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गर्मियों में हीट से बचने के उपाय

 


                                          गर्मियों में हीट से बचने के उपाय 


गर्मी का मौसम हर साल नियमित रूप से आता है  . इन दिनों तापमान ज्यादा होना नेचुरल है और हाल के कुछ वर्षों से क्लाइमेट चेंज के कारण यह ज्यादा ही महसूस किया जा रहा है  .  कुछ दिनों तक  तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है जिसके चलते लोगों को  हीट इलनेस संबंधित कठिनाईयों - सनबर्न , डीहाइड्रेशन और लू का सामना करना पड़ता है  .  हीट स्ट्रोक या लू बहुत ही खतरनाक या जानलेवा साबित हो सकता है  . गर्मी के मौसम को  हम रोक तो नहीं सकते हैं पर इस से होने वाली कठिनाइयों से निपटने के कुछ उपाय अपना कर परेशानी कुछ कम कर सकते हैं  .  
निम्नलिखित उपायों से हीट से होने वाली परेशानियों से कुछ हद तक बचा जा सकता है - 


1 .  डिहाइड्रेशन से बचें - समुचित मात्रा में पानी और अन्य पेय पदार्थ पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है और  शरीर को तापमान रेगुलेट करने में आसानी होती है  . इसलिए ख़ास कर गर्मी के दिनों में घर से बाहर निकलने से पहले बॉडी को हाइड्रेटेड रखें .  बाहर निकलने के बाद भी दिन भर बीच बीच में पानी पी कर हाइड्रेटेड रहें .  हमारे पसीने से बॉडी के कुछ इलेक्ट्रोलाइट बाहर निकल जाते हैं जिनकी भरपाई भी जरूरी है .  इसके लिए बीच में कुछ स्पोर्ट्स ड्रिंक आदि लेते रहना चाहिए , खास कर यदि आपको पसीना ज्यादा आता हो  ,ज्यादा देर के लिए गर्मी में बाहर हों या आप कोई स्पोर्ट्स पर्सन हों .  
अपने ड्रेस पर ध्यान दें - गर्मियों में घर से बाहर निकलने समय आपको अपने ड्रेस पर भी विशेष ध्यान देना होगा  . चुस्त , और भारी कपड़ों से पसीने को भाप बनने में दिक़्क़त होती है जिसके चलते शरीर से ताप बाहर नहीं निकलता है या धीरे धीरे  निकलता है  . इसके अतिरिक्त सफ़ेद कपड़े हीट को एब्जॉर्ब  नहीं करते हैं जबकि काले और डीप कलर के कपड़े हीट एब्जॉर्ब करते हैं और गर्मी ज्यादा महसूस होती है  . जाड़े के मौसम में सिंथेटिक ब्लेंडेड कपड़े अच्छे होते हैं क्योंकि सिंथेटिक ड्रेस हीट को बाहर नहीं निकलने देते और हम अपेक्षाकृत गर्म महसूस कर सकते हैं  . 

