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आइसक्रीम वाला



शीर्षक = आइसक्रीम वाला




दोपहर के 2.30 बजते ही, एक आइसक्रीम वाले की रेडी पर बच्चों की भीड़ इकट्टी हो गयी, कोई उस आइसक्रीम वाले भैया से कच्चा आम मांग रहा था तो कोई संतरे वाली आइसक्रीम मांग रहा था


वही दूसरी तरफ,रोहन अपने नाना से जिद्द आइसक्रीम दिलाने की जिद्द करते हुए बोला " नाना, मुझे आइसक्रीम खानी है, मम्मी तो लेने नही देती है अब आप ही मुझे दिलाएंगे, "

"बेटा आइसक्रीम खाने से गला ख़राब हो जाता है, देखो मैं तुम्हारे लिए कितने मजे ले फल लाया हूँ वो भी गर्मियों के, उन्हें खाओ और सेहत बनाओ " रोहन के नाना ने कहा


"नही, मुझे आइसक्रीम ही खानी है, " रोहन ने रोंदा सा मूंह बनाते हुए कहा


"चलो अच्छा ठीक है, लेकिन बस एक आइसक्रीम वो भी सिर्फ आज, कल अगर ये आए तब जिद्द मत करना " रोहन के नाना कहा रोहन से


"ठीक है नाना, कल तो आप चले जाएंगे और मम्मी तो दिलाने से रही, इसलिए आज ही खा लूँगा और वायदा भी करता हूँ "रोहन ने कहा और अपने नाना के साथ बाहर आइसक्रीम वाले भैया के पास जाकर बोला " भईया एक कच्चे आम वाली आइसक्रीम देना "


"हाँ, हाँ एक हमारे नाती को भी दो, जो भी वो मांग रहा है " रोहन के नाना ने कहा आइसक्रीम वाले से जो कि पीठ फेरे खड़ा बाकि बच्चों को आइसक्रीम दे रहा था

उसने जैसे ही अपना मूंह, सामने खडे रोहन के नाना जी की तरफ किया तो वो थोड़ा चौक गया और अपने आप को छिपाने लगा



रोहन के नाना को भी वो सामने खड़ा नौजवान सा लड़का जाना पहचाना सा लगा, वो भी समझ रहे थे कि ये लड़का उनसे नजरें चुरा रहा था, खेर उस लड़के ने रोहन के साथ साथ बाकि बच्चों को भी आइसक्रीम दी और वहां से जल्दी जल्दी जाने लगा


वो कुछ कदम आगे बड़ा ही था अपनी रेडी लेकर, तब ही रोहन के नाना जो की शायद उस नौजवान आइसक्रीम वाले लड़के को पहचानने की कोशिश कर रहे थे उसे पीछे से टोकते हुए बोले " मैंने तुम्हे कही देखा है, कही तुम हमारे ही गांव के हरिया के बेटे तो नही हो "

ये सुन कर उस आइसक्रीम वाले के पैर वही थम से गए, और वो पीछे मुड़ने के बजाये अपने क़दमों को आगे बढ़ाने लगा, लेकिन रोहन के नाना सत्यजीत जी ने फिर से उसे आवाज़ लगायी और बोले " तुम रुक क्यूँ नही रहे हो? मेरी बात का जवाब नही दिया तुमने, क्या तुम हरिया के बेटे हो? "


"क,,, क,,,, क,,,, को,,, कौन हरिया,,, आप कौन है? मुझे ना रोके,, मुझे इस गर्मी में इन आइसक्रीम को पिघलने से पहले बेचना है," उस आइसक्रीम वाले ने कहा


"क्या तुम शहर आकर अपने बाप का नाम भी भूल गए हो, शेखर? अगर मैं गलत नही हूँ तो क्या तुम्हारा नाम शेखर नही है, मैं बूढा जरूर हो गया हूँ लेकिन अपने गांव वालों को ना पहचान पाऊ अभी इतना अंधा भी नही हुआ हूँ


तुम्हारा बाप तो पूरे गांव में ढिंढोरा पीटता फिरता है, कि उसका बेटा पढ़ कर शहर में इंजीनियर बन गया है, और तुम तो यहां आइसक्रीम वाले बने घूम रहे हो, पूछ सकता हूँ कि आखिर अपने माँ बाप को धोखा देने के पीछे क्या वजह है " रोहन के नाना ने कहा


"लगता है, आपको कोई गलत फेहमी हो रही है, मेरा चेहरा आपको किसी जाने पहचाने जैसा लग रहा होगा, ये शहर है यहां एक जैसे लोग हज़ारो मिल जाते है " उस आइसक्रीम वाले ने कहा


"ठीक कहा मिल जाते होंगे, लेकिन तुम कोई और नही हो, अब बता दो कि क्यूँ अपने अनपढ़ और भोले भाले माँ बाप कि आँखों में धूल झोंक रहे हो, क्या इस दिन के लिए ही उन्होंने अपना तन पेट काट कर तुम्हे पढ़ाया लिखाया था कि तुम यहां ये आइसक्रीम की रेडी चलाने वाले बन जाओ

मुझे बताओ वरना मैं कल तो जा ही रहा हूँ गांव, अगली बार मेरे साथ तुम्हारे सामने मैं ही नही तुम्हारे माता पिता भी खडे होंगे, फिर उन्हें समझाते रहना " रोहन के नाना ने कहा और वहां से जाने लगे


