुप कराते हुए


"प,, प,,, पानी मिलेगा, हलक सूख रहा है " हलीमा ने कहा

"हाँ, हाँ, ए जरा पानी तो मटके से ला " संजना ने पास बैठी दूसरी महिला से कहा


हलीमा पानी पीती है, एक ही सास में सारा पानी पी जाती है, मानो बहुत देर से प्यासी हो, हलीमा पानी पी कर गिलास नीचे रखते हुए उनका शुक्रिया अदा करती है

"अब बता भी दे, कि तू किस जुर्म में यहां आयी है " संजना ने कहा


हलीमा ने उन सब की तरफ देखा और बोली " आप सब को जानना है ना मैं यहां क्यूँ आयी हूँ, ऐसा भी क्या किया मैंने जो यहां इस काल कोठरी में आप सब के साथ बैठी हूँ

तो सुनिए, इन सब की वजह है ये मेरा खूबसूरत चेहरा, जिसे देख आप लोग भी मेरी तुलना अप्सरा से कर रहे थे, हाँ यही ख़ूबसूरती ही मुझे यहां लेकर आयी है, नफ़रत है मुझे अपने इस खूबसूरत चहरे से जो हर दम मेरे लिए पिंजरा बना रहा

उसका इस तरह कहना सब को बहुत अजीब लगा और सब चौक कर बोले " तेरी खूबसूरती, ये क्या कह रही है तू, भला तेरी खूबसूरती तेरी दुश्मन कैसे हो सकती है, तुझे तो देख कर मालूम पड़ता है मानो खुद ईश्वर ने तुझे अपने हाथो से बनाया है, और तू कह रही है कि तुझे नफरत है, "


"हाँ, नफरत है क्यूंकि इस चहरे ने मेरा सब कुछ छीन लिया है, बचपन, जवानी और अब ना जाने और क्या कुछ देखना बाकी है, आप लोग नही जानते कि मैंने क्या कुछ नही सहा अपने इस खूबसूरत हुस्न की वजह से


मेरी ये इतनी खूबसूरती मेरे लिए पिंजरा बन जाएगी मैंने सोचा नही था, मेरी बड़ी बहन जो की मुझसे रंग रूप में थोड़ी हल्की थी, उससे मेरी खूबसूरती बर्दाश्त नही होती थी, वो मुझसे बात तक नही करती थी और न ही अपने साथ खिलाती थी, क्यूंकि बच्चें उसे चिढ़ाते थे ज़ब वो मेरे साथ खेलती थी, इसलिए उसने मेरे साथ खेलना बंद कर दिया,

पहले तो ये सिर्फ खेल कूद तक ही सीमित था लेकिन जैसे जैसे बड़े होते गए, बड़ी बहन की शादी की उम्र हुयी और लड़के वाले हर बार उसकी बजाये मुझे ही पसंद कर जाते, इस बात ने मेरी बहन को मेरा दुश्मन बना दिया


मेरी इस खूबसूरती की वजह से मेरा कही ज्यादा बाहर निकलना बंद कर रखा था अम्मी और पापा ने, बारहवीं के बाद कॉलेज जाना चाहती थी, लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद पढ़ाई ही छूट गयी, कुछ मंचले लड़को ने घर के इर्द गिर्द घूमना शुरू कर दिया था जिसके चलते घर में बैठ जाना ही एक मात्र विकल्प रह गया था


प्राइवेट करना चाहा लेकिन उस पर भी पाबन्दी लगा दी गयी, जैसे तैसे करके बड़ी बहन की शादी हो गयी, लेकिन उसके शोहर की निगाहेँ आते जाते मुझ पर ही रहती, तब मेरी उम्र 22 साल की थी,


मेरा खूबसूरत होना मेरे अपनों के लिए एक जी का जाँझाल बन गया था, और फिर एक दिन ऐसा आया कि मेरी जिंदगी का भी फैसला कर दिया गया, बिना मेरी मर्जी जाने, और कुछ दिन बाद मुझे घर से रुकसत कर दिया गया