 सर पर टोपी आदि पहनें - गर्मी में धूप में बहुत ज्यादा तापमान पर ज्यादा देर तक सर को खुला रखना हानिकारक है  . इस से ब्रेन में ब्लड सप्लाई और ऑक्सीजन पर असर पड़ता है जिसके चलते ब्रेन में प्रोटीन और आयन ( ion ) जमा हो सकते हैं  . इसके चलते ब्रेन की नेचुरल प्रक्रिया पर विपरीत असर पड़ सकता है और हम फेंट कर  सकते हैं  . इसलिए सर पर टोपी , चौड़े हैट आदि पहनना उचित है  . 
सनस्क्रीन यूज करें - घर से  बाहर निकलने के पहले सनस्क्रीन लगाएं , कोई जरूरी नहीं कि ऐसा सिर्फ गर्मी या धूप में ही लगाना चाहिए  . बाहर बादल छाये हों तब भी इसे लगाना बेहतर है  . हाँ , गर्मी में  स्वेट रेजिस्टेंट  सनस्क्रीन होना चाहिए और यदि ज्यादा समय के लिए बाहर हों तो  पसीना पोंछ कर इसे पुनः लगाना चाहिए  . 
धूप में कार पार्क करने के बाद सावधान रहें - अगर आपने शेड में भी कार पार्क किया हो फिर भी कार में पुनःबैठने  के पहले इसकी खिड़कियों को कुछ देर खुली छोड़ दें और अगर एयर कंडीशनर है तो उसे चालू कर दें  . गर्मी में पार्क करने के बाद जल्द ही कार का तापमान बाहर के तापमान से भी ज्यादा हो जाता है  . ऐसे में अपने पालतू जानवर या बच्चे को पार्कड कार में न छोड़ें  . 
शेड या एयर कंडीशनर का सहारा लें - गर्मियों में  यथासंभव घर के अंदर रहें और संभव हो तो एयर कंडीशनर से तापमान रेगुलेट करें  . यदि बाहर काम करते हों तब थोड़ी थोड़ी देर के लिए  ब्रेक लें और शेड में जाएँ  . 
व्यायाम का समय - गर्मी और ह्यूमिडिटी में व्यायाम करने से बचें  . ऐसे में इंडोर वर्क आउट या व्यायाम करें  . इंडोर वर्क आउट के अनेकों साधन उपलब्ध हैं  . यदि बाहर करना हो तो तड़के सुबह या शाम का समय चुनें  . 
शराब पर नियंत्रण - अगर बाहर काम कर के आये हों तो ऐसे में शराब पीने से नुकसान होने की संभावना है  . यथासंभव ड्रिंक न करें या अल्प मात्रा में ड्रिंक करें  . अल्कोहल से अच्छा पानी आपको हाइड्रेटेड रखता है  . 

हीट इलनेस -  हीट इलनेस के  सामान्य सिम्पटम्स हैं - थकावट , क्रैम्प ,मितली या उल्टी , सीजर , फेंटिंग और सन स्ट्रोक या लू  . सनस्ट्रोक बहुत खतरनाक और जानलेवा होता है  . उच्च तापमान में रहने के चलते शरीर बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है  . ऐसे में हमारे शरीर का कूलिंग मशीन ( पसीना आना ) बॉडी टेम्परेचर को बढ़ने से रोकने में नाकाम हो जाता है  . और अगर ह्यूमिडिटी ज्यादा रहा ( 75 % या ज्यादा ) तो पसीना शरीर को ठंडा करने में और भी ज्यादा नाकाम होता है  और बॉडी  टेम्परेचर 104 F या उस से भी ज्यादा हो सकता है जिसके चलते जल्द ही डिहाइड्रेशन होता है  . 
 हीट स्ट्रोक के उपरोक्त सिम्पटम्स को  नजरअंदाज न करें  . सनस्ट्रोक एक इमरजेंसी है  . ऐसे में रोगी को तुरंत अस्पताल ले जाएँ  . जब तक कोई हेल्प न पहुंचे रोगी को छाया या एयर कंडीशन जगह पर पहुँचायें , यदि संभव हो तब रोगी की कांख ( आर्मपिट ) और जांघों पर बर्फ रख कर ठंडा करें  
हीट स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर - उम्र - बहुत ज्यादा या कम  , डिहाइड्रेशन , ज्यादा वजन ,  डायबिटीज या  हृदय रोग की कुछ दवाएं , शराब का सेवन ,
हीट स्ट्रोक का असर कम करने के उपाय - हाइड्रेटेड रहें , बाहर में ढीले सूती कपड़े पहनें , वर्कआउट अगर बाहर करना हो तो तड़के सुबह या शाम को करें , सनस्क्रीन का उपयोग करें , यथासम्भव धूप  में बाहर न निकलें  . 

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