तब ही पीछे से आयी एक आवाज़ ने उन्हें रोक लिया " मुनीम चाचा, भगवान के लिए माँ और पिता जी को कुछ मत बताना, हाँ मैं शेखर ही हूँ, और मेरे ही बाप का नाम हरिया है "

"मैंने कहा था ना, कि मैं इतना बूढा भी नही हुआ हूँ कि अपने ही गांव के लोगो को ना पहचान पाऊ, अब बताओ कि आखिर तुम अपने माँ बाप को धोखे में क्यूँ रखे हुए हो?, कि तुम यहां शहर में एक अच्छी नौकरी कर रहे हो,

तुमने तो अच्छी पढ़ाई की थी, फिर आखिर ये आइसक्रीम क्यूँ बेच रहे हो? तुम तो शहर नौकरी के लिए आये थे " मुनीम चाचा ने कहा


"चाचा, मैं आपको सब कुछ बताता हूँ, लेकिन मुझसे वायदा कीजिये कि आप गांव में खास कर मेरे माता पिता को मेरे काम के बारे में नही बताएँगे वरना वो टूट जाएंगे, "शेखर ने कहा


"उसकी बात सुन मुनीम चाचा बोले " तुम अच्छे झूठ में मुझे भी भागीदार बनाने की कोशिश कर रहे हो, लेकिन ऐसा होगा नही, मैं तुम्हारी सच्चाई तुम्हारे माता पिता को बटाऊँगा कि आखिर उनके बलिदानों का सिला उनका बेटा शहर में किस तरह दे रहा है, मुझे तो लगता है तुमने पढ़ाई ही नही की थी, कॉलेज भी बस दिखावे के लिए जाते थे, और अब यहां झूठ बोल कर ये काम कर रहे हो, क्यूँ शेखर क्यूँ तुमने अपने बूढ़े माँ बाप को धोखे में रखा, क्या कसूर था उनका? जो तुम उन्हें इतनी बड़ी सजा दे रहे हो


मैं तो बता कर रहूँगा, मुझसे तो झूठ नही बोला जाएगा " मुनीम चाचा और कुछ कहते तब ही शेखर बोल पड़ा


"चाचा, मैंने ये सब जान बूझ कर नही किया है, मुझे भी कोई शोक नही अपने माँ बाप को धोखा देने का लेकिन मैं मजबूर था, शहर का माहौल आप मुझसे अच्छी तरह जानते है, क्यूंकि आपका तो यहां आना जाना लगा ही रहता है

चाचा, मैंने ज़ब से होश संभाला था तब से एक ही सपना देखा था कि पढ़ लिख कर अपने माँ बाप का सहारा बनूँगा, इसलिए शायद स्कूल कॉलेज में मन लगा कर पढ़ा, अच्छे नंबर लाया ताकि कही नंबर की वजह से कोई नौकरी न दे,

दिनों रात मेहनत करके पढ़ाई की, अपनी रातें काली की, किताबों को चाट गया था कॉलेज में अच्छे अंक लाकर सोचा था अब शहर जाकर अपने माँ बाप का सपना पूरा करूँगा, कही न कही कोई अच्छी नौकरी मिल जाएगी


यहां आने से पहले ढेर सारे ख्वाब थे इन आँखों में, माँ बाप की हज़ारो उम्मीदें जुडी थी मुझसे, भले ही इतने सालो माँ बाप ने कुछ कहा नही लेकिन उनके बिना कहे ही मैं समझ गया था कि वो मुझसे क्या चाहते है, वही जो हर माँ बाप अपने बच्चों से चाहते है


चाचा, शहर आया तो पता चला की यहां नौकरी पाना इतना आसान नही जितना लगता है, ना जाने कितने ही इंटरव्यू दे डाले, कितनी ही जूतिया घिस दी, कही नौकरी निकली भी तो पैसों वालों ने खरीद ली

माँ का ज़ब भी फ़ोन आता, पापा का ज़ब भी फ़ोन आता यही सवाल होता की जॉब लगी की नही, अब आप ही बताइये मुझे क्या करना चाहिए था उन्हें सच बता देना चाहिए था ताकि उनका पढ़ाई लिखाई पर से भरोसा उठ जाता, जो कुछ भी उन्होंने मेरे ऊपर खर्च किया उसे यूं ही मिट्टी में मिला देता

नही चाचा मुझमे हिम्मत नही थी, इसलिए मैंने झूठ का सहारा लेना सही समझा, और फिर मैंने आइसक्रीम बेचना शुरू कर दी भले मही मैं आइसक्रीम वाला बन गया हूँ लेकिन ये सब एक वकती तोर के लिए है ज़ब तक की मुझे कोई नौकरी नही मिल जाती, मैं अपने माँ बाप को उदास नही कर सकता उन्होंने अपनी सारी जमा पूँजी मुझ पर खर्च कर दी है अब मैं उन्हें परेशान नही कर सकता और न ही उनसे पैसे मांग सकता हूँ, और वैसे भी मैं कोई चोरी नही कर रहा हूँ सिर्फ आइसक्रीम ही बेच रहा हूँ, कम से कम दो पैसे कमा रहा हूँ और मुझे उम्मीद है आज नही तो कल मुझे नौकरी मिल जाएगी ज़ब तक मैं आइसक्रीम वाला बन कर ही काम चला लूँगा " शेखर ने कहा


मुनीम चाचा के पास उसे गले लगा कर आशीर्वाद देने के अलावा और कुछ नही था उसकी पूरी बात सुनने के बाद,


समाप्त.....











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