मुझे लगता था कि शायद अब मुझे अपनी खूबसूरती को कोसने की ज़रूरत नही, क्यूंकि अब मेरी शादी हो गयी है मुझे मेरा मुहाफ़िज़ मिल गया है जो मेरी हिफाज़त करेगा, मेरा सोचना सही भी था, मेरा शोहर मेरी खूबसूरती का दीवाना बन चुका था, क्यूंकि उसका रंग साँवला था मुझे उसके रंग से कोई आपत्ति नही थी क्यूंकि जितना कुछ मैंने अपने गोरे होने से झेला था इसलिए मुझे आभास था चहरे की खूबसूरती कोई मायने नही रखती है


लेकिन धीरे धीरे, वक़्त बदलता गया उसका रावय्या भी बदलता गया, उसका मेरा किसी और के साथ बात करना पसंद नही था, उसे लगता था कि मैं उसे धोखा देकर किसी और को अपनी खूबसूरती के जाल में फसा लूंगी, उसे मेरी तारीफ किसी दुसरे मर्द के मूंह से सुनना पसंद नही थी


एक दिन उसने सब लोगो के सामने मुझे चाटा मार दिया क्यूंकि मैं दावत में आये उसके दफ्तर के कुलीग से कुछ बात कर रही थी उससे उसकी पत्नि के ना आने की वजह पूछ रही थी बस इतनी सी बात पर उसने मुझे थप्पड़ मार दिया वो तो बस शुरुआत थी, उसके बाद तो ये सिल सिला मार कुटाई पर पहुंच गया


घर में किसी का भी आना जाना बंद हो गया था, सब्जी वाला, दूध वाला सब बंद कर दिए थे उसने, वो खुद ही लाता सारा समान, एक तरह से केदी बन कर रह गयी थी मैं अपने ही घर में

वो सनकी था, वो अपने सामने किसी दुसरे की तारीफ बर्दाश्त नही कर सकता था, कही ना कही उसे मेरा खूबसूरत होना और लोगो की तारीफे हासिल करना बहुत खलता था, और फिर एक दिन ज़ब वो इन सब से तंग आ गया तो उसने चाकू से मेरा चेहरा बिगाड़ने की सोची ज़ब मैं सौ रही थी, वो तो शुक्र था रब का की मेरी आँख खुल गयी और मैंने अपने आप को बचा लिया लेकिन वो पागल हो चुका था, वो मेरी खूबसूरती को ख़त्म करने की ठान चुका था लेकिन ना जाने क्यूँ मेरे भी बर्दाश्त की हद पूरी हो गयी थी, बचपन से लेकर अब तक जो कुछ भी मैंने सहा था अपने खूबसूरत होने की वजह से, मैं गोरी थी मुझे खुदा ने जैसा बनाया मैं खुश थी लेकिन लोगो ने मुझे खुश रहने ही नही दिया, हर दम मुझे उस मोड़ पर ला खड़ा कर दिया ज़ब मुझे अपनी खूबसूरती से घिन्न आने लगी, ये खूबसूरत चेहरा मुझे पिंजरा लगने लगा, उस दिन हाथ में चाकू लिए मैंने अपनी सारी भड़ास अपने शोहर पर निकाल दी जितना हो सकता था उतने चाकू उसके सीने में उतार दिए, मैं नही उतरती उसके सीने में तो वो मेरा चेहरा ख़राब कर देता, बस इतनी सी कहानी है जिसकी वजह से मैं यहां आन पहुंची " हलीमा ने कहा रोते हुए


पास बैठी औरते उसे दिलासा देने लगी तब ही कांस्टेबल ने आकर बताया की हलीमा की वकील उससे मिलने आयी है और उसे वहाँ से ले गयी


हलीमा को तो नही मालूम था कि कोई उसका केस लड़ेगा भी, क्यूंकि माँ बाप ने भी उसका साथ छोड़ दिया था उन्हें भी यही लगता था कि उनकी बेटी कातिल है जिसने अपने शोहर को मार दिया अपने स्वार्थ के चलते



हलीमा एक कमरे में बैठी थी तब ही वहाँ एक और महिला आती है, जो अपना नाम एडवोकेट सोनम बताती है और उसके सामने बैठ जाती है


और उसे दिलासा देते हुए कहती है, कि मुझे तुम्हारा वकील चुना गया है, मैंने तुम्हारी फ़ाइल पड़ी, तुम चिंता मत करो, तुमने अपने बचाव के चलते जो कुछ किया वो किया मैं अदालत से गुज़ारिश करूंगी की तुम्हे कम से कम सजा दी जाए


हलीमा सुद बुद खोयी उसकी बाते सुन रही थी।



समाप्त......





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