कैद पक्षी की मौत Rajesh Rajesh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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कैद पक्षी की मौत

12 साल का अरविंद स्कूल से आकर कभी खाना खाकर कभी बिना खाना खाए, इमली के पेड़ों के नीचे पहुंच जाता था और इमली के एक एक पेड़ को ध्यान से देखता था, कि उसे पेड़ की कोई ऐसी खोख या टहना नजर आ जाए, जहां तोते के बच्चे अपनी मां के साथ छुप कर बैठे हो।

अरविंद को तोते से उस दिन से प्यार हो गया था, जिस समय वह गर्मियों की छुट्टियों में अपने मामा मम्म के घर घूमने गया था।

उसके ममेरे भाई ने मनुष्य की बोली बोलने वाले तोते को पिंजरे में दिखाकर उसे बताया था, कि "इस तोते को मैं जब पकड़ा कर लाया था जब यह बहुत छोटा बच्चा था और उसी दिन से मैंने इसे इंसानो की बोली बोलना सिखाना शुरू कर दिया था। इसलिए अब यह इंसानों की बोली की बहुत अच्छी नकल करने लगा है।"

उस दिन ही अरविंद ने अपने मन में ठान लिया था, कि मैं भी तोता पा लूंगा।

और एक दिन अरविंद को इमली के पेड़ के टहने पर तोती अपने बच्चे को खाना खिलाती हुई दिख जाती है।

उस दिन तो अरविंद उस तोते के बच्चे को पकड़ नहीं पाता है, लेकिन दूसरे दिन उस तोते के बच्चे को पकड़ कर अपने घर पालने के लिए ले आता है।

घर पर उसके माता-पिता बड़ी बहन तोते के बच्चे को पिंजरे में कैद करके पालने के सख्त खिलाफ थे, परंतु जब अरविंद अपनी दादी से तोतों के बच्चे को पालने की सिफारिश लगवाता है, तो मजबूर होकर अरविंद के मां-बाप बड़ी बहन अरविंद को तोते का बच्चा पालने की इजाजत दे देते हैं।

धीरे-धीरे उस तोते के बच्चे से अरविंद के पूरे परिवार को प्यार होने लगता ह है, क्योंकि तोते का बच्चा सुबह-सुबह सीताराम कहकर सबको नींद से जगात था।

अब तोते के बच्चे से अरविंद के परिवार को इतना लगाव हो गया था, कि जब वह एक-दो दिन के लिए कहीं घूमने जाते थे, तो तोते के बच्चे को अपने पड़ोसी को उसकी देखभाल के लिए देकर जाते थे, तो उन्हें रात दिन चिंता लगी रहती थी कि हमारा तोते का बच्चा किस हाल में होगा।

देखते ही देखते तोते का बच्चा बड़ा हो जाता है । एक दिन तोते के पिंजरे को बहुत से तो तू ने घेर रखा था और अरविंद का तोता उन्हें देख-देख कर बहुत खुश हो रहा था, इसलिए अरविंद और उसके परिवार वाले तोते के पिंजरे को ऐसी जगह रखने लगते हैं जिससे कि उसके दोस्त तोते उससे आसानी से मिल सके।

सर्दियों के मौसम में एक दिन अरविंद तोते के बच्चे को नहला कर धूप में बिठाकर पानी पीने चला जाता है।

और अरविंद का तोता मौका देख कर अपने साथी तोतों के साथ उड़ जाता है।

कुछ दिन बाद अरविंद देखता है कि एक तोते को मिलकर बहुत से तोते उड़ उड़ कर मार रहे हैं और वह तोता उड़ कर बार-बार उनके घर के आंगन में आ रहा था‌।

एक दिन अरविंद सो कर उठता है, तो उसके कमरे में चारों तरफ तोते के पंख बिखरे हुए थे और उसके पलंग के पास तोते की कटी हुई गर्दन पड़ी हुई थी।

यह देख कर अरविंद अपनी मां को आवाज देकर अपने कमरे में बुलाता है और मां को चारों तरफ बिखरे हुए तोते के पंख तोते की कटी गर्दन दिखाता है।

उसकी मां दुखी होकर अरविंद से कहती है कि "इसलिए हम तोते के बच्चे को तुझे पालने की मना कर रहे थे, तेरी वजह से उसकी जान गई है, रात को बिल्ली उसे मारकर खा गई क्योंकि उसे पक्षियों जैसे ठीक से उड़ना नहीं आता था और बाकी तोते से दूर रहने के कारण इंसानों की महक की वजह से बाकी तोते ने उस बेचारे को अपनाया नहीं तेरी वजह से उसका घर बाहर सब कुछ छूट गया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई।"

उस दिन अरविंद को अपनी गलती का एहसास होता है और वह बहुत दुखी होता है।