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10 दिन

सुमेर ने अपनी पत्नी सुदेश को बुखार की दवाई देते हुए कहा दवा लेकर सो जाना, मुझे काम से आने में वक्त लगेगा, मेरी चिंता न करना।
सुदेश को चिंता होने भी कहां वाली थी। उसे सुमेर का पास होना, न होना एक लगता था। सुमेर का सारा वक्त पैसों की चिंता में बीतता था, इसी से सुदेश चिढ़ती थी। ऐसा नहीं था कि सुमेर गरीब था, लेकिन जब व्यक्ति के हाथों पैसोनुमा मैल चढने लगता है तो उसे मैल में भी मजा आने लगता है ठीक उसी भांति जैसे सूअर को नाले में मजा आता है। अभी रिटायरमेंट आए सुमेर को 2 साल ही हुए थे कि पुलिस विभाग में नौकरी भी लग गई थी। पर फिर भी वो सारे दिन पैसों के बारे में सोच विचार करता रहता। उसके साथ सुदेश की सुध लेने तक का भी समय न था। सुदेश बेचारी उम्र से अभी 27 वा साल भी न पार की थी जबकि सुमेर अपने पावे में था। इस बेमेल विवाह जोड़ी में सब बेमेल था। सुदेश की इच्छाएं इतनी थी कि सुमेर चाहता तो पूर्ण कर सकता था, लेकिन जीवन के बाकी रसो से बेरस सुमेर का दिल, दिमाग पैसों में व्यस्त रहता था। इन्हीं सब कारणों से सुदेश का मन घर के बाहर लड़कों से दिल्लगी करने में करता था। वह अवसर बाहर बैठे अपने मन में सुनहरे सपने संजोया करती थी। जिनमें वो अवसर किसी लड़के के साथ घूमने-फिरने से लेकर संभोग तक सब कल्पनाएं बिनती थी।
सुदेश के शादी-शुदा होने के बावजूद सुदेश का ऐसी कल्पनाएं करना किसी को अनैतिक लग सकता है, लगता भी होगा,जब नारी की मूल इच्छा तक ही उसका पुरूष न पूरी कर सकें, तो कब तक वह अपनी इच्छाओं का गला घोंटते रहे। पुरुष अपनी मनमर्जी से नारी को नियंत्रित करना चाहता है, वह चाहे तब वह संभोग करें, जब बातें करें और जब चाहे, एक थप्पड़ मार कर उसे चुप कर दे। नारी की इच्छाएं उसकी अपनी स्वतंत्र इच्छाएं हैं। वो उन इच्छाओं को किसी के कहने पर क्यूं वो दबाए। सुदेश आज के योग कि वो प्रगतिशील महिला है जिसकी रुचियां केवल अपने पति को परमेश्वर मानकर उसकी बदतमीजियो को सहन करने में बिल्कुल नहीं है।
सुदेश का एक बेटा भी है साहिल। साहिल से बड़ा प्रेम करती है। सुमेर के प्रति घोर अरुचि के बीच वही उसके जीवन व्यय का साधन है।
सुदेश, आज पूरा 100000 का मुनाफा हुआ है, इसी को निकालने 10 दिन मैं नागपुर जा रहा हूं, सुमेर ने मोबाइल रखते हुए कहा।
सुदेश को इस मुनाफे मैं बिल्कुल रूचि न थी, लेकिन सुमेर 10 दिन बाहर जा रहा है, इसमें उसे घोर रुचि थी। सुदेश के मन में शरारत शूज रही थी। हुआ भी इस शरारत के पक्ष में, सुमेर ने साहिल को भी अपने साथ ले जाने का निश्चय किया।
साहिल, सुमेर दोनों सुबह निकल गए। सुदेश को इसी का इंतजार था। सुदेश चट से नहाकर संवर गई और बाहर बैठ गई। फोन में दिल्लगी वाले गाने बजाएं। इतने में उसे समीर आता प्रतीत हुआ।
समीर यही पड़ोस का युवक था। समीर को सुदेश में रुचि थी, ये बात सुदेश भली-भांति समझाती थी। खैर आज सुदेश ने समीर की परीक्षा लेने की ठानी और मन ही मन कल्पना की समीर इसमें अव्वल दर्जे में उत्तीर्ण हो।
सुदेश ने किसी बहाने से समीर को अंदर बुलाया। सुदेश के रंग ढंग देख समीर भांप गया कि सुदेश क्या चाहती है। समीर ने सीधी बात करते हुए कहा-"मैं जानता हूं आप क्या चाहती हैं, आपकी इच्छा इस वक्त भरपूर संभोग करने की है। ‌ इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपके प्रियवर सुमेर आपकी बिल्कुल कदर नहीं करते, ये भी मैं जानता हूं। एसी स्त्री जिसकी संभोग की मूल इच्छा तक पूरी न होती हो, उसके लिए मौका पाकर किसी दूसरे व्यक्ति से संभोग करने में कुछ अनुचित नहीं।
उचित अनुचित तो सब दृष्टिकोण का फर्क है, मांसाहारी व्यक्ति को शाकाहार अनुचित लगता है और शाकाहारी को मांसाहार अनुचित लगता है। जब दो व्यक्तियों को एक चीज ही नैतिक और अनैतिक लग सकती है, तो इसका मतलब यही है कि नैतिकता या अनैतिकता कृत्य मैं ना होकर दृष्टि में है।
सुदेश इन बातों को सुनकर नैतिक अनैतिक के दवन्दव से बाहर निकली। उसे अब यह नैतिक लगने लगा था। अगर सुमेर को पत्नी की इच्छाएं को मारकर सिर्फ पैसा कमाना नैतिक लगता है तो पत्नी का दूसरे युवक से संभोग करना भी नैतिक है। सुदेश ने समीर को गले से लगा लिया और खूब संभोग किया। यह कार्यक्रम 10 दिनो तक चलता रहा। सुदेश को इन 10 दिनों में जितनी खुशी, प्रेम महसूस हुआ था वह शायद उसे कभी पहले न हुआ था। सुमेर और साहिल आ गए थे, सुमेर के आने के बावजूद अपने पिछले 10 दिन याद करके सुदेश के चेहरे पर मुस्कान दौड़ रही थी।

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