आप एक नदी में दोबारा नही जा सकते।। ANKIT YADAV द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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आप एक नदी में दोबारा नही जा सकते।।

प्रसिध्द ग्रीक दार्शनिक Heraclitus की ये पंक्तियाँ आज भी बेहद प्रासंगिक है | उपरोक्त कथन दर्शाता है कि इस दुनिया में केवल एक चीज़ हमेसा से वर्तमान /available है और वह है बदलाब | हमे अपने आस पास हो रहे बदलावो को अपनाने व उनके अनुसार अपने जीवन को बदलने की जरूरत है | बदलाव कोई एकायामी वस्तु नही, अपितु ये एक बहुआयामी प्रसंग है | एक प्रसंग में बदलाव लगभग सारे अन्य प्रसंगो में भी बदलाव उत्पन्न करता है | जैसे - राजनीती में बदलाव समाज में भी बदलाव लता है और अर्थव्यवस्था में भी |
समय के अनुसार, सब चीज़ो में लगातार बदलाव आता रहता है | धार्मिक , परंपराए , राजनीती, अर्थव्यवस्था , समाज, आदि लोग सब के सब परिवर्तनशील है |
इन सब में बदलाव से व्यक्ति का नजरिया इन सब के प्रति बदलता है और बदला हुआ नजरिया इन सब को पुनः बदल देता है और ये प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।
उपरोक्त कथन की आप एक नदी में पुनः नहीं जा सकते बताता है की नदी भी परिवर्तनशील है। यानी बदलाव हो रहा है चाहे वो दिखाई न दे रहा हो ।
परिवर्तन का महत्व हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी दिखाई पड़ता है। 1980 में जहां व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम नरम दल । Moderates के हाथों में था जो अंग्रेजों से गुजारिशों के माध्यम से अपनी मांगों को रखते थे, वही स्वतंत्रता संग्राम 1900 में गरम दल । Extremist के हाथों में गया और दनादन आंदोलनों की शुरुआत हुई । महात्मा गांधी जैसे महान नेताओं के कारण इन आंदोलनों को पूरे देश भर में जगह मिली व सफल हुए । इससे हम कह सकते हैं कि हमारी समस्या जो कि अंग्रेज ये वे तो समान थे पर हमारे रास्ते बदलते गए और हम नई बुलंदियों छूते चले गए ।
भारत के आर्थिक परिवर्तन जो 1991 में हुए श, वो एक शानदार उदाहरण है कि कैसे परिस्थितियों की मांग को समझते हुए तत्कालीन भारतीय सरकार ने अपनी आर्थिक नीतियों में मूलभूत परिवर्तन किए।
महिलाओं की शिक्षा के संदर्भ में परिवर्तन को देखा जा सकता है। कैसे भारत एक पुरुष प्रधान समाज जो महिलाओं की शिक्षा को प्रतिबंधित करता था, वो आज महिला शिक्षा को सामान्य रूझान बनाने का कार्य कर रहा है। समस्याएं कुछ भी आज विषय पर मौजूद है, किंतु समाज के विकास के साथ-साथ, ये भी खत्म हो जाएंगी ।

न्यायपालिका इस विषय में सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है सर्वोच्च न्यायालय ने Suresh Kumar koushal vs noz foundation मामला 2013 में कहां की l U B T O समाज का एक अभिन्न हिस्सा है। हालांकि इस मामले में न्यायालय ने उनको संवैधानिक रक्षा नहीं दी किंतु navtej Singh jouar vs union of India 2018 मामले में न्यायालय ने L U B T O को संवैधानिक आधार दिए ।
परिवर्तन का महत्व और हमारा परिवर्तन के प्रति उत्तर हमारे दैनिक जीवन के उदाहरण से भी समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए भारत में बहुसंख्यक युवा सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं और उनमें से बहुसंख्यक युवक को सरकारी नौकरी नहीं मिलती और लगातार प्रयासों के बाद कुछ को मिलती है, लेकिन ऐसे रूझान लगातार बढ़ रहे हैं। परीक्षा रूझानों में बदलावों के अनुसार अपनी राजनीति में परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है। ये दर्शाता है की जमीन पर समस्या समान होने के बाद भी इसमें लगातार परिवर्तन आते रहते हैं।
परिवर्तन कोरोना महामारी के उत्तर में जो सरकारों की राजनीति थी, उसमें भी देखा जा सकता है। महामारी के शुरुआती दिनों में जहां सरकारों को महामारी से निपटने की कोई विशेष जानकारी नहीं थी तो उसे रोकने के लिए lockdown जैसे प्रयास किए गए। जैसे-जैसे सूचनाएं, शोध बड़े, तो सरकार की राजनीति में आमूलचूल परिवर्तन होए।
तो परिवर्तन समाज का राजनीति का सबका एक अनिवार्य नियम है। इसे जितना जल्दी अपना लिया जाए,उतना बेहतर है। और वैसे भी स्थिरता कोई अच्छी स्थिति नहीं, अपितु ये मानव जीवन को किसी extreme और तक ले जाना चाहती है जो बिल्कुल भी श्रेष्यशकर नहीं है। उदाहरणतः अफगानिस्तान जैसे कुछ देशों ने बदलावों को नहीं अपनाया और वे क्रमशः तालिबान शासन को झेल रहे हैं।
अंततः ये कहा जा सकता है कि आप एक नदी में दोबारा नहीं जा सकते क्योंकि ये लगातार परिवर्तित होती रहती है और इसमें लगातार होने वाली परिवर्तन हमें लगातार खुद को बेहतर बनाने का मौका देते हैं जिसका जितना जल्दी फायदा हम उठा ले, इतना ही हमारे लिए बेहतर